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इजरायल और चीन की दोस्ती कितनी गहरी? JNU प्रोफेसर ने पूरी कहानी बताई

इजरायल और USA का संबंध काफी घनिष्ठ रहा है. अब जबकि पिछले 30-35 सालों से अमेरिका के लिए चीन सबसे बड़ा राइवल है. ऐसे में इजरायल एक तरफ चीन और एक तरफ अमेरिका का इतना सक्रिय सहयोग कैसे कर रहा?

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चीन और इजरायल के बीच संबंध पर बड़ी जानकारी मिली.

ऑपरेशन सिंदूर से तिलमिलाया पाकिस्तान लगातार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है. बीते दो दिनों से वो भारत के सीमाई इलाकों में सैकड़ों ड्रोन के जरिये हमला कर रहा है. लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने अभी तक कोई बड़ी अनहोनी नहीं होनी दी है और लगभग सभी ड्रोन्स को हवा में ही उड़ा दिया है. यही नहीं, पाकिस्तान के पहले हमले के बाद तो भारत ने बड़ी जवाबी कार्रवाई करते हुए लाहौर स्थित पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 को तबाह कर दिया. अब कहा जा रहा है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम की भी पोल खोल दी. 

चीन का बनाया ये डिफेंस सिस्टम कितना कारगर है, इसके बारे में लल्लनटॉप ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर ईस्ट एशियन स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कुंडापली से बात की. उन्होंने बताया,

चीन ने अमेरिका, रूस और कुछ यूरोपियन (देशों) से सीखकर नया वेपन सिस्टम शुरू किया है. इसमें CPMIEC (चाइना प्रिसिजन मेटल्स इंपोर्ट एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन) एक बहुत बड़ी कंपनी है… HQ9 हुम्ची जो 1950 में सोवियत यूनियन ने उनको दिया, चीन ने उसको इप्रोंवाइज किया… और इजराइली टेक्नोलॉजी बहुत इस्तेमाल की.

क्या चीन और इजरायल के बीच कोई सक्रिय साझेदारी रही? इस सवाल के जवाब में श्रीकांत कुंडापली ने कहा,

दोनों देशों के बीच करीब 20-30 सालों काफी सक्रिय साझेदारी रही थी. इजरायल की तरफ से चीन को काफी कटिंग इट्स टेक्नोलॉजी भेजे गए, जिसे अब PL-15 A के नाम से जाना जाता है. 

इसके बाद उनसे सवाल किया गया कि इजरायल और USA का संबंध काफी घनिष्ठ रहा है. अब जबकि पिछले 30-35 सालों से अमेरिका के लिए चीन सबसे बड़ा राइवल है. ऐसे में इजरायल एक तरफ चीन और एक तरफ अमेरिका का इतना सक्रिय सहयोग कैसे कर रहा? इसके जवाब में प्रोफेसर श्रीकांत ने कहा,

इजरायल एक बहुत छोटा देश है और उनको पैसा चाहिए था. इजरायल के पास जमीन और रिसोर्सेज काफी कम है. इस वजह से उन्होंने रेवन्यू को लेकर ऐसा किया. इजरायल की बहुत सारी टेक्नॉलॉजी जो हैं वो अमेरिकी ओरिजिन की हैं. AWACS Falcon जो एरियल अर्ली वार्निंग डिफेंस सिस्टम है, जो इजरायल मैन्युफैक्चरिंग करता है. 2004-05 में चीन कुछ AWACS Falcon खरीदना चाहता था. इसके लिए उन्होंने इजरायल को पैसा भी दिया. लेकिन अमेरिका ने इसका विरोध किया. जिसके बाद इजरायल ने चीन को AWACS Falcon देने से इनकार कर दिया. इसके बाद जो AWACS Falcon चीन का जाना था, वो भारत ने खरीद लिया. 

प्रोफेसर श्रीकांत ने आगे कहा,

इजरायल ने एक आयरन डोम चीन को सप्लाई किया. जो चीन ने ताइवान स्टेट के पास इसे डिप्लोई किया तो अमेरिका ने इजरायल से इसका विरोध जताया, जिसके बाद इसे निकाला गया. कुछ आयरन डोम भारत ने भी खरीदा. तो इजराइल, USA, भारत और चीन के बीच आर्म्स ट्रांसफर की यही स्टोरी है. 

प्रोफेसर श्रीकांत ने साथ ही बताया कि चीन का Weapon System अभी भी काफी प्रॉब्लमैटिक है. लेकिन चीन फिलहाल पाकिस्तान में काफी हथियारों की सप्लाई कर रहा है.

वीडियो: ऑपरेशन सिंदूर पर चीन ने क्या प्रतिक्रिया दी?

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