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सरकार ने लेटरल एंट्री से कदम पीछे खींचे थे, इसे बंद नहीं किया: रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने साल 2018 में लेटरल एंट्री योजना की शुरुआत की थी. साल 2021 और 2023 में इसके जरिए विशेषज्ञों की नियुक्ति भी हुई थी. योजना के तहत संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर के पदों के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे. तब कुल 63 लोगों को लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति मिली थी.

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लेटरल एंट्री मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है. (इंडिया टुडे)

पिछले साल संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के जरिए 45 पदों पर विशेषज्ञों की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया था. इस पर काफी बवाल हुआ. विपक्ष ने इसे ‘पिछले दरवाजे से आरक्षण खत्म करने की साजिश’ बताया. विवाद बढ़ता देख केंद्र सरकार ने कदम वापस खींचे और UPSC ने विज्ञापन वापस ले लिया. इसके बाद से लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती की योजना अधर में लटकी गई. लेकिन अब सरकार ने बताया है कि योजना बंद नहीं हुई है, अभी इस पर मंत्रालयों से रायशुमारी चल रही है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, UPSC ने 17 अगस्त, 2024 को लेटरल एंट्री के जरिए 45 पदों की भर्ती का विज्ञापन दिया था. 20 अगस्त को केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने का अनुरोध किया. क्योंकि विपक्षी पार्टियां लेटरल एंट्री में आरक्षण के सवाल पर सरकार को घेर रही थीं. बीजेपी के सहयोगी चिराग पासवान ने भी इसको लेकर सवाल उठाए थे.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया संविधान में निहित सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए. इसी तारीख को विज्ञापन रद्द कर दिया गया.

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लेटरल एंट्री के जरिए अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों की भर्ती केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है. 30 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से इस योजना की मौजूदा स्थिति के बारे में सवाल किया गया. उन्होंने माइक कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की सचिव रचना शाह की तरफ बढ़ा दिया, और कहा कि इसका जवाब वहीं बेहतर ढंग से दे सकती हैं. 

रचना शाह ने बताया कि लेटरल एंट्री के जरिए तीन किस्तों में लगभग 60 अधिकारियों की भर्ती की गई है और उनमें से लगभग 38 से 40 अधिकारी अभी अलग-अलग मंत्रालयों में काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे बताया,

 अभी हम योजना के असर के बारे में मंत्रालयों के साथ रायशुमारी कर रहे हैं. साथ ही उनको किस तरह की विशेषज्ञताओं की जरूरत है इसको भी समझने की कोशिश की जा रही है.

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इससे पहले इस साल जून में कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया था कि अभी इस योजना को बंद नहीं किया गया है. उन्होंने कहा था,

 सरकार ने इसे एक बहुत ही नेक इरादे से शुरू किया था और यह केवल इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हमारे पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा कोई व्यक्ति मौजूद था.

केंद्र सरकार ने साल 2018 में लेटरल एंट्री योजना की शुरुआत की थी. साल 2021 और 2023 में इसके जरिए विशेषज्ञों की नियुक्ति भी हुई थी. योजना के तहत संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर के पदों के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे. तब कुल 63 लोगों को लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति मिली थी.

वीडियो: सोशल लिस्ट : लेटरल एंट्री पर राहुल गांधी और चिराग पासवान के के समर्थक क्यों खुश?

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