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कौन थे पसुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर, AIADMK जिन्हें भारत रत्न देने की मांग कर रही है?

AIADMK के चीफ के. पलानीस्वामी ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर पसुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर को भारत रत्न देने की मांग की है.

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AIADMK प्रमुख ने अमित शाह से मिलकर मुथुरामलिंगा थेवर को भारत रत्न देने की मांग की. (Photo: X)

एआईएडीएमके (AIADMK) ने स्वतंत्रता सेनानी और प्रख्यात समाज सुधारक पसुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर (Pasumpon Muthuramalinga Thevar) को भारत रत्न देने की मांग की है. मंगलवार को AIADMK के प्रमुख एडप्पादी के. पलानीस्वामी (EPS) ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर ये मांग की.

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पलानीस्वामी ने खुद इसकी जानकारी देते हुए एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, 'मैंने AIADMK की ओर से एक पत्र सौंपा, जिसमें पुरज़ोर आग्रह किया गया है कि भारतीय राष्ट्र का सर्वोच्च पुरस्कार, भारत रत्न, राष्ट्रीय मुक्ति के लिए संघर्ष करने वाले दिव्य पुत्र पसुम्पोन अय्या यू. मुथुरामलिंगा थेवर को प्रदान किया जाए.'

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कौन थे पसुम्पोन मुथुरामलिंगा थेवर?

पसुम्पोन अय्या यू मुथुरामलिंगा थेवर तमिलनाडु के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे. उनका जन्म 30 अक्टूबर, 1908 को रामनाथपुरम जिले के पसुम्पोन में हुआ था. उनका निधन 30 अक्टूबर, 1963 को हुआ था. वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अहम सहयोगी थे और नेताजी द्वारा स्थापित अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) के प्रमुख सदस्य थे. वह 1952 से AIFB के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे. मुथुरामलिंगा थेवर सांसद भी बने थे.

तमिलनाडु में उन्हें बड़े सामाजिक सुधारक के रूप में जाना जाता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार 1920 में अंग्रेजों द्वारा तमिलनाडु के मुकुलाथोर समुदाय के विरुद्ध आपराधिक जनजाति अधिनियम (सीटीए) लागू किया गया था. इसके विरुद्ध थेवर ने आवाज उठाई थी और लोगों को संगठित करके विरोध प्रदर्शन किया. उनके निरंतर प्रयासों के बाद 1946 में इस अधिनियम को निरस्त कर दिया गया था.

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मुथुरामलिंगा थेवर. (Photo: X)
मंदिर प्रवेश आंदोलन का किया था समर्थन

उन्होंने 1939 में मंदिर प्रवेश आंदोलन जैसे सामाजिक सुधारों का भी समर्थन किया था, जिससे दलितों को हिंदू मंदिरों में प्रवेश की अनुमति मिली. मुथुरामलिंगा थेवर को मुकुलथोर समुदाय में एक देवता की तरह पूजा जाता है. यह समुदाय कल्लार, मारवार और अहमदियार समुदायों का एक समूह है.

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राजनीतिक रूप से अहम शख्सियत

एम करुणानिधि से लेकर जे जयललिता तक, सभी ने इस समुदाय को खुश करने के लिए कई फैसले लिए. दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने गोरिपलायम जंक्शन पर मुथुरामलिंगा थेवर की विशाल प्रतिमा स्थापित की थी. उन्होंने दिवंगत नेता के लिए उनके पैतृक गांव पसुम्पोन में एक स्मारक भी बनवाया. इसके बाद जे जयललिता ने 1994 में इस स्मारक में प्रतिमा के लिए 13.5 किलोग्राम का शुद्ध सोने का कवच दान किया था. तमिलनाडु में मुथुरामलिंगा थेवर की जयंती हर साल 30 अक्टूबर को मनाई जाती है.

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