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प्राइवेट स्कूलों के बच्चों में 5 गुणा ज्यादा मोटापा, सरकारी के छात्रों में वजन नहीं, AIIMS की रिपोर्ट

दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का मोटापा स्तर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से पांच गुना अधिक है. ICMR और एम्स की रिसर्च में सामने आई जानकारी.

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दिल्ली के स्कूलों में यह शोध किया गया है. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

देश में लोगों के लिए मोटापा एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. बदलती लाइफस्टाइल और पैकेज्ड फूड का बढ़ता इनटेक अब स्कूली बच्चों पर भी असर डालने लगा है. हाल ही में एम्स द्वारा एक रिसर्च की गई. इसमें पाया गया कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में मोटापा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से पांच गुना अधिक है. इसके पहले CBSE ने भी सभी स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने और कैंटीन में हेल्दी फूड रखने के निर्देश दिए थे.

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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और एम्स ने स्कूली बच्चों पर एक रिसर्च की. इसमें एंडोक्राइनोलॉजी, कार्डियक बायोकेमिस्ट्री और बायोस्टैटिस्टिक्स डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट्स की टीम शामिल रही. इसमें 6 से 19 साल की उम्र के कुल 3,888 स्टूडेंट्स को शामिल किया गया. जिनमें से 1,985 स्टूडेंट्स सरकारी स्कूलों से और 1,903 स्टूडेंट्स प्राइवेट स्कूलों से थे. रिसर्च करने वालों ने इन बच्चों के ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और कमर की चर्बी की जांच की. इसमें लड़कों में मोटापे की दर लड़कियों की तुलना में अधिक पाई गई.

रिपोर्ट के मुताबिक प्राइवेट स्कूलों के बच्चे जहां कैलोरी से भरपूर भोजन और जंक फूड तक ज्यादा पहुंच रखते हैं. उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी बेहद कम होती जा रही है. स्क्रीन टाइम बढ़ना, खेल-कूद में कमी और अकादमिक दबाव के कारण ये बच्चे बाहर खेलने के बजाय घर में ही बैठे रहते हैं. इससे उनका वजन तेजी से बढ़ रहा है.

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AIIMS की रिपोर्ट में बताया गया कि कई प्राइवेट स्कूलों के छात्रों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण देखे गए. जैसे हाई ब्लड शुगर, असामान्य कोलेस्ट्रॉल लेवल और हाई ब्लड प्रेशर. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि ये लक्षण आमतौर पर वयस्कों में देखने को मिलते हैं. लेकिन अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. इससे भविष्य में हार्ट डिजीज, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ सकता है.

दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में मोटापा कम जरूर है. लेकिन वहां कई बच्चे अंडरवेट की समस्या से जूझ रहे हैं. अंडरवेट बच्चों में भी हाई ब्लड प्रेशर और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण मिले हैं. 

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