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बांग्लादेश में उग्र भीड़ ने महिला पत्रकार को घेर लिया, भारतीय एजेंट कहा, फिर कैसे बचीं?

Bangladesh की राजधानी Dhaka में उग्र भीड़ ने पत्रकार Munni Saha को काफी देर तक बंधक बनाए रखा. आखिर कौन हैं मुन्नी साहा?

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पुलिस ने उन्हें घटनास्थल से सुरक्षित निकाला (फोटो-PTI)

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में उग्र भीड़ ने एक महिला पत्रकार को घेर लिया. भीड़ ने पत्रकार को तब तक बंधक बनाए रखा, जब तक पुलिस उन्हें बचाने नहीं आ गई. बांग्लादेश की पत्रकार मुन्नी साहा शनिवार, 30 नवंबर को देर शाम कवारन बाजार इलाके में एक मीडिया कंपनी के ऑफिस से निकल रही थीं. उसी वक़्त भीड़ ने उन्हें घेर लिया. उग्र भीड़ ने मुन्नी साहा की कार को रोक लिया. और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया. भीड़ ने उन पर भारतीय एजेंट होने का आरोप लगाया. और कहा वो पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना की समर्थक हैं.

घटना का वीडियो भी सामने आया है. जिसमें पत्रकार भीड़ से घिरी दिखाई देती हैं. भीड़ उनपर आरोप लगाते हुए सुनाई दे रही है. लोगों ने आरोप लगाया कि मुन्नी साहा बांग्लादेश को भारत का हिस्सा बनाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं. और झूठी जानकारी प्रसारित कर रही हैं. भीड़ आगे कहती है “तुम्हारे हाथ बांग्लादेशी छात्रों के ख़ून से रंगे हैं.” भीड़ के आरोप के जवाब में महिला पत्रकार कहती हैं. “ये मेरा भी देश है. मैंने कैसे देश को नुकसान पहुंचाया है?”

इंडिया टुडे में छपी ख़बर के मुताबिक़ बाद में ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस भी मौके पर पहुंची. पुलिस ने अपनी गाड़ी में मुन्नी साहा को घटना की जगह से निकाला. पुलिस पत्रकार को पहले तेजगांव पुलिस थाने ले गई. उसके बाद उन्हें ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच के दफ़्तर भेज दिया गया. पुलिस के इस तरह से पत्रकार को थाना ले जाने के बाद ये अफ़वाह भी उड़ी कि मुन्नी साहा गिरफ़्तार कर ली गई हैं. हालांकि, पुलिस ने बाद में स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि ऐसा नहीं है.

सीनियर पुलिस अधिकारी ने बांग्लादेशी अखबार डेली आब्जर्वर को बताया, “पुलिस ने मुन्नी साहा को हिरासत में नहीं लिया है. उन्हें सुरक्षा कारणों की वजह से डिटेक्टिव ब्रांच के दफ़्तर भेजा गया था.” पुलिस ने यह भी बताया कि 1 दिसंबर को सुबह-सुबह वो घर चली गईं. हालांकि, साहा के ऊपर चार मामले कोर्ट में चल रहे हैं. और इन मामलों में बेल और समन की सुनवाई के लिए उन्हें कोर्ट में पेश होना होगा. और कोर्ट के निर्देशों को मानना होगा. 

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यहां हम आपको बताते चलें कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद से दर्जनों पत्रकारों को राजद्रोह और पक्षपात के आरोप में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की केयरटेकर सरकार ने कई पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी है. और कई पर पुलिस ने विभिन्न मामलों में शिकायत दर्ज की है. उनके खिलाफ़ जांच और कार्रवाई चल रही है. हाल के हफ्तों में प्रमुख बांग्लादेशी समाचार पत्रों जैसे प्रथोम आलो और डेली स्टार के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं.

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