नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ (New Delhi Railway Station Stampede) में अब तक 18 लोगों की मौत हो गई है. इनमें नौ महिलाएं, पांच बच्चे और चार पुरुष शामिल हैं. बीते महीने ही महाकुंभ में भगदड़ मची थी और अब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ का कारण भी महाकुंभ जाने के लिए लोगों की भीड़ को बताया जा रहा है. ऐसे में सरकारी इंतेजामात को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. विपक्षी नेताओं ने भी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए, सरकार से तीखे प्रहार किए हैं (Opposition leaders on Railway station stampede).
बदइंतजामी, मोक्ष, अहंकार... नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, पूछे तीखे सवाल
Opposition leaders ने New Delhi Railway station stampede पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. CPI(M) ने कहा- प्रचार अभियान के ज़रिए लोगों से Mahakumbh में भाग लेने की अपील करना और फिर ज़रूरी व्यवस्था न करना, यही इस जान-माल के नुकसान के पीछे की सच्चाई है.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा,
क्या हमारी ज़िंदगी की कोई अहमियत नही? बदइन्तज़ामी के कारण भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई. इसके लिए कोई तो ज़िम्मेदार होगा? महाकुंभ में मरने पर कहा जाता है- “मोक्ष मिल गया.” अब सरकार कहेगी- “किसने कहा था स्टेशन आने को?”

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने घटना पर दुख जताते हुए कहा,
ये घटना एक बार फिर रेलवे की नाकामी और सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करती है. प्रयागराज जा रहे श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए स्टेशन पर बेहतर इंतजाम किए जाने चाहिए थे. सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि बदइंतजामी और लापरवाही के कारण किसी को अपनी जान न गंवानी पड़े.
सपा प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने भी घटना पर दुख जताया और लिखा,
सरकार में बैठे लोगों को राजनीतिज्ञ नहीं, उस परिवारवाले की तरह सोचना होगा, जिसने अपने मां-बाप, भाई-बहन, बच्चे और नाते-रिश्तेदार खोये हैं. शवों को उनके परिजनों तक पहुंचाने का ईमानदार इंतज़ाम हो और घायलों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाए. BJP सरकार मौत का सच छुपाने का पाप न करे.
वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी घटना पर दुख जताया. उन्होंने X पर लिखा,
इस त्रासदी को टाला जा सकता था. BJP सरकार, जो कुछ हुआ, उसे छिपाने की कोशिश कर रही है. इसके बजाय ये किया जाना चाहिए- 1. त्रासदी की जांच के लिए एक स्वतंत्र, न्यायिक निगरानी वाली SIT की नियुक्ति. 2. भारतीय रेलवे की सिस्टमेटिक विफलताओं की स्वतंत्र जांच. भारतीय रेलवे लाखों भारतीयों के लिए जीवन रेखा है. मोदी सरकार का कुप्रबंधन डिज़र्व नहीं करती.

कांग्रेस पार्टी ने भी घटना पर दुख जताया और सरकार से दो मांगें कीं- 1. मोदी सरकार मृतकों का पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंपे और उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करे. 2. सभी घायल श्रद्धालुओं का बेहतर इलाज हो. कांग्रेस ने घटना को लेकर कुछ सवाल भी उठाए, मसलन-
सरकार को पता था कि महाकुंभ जारी है, तो उस दौरान ज़्यादा ट्रेनें क्यों नहीं चलाई गईं? रेलवे स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित करने की व्यवस्था क्यों नहीं की गई? इस हादसे की ज़िम्मेदारी किसकी है?

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) यानी CPI(M) ने भी घटना पर दुख जताया और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की. साथ ही, सरकार व्यवस्था पर सवाल उठाए. CPI(M) ने X पर लिखा,
प्रथम दृष्टया घटना केंद्र और राज्य अधिकारियों की घोर कुप्रबंधन की तरफ़ इशारा करता है. प्रचार अभियान के ज़रिए लोगों से भाग लेने की अपील (महाकुंभ में) करना और फिर ज़रूरी व्यवस्था न करना, यही इस जान-माल के नुकसान के पीछे की सच्चाई है.

वहीं, शिवसेना(UBT) सांसद प्रियंका चर्तुवेदी ने भी घटना पर दुख जताया. साथ ही, उन्होंने मीडिया से भी सच्ची रिपोर्टिंग करने की अपील की है. प्रियंका चतुर्वेदी ने रेल मंत्री को सवाल के घेरे में लेते हुए लिखा,
15 लोगों की जान जाना वाकई दुखद है. प्रार्थना है कि बाकी लोग सुरक्षित हों. लेकिन, रेल मंत्री का क्या मतलब था, जब उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है? क्या ये बहुत ज़्यादा अहंकारी और असंवेदनशील होना नहीं है?

प्रियंका चतुर्वेदी ने ये भी कहा कि को-ऑर्डिनेशन पर कोई कंट्रोल नहीं था.
Stampede पर लेटेस्ट अपडेट्सहादसे में 25 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं. घायलों का इलाज फिलहाल दो अस्पतालों -लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल- में चल रहा है. वहीं, 18 मरने वालों में मरने वालों में 9 बिहार, 8 दिल्ली और 1 हरियाणा से हैं. रेलवे ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक मदद देने का एलान किया है. मृतकों के परिवारों को 10 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी. वहीं, सामान्य रूप से घायल व्यक्ति को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
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