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जानवर ने फसल की खराब, टेंशन न लें, अब ये काम करें, नुकसान का पैसा मिलेगा

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: कृषि मंत्रालय ने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया है. नए नियम के मुताबिक़, अगर किसी किसान की बीमित फसल जंगली जानवर के हमले से बर्बाद होती है, तो उसकी भरपाई बीमा की रकम से होगी. लेकिन इसके लिए एक टाइम लिमिट भी है, जिसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है. जलभराव से फसल खराब होने के मामले पर भी एक फैसला हुआ है.

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ये स्कीम खरीफ 2026 सत्र से लागू की जाएगी | फाइल फोटो: आजतक

भारतीय किसानों के लिए एक राहत की खबर है. केंद्र सरकार ने बर्बाद फसलों के लिए मिलने वाले मुआवज़े को लेकर बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत मुआवज़े का दायरा बढ़ा दिया है. अब से जंगली जानवरों और जलभराव के कारण हुई बर्बाद फसलों का नुकसान भी सरकार उठाएगी. ये स्कीम खरीफ 2026 सत्र से लागू की जाएगी. 

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नए नियम के मुताबिक़, अगर किसी किसान की बीमित फसल जंगली जानवर के हमले से बर्बाद होती है, तो उसकी भरपाई बीमा की रकम से होगी. लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए किसान को 72 घंटे के अंदर इसकी जानकारी देनी होगी. बीमा ऐप पर जाकर जियो-टैग्ड फोटो (geotagged photograhphs) के साथ शिकायत दर्ज करनी होगी.

सरकार ने क्या बताया?

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ जारी कर इसकी जानकारी दी. प्रेस रिलीज़ में सरकार ने कहा,

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जंगली जानवरों से हुए फसल के नुकसान को पांचवे 'ऐड-ऑन कवर' के रूप में मान्यता दी गई है. सभी राज्य उन जानवरों की लिस्ट जारी करेंगे जिनसे फसल बर्बाद होती है. साथ ही इससे प्रभावित जिलों की भी पहचान करनी होगी. 

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कृषि मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ जारी कर मामले की जानकारी दी.

सरकार ने आगे कहा, 

बहुत सालों से किसानों को इसका जोखिम उठाना पड़ रहा है. जंगली जानवर जैसे हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, बंदर, हिरण जैसे जानवर हर साल फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. अभी तक इस नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती थी क्योंकि ये बीमा में कवर नहीं किए जाते थे.

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लंबे समय से चल रह थी मांग

PIB से मिली जानकारी के मुताबिक़, कृषि मंत्रालय ने बताया कि लंबे समय से इसकी मांग उठ रही थी. जिसके बाद सरकार ने ये कदम उठाया है. सरकार ने जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान के अलावा नए प्रावधान में जलभराव को भी शामिल कर लिया है. साल 2018 में जलभराव से बर्बाद होने वाली फसल पर मुआवज़े के प्रावधान को हटा दिया था. लेकिन नए नियम के तहत जलभराव को 'स्थानीयकृत आपदा श्रेणी' में दोबारा शामिल कर लिया गया है. जलभराव से हर साल तटीय और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में धान के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. खराब फसलों की लिस्ट में सोयाबीन, केला, रुई, रागी, धान आदि शामिल हैं.

यह भी पढ़ें: साल के पहले दिन किसानों के लिए खुशखबरी, अगले साल तक जारी रहेगी फसल बीमा योजना

नए नियम में कौन से राज्य शामिल हैं?

सरकार की तरफ से ये भी बताया गया है कि ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड के किसानों को अधिक लाभ होगा. वहीं कुछ राज्य ऐसे हैं जहां जानवरों का खतरा ज्यादा है. इनमें पूर्वोत्तर के राज्य शामिल हैं जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश. जलभराव कवरेज से ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के किसानों को लाभ होगा. 

कब आई थी ये योजना?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना साल 2016 में खरीफ सत्र में लाई गई गई थी. इस योजना के तहत बीज बोने से लेकर फसल काटने तक के सभी जोखिम को कवर करने का प्रावधान है. इसे न्यूनतम दाम पर लाया गया जिससे किसानों के लिए फसल का बीमा कराना आसान हो. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक तब से लेकर अब तक सरकार ने 36 करोड़ किसानों के आवेदन पर काम किया है. और 1.82 लाख करोड़ के क्लेम को मंजूरी दी है. इसी साल 2025 के पहले दिन ही केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को जारी रखने के लिए 69,515.71 करोड़ का फंड जारी करने की मंजूरी दी थी.

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