Ola इलेक्ट्रिक के इलेक्ट्रिक स्कूटरों को लेकर लगातार समस्याएं आ रही हैं. अक्सर कई कस्टमर ओला पर खराब सर्विस देने का आरोप लगाते हैं. जब एक ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर मालिक कंपनी की सर्विस से परेशान हुईं, तो उन्होंने कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया. लापरवाही बरतने का हवाला देते हुए कंज्यूमर फोरम ने Ola इलेक्ट्रिक को पीड़ित कस्टमर को 1.36 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.
OLA ई-स्कूटर में 'ट्रैक्टर की आवाज, ना ठीक किया ना बदला', कंज्यूमर फोरम ने निकाल दी हेकड़ी
OLA Electric Scooter Complaint: कस्टमर के वकील ने बताया कि उनकी क्लाइंट ने शोरूम में ही बता दिया था कि इलेक्ट्रिक स्कूटर ठीक नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि फिर उनकी क्लाइंट से कहा गया कि दूसरा स्कूटर दे देंगे.


मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले का है. इंडिया टुडे से जुड़े सर्वेश पुरोहित की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित कस्टमर का नाम काम्या नरवरिया है, जिनके वकील सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी क्लाइंट ने 2021 में ओला इलेक्ट्रिक का एक इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदा था. उन्होंने कहा कि डिलिवरी के कुछ ही दिन बाद स्कूटर में गंभीर तकनीकी खराबी आ गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूटर की शिकायत करने के बावजूद ना तो ओला ने रिपेयर का कोई इंतजाम किया और ना कोई संतोषजनक जवाब दिया. लगातार परेशानियों से तंग आकर काम्या ने कंज्यूमर फोरम का रुख किया.
मामले की ज्यादा जानकारी देते हुए काम्या के वकील सुरेंद्र सिंह ने बताया,
“काम्या नरवरिया ने 2021 में ओला का इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदा था, जिसे ऑनलाइन बुक किया गया था. उस समय उन्हें एक महीने की वेटिंग दी गई. एक महीने वेटिंग के बाद जब स्कूटर लेने शोरूम पहुंचे तो इनसे (काम्या) कहा गया कि आपको स्कूटर देते हैं. लेकिन स्कूटर चालू नहीं हुआ. बोला गया कि इसमें सॉफ्टवेयर अपडेट होगा. जब सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हुआ तो उन्होंने अगले दिन आने के लिए बोला. अगले दिन ये लोग बच्चों के साथ गए और पूरे दिन परेशान रहे. स्कूटर चालू करने पर ऐसी आवाज आ रही थी, जैसे ट्रैक्टर चल रहा हो. उन्होंने बोला कि स्कूटर तो ठीक नहीं है. तो बोला गया कि आपको दूसरा स्कूटर मंगवा कर दे देंगे.”
उन्होंने आगे कहा,
"बाद में उनसे कई बार संपर्क किया गया, लेकिन कस्टमर की बात नहीं सुनी गई. ओला को मेल भी किया, उनके मैन्युफैक्चरर को भी मेल किया, लेकिन किसी ने नहीं सुना. इसके बाद 2021 में शिकायत दर्ज कराई गई. 2021 से अब फैसला आया है. ओला की गलती मानते हुए फोरम ने 1.36 लाख रुपये, 2 हजार रुपये एडवोकेट शुल्क और 1 हजार रुपये अन्य चार्ज का भुगतान करने का आदेश दिया है."
वकील ने यह भी बताया कि सुनवाई के दौरान ओला कंपनी की तरफ से कोई भी पक्ष रखने नहीं आया. उन्होंने आगे बताया कि आखिर में जब फाइनल बहस थी, तब ओला के एक वकील ने वकालतनामा पेश किया. फिर फोरम से नई तारीख मिली. काम्या के वकील ने कहा कि इस तारीख में भी ओला के वकील नहीं आए, जिसके बाद फोरम ने अपना फैसला सुना दिया.
जांच और सुनवाई के बाद आयोग ने पाया कि कंपनी ने उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन किया है. इसी आधार पर फोरम ने हर्जाने की रकम देने का आदेश दिया. पीड़ित कस्टमर को डिलिवरी के 3 दिन बाद ही स्कूटर में खराबी दिखी. उन्होंने कंपनी से कई बार स्कूटर के बारे में शिकायत की, लेकिन कंपनी ने कोई समाधान नहीं किया.
आयोग ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के सेक्शन 35 समेत अन्य सेक्शन के तहत यह फैसला दिया है. यह फैसला ओला जैसी कंपनियों के लिए एक सख्त संदेश है कि उपभोक्ता अधिकारों की अनदेखी महंगी पड़ेगी.
इससे पहले, गोवा सरकार ने ओला इलेक्ट्रिक स्कूटरों के नए रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है. यह कदम ग्राहकों की लगातार बढ़ती शिकायतों के बाद उठाया गया है, जिनका कहना है कि कंपनी समय पर सर्विस और रिपेयर नहीं कर रही है. परिवहन विभाग ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है और चेतावनी दी है कि अगर कंपनी जल्द सुधार नहीं करती, तो उसका ट्रेड सर्टिफिकेट रद्द किया जा सकता है.
वहीं, एक अन्य मामले में ओला इलेक्ट्रिक के फाउंडर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) भाविश अग्रवाल, सीनियर अधिकारी सुब्रत कुमार दास और ओला इलेक्ट्रिक कंपनी के खिलाफ एक कर्मचारी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में FIR दर्ज हुई है.
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