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यूपी की यूनिवर्सिटी से डिग्री लेकर टीचर बने, 203 में से 202 फर्जी निकले, सिर्फ एक सच्चा!

SOG के ASP धर्माराम गिला ने जब जेएस यूनिवर्सिटी के सर्वर को टटोला तो पोल खुल गई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी को हर सेशन में सिर्फ 100 सीटों की मान्यता है. लेकिन 2082 लोगों ने उसी यूनिवर्सिटी की डिग्री दिखाकर भर्ती में आवेदन ठोक दिया.

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9 लोगों ने तो हद ही कर दी, सीधे नकली मार्कशीट बनवा डाली. और 43 लोगों की मार्कशीट की तारीख थी 25 सितंबर 2022 के बाद की, जबकि परीक्षा उससे पहले हो चुकी थी. (फोटो- यूनिवर्सिटी वेबसाइट)

उत्तर प्रदेश से एक ऐसा घपला सामने आया है, जिसने राज्य की भर्ती प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने एक ऐसा रैकेट पकड़ा है जिसका कारनामा जानकर होश उड़ जाएंगे. आरोप है कि 203 लोगों ने शिकोहाबाद की जेएस यूनिवर्सिटी के नाम पर फर्जी डिग्री बनवाई. फिर उसे फिजिकल टीचर (PTI) से जुड़ी सीधी भर्ती परीक्षा में लगाकर नौकरी हथिया ली (202 Teachers Land Jobs Using Fake BPED Marksheets). लेकिन जब SOG ने खुरचकर देखा, तो 202 डिग्रियां नकली निकलीं. सिर्फ एक बंदे की डिग्री असली थी.

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SOG के ASP धर्माराम गिला ने जब जेएस यूनिवर्सिटी के सर्वर को टटोला तो पोल खुल गई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी को हर सेशन में सिर्फ 100 सीटों की मान्यता है. लेकिन 2082 लोगों ने उसी यूनिवर्सिटी की डिग्री दिखाकर भर्ती में आवेदन ठोक दिया. सवाल है कि इतने सारे लोग एक साथ कहां से पास हो गए? यहीं से शक की सुई घूमी और SOG ने पूरा डाटा खंगाल डाला.

फर्जीवाड़े का पूरा माजरा

जांच में जो खुलासा हुआ, वो किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. पता चला कि नौकरी हासिल करने वाले 25 लोग ऐसे थे जिन्होंने बीपीएड का कोर्स तो कहीं और से किया, लेकिन मार्कशीट जेएस यूनिवर्सिटी की लगाई. 26 लोगों ने अलग-अलग सत्र की डिग्रियां चिपकाईं, जो फर्जी निकलीं. 9 लोगों ने तो हद ही कर दी, सीधे नकली मार्कशीट बनवा डाली. और 43 लोगों की मार्कशीट की तारीख थी 25 सितंबर 2022 के बाद की, जबकि परीक्षा उससे पहले हो चुकी थी. मतलब, डिग्री छपी ही बाद में!

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सिर्फ एक बंदा निकला सच्चा

SOG ने यूनिवर्सिटी की हार्ड डिस्क खंगाली. पता चला 2017-19, 2018-20, 2019-21 और 2020-22 सत्रों की 203 डिग्रियों में से सिर्फ एक शख्स, कुलराज सिंह पुत्र प्रेम सिंह, की डिग्री वैध थी. बाकी सब फर्जीवाड़ा.

अब घोटाला इतना बड़ा हो और दलाल न हों, ऐसा हो सकता है भला? जांच में सामने आया कि दलालों ने भी जमकर खेल किया. फर्जी मार्कशीट बनवाकर अभ्यर्थियों को बेचीं. यूनिवर्सिटी के सर्वर से डिग्री प्रिंटिंग का बैकअप डाटा भी पकड़ा गया, जिसमें सारा काला चिट्ठा दर्ज था.

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अब क्या होगा?

SOG अब जेएस यूनिवर्सिटी प्रशासन और 165 अभ्यर्थियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी में है. 37 लोग, जिन्होंने डमी कैंडिडेट बिठाए या फर्जी मार्कशीट जमा की, उनके खिलाफ पहले से ही केस दर्ज है. अब देखना ये है कि इस घोटाले का अंजाम क्या होता है. क्या इन फर्जी डिग्री वालों की नौकरी जाएगी? और यूनिवर्सिटी पर क्या एक्शन होगा?

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