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वेज की जगह नॉनवेज आ गया, मुआवजा मांगने गए तो कंज़्यूमर फोरम बोला- 'शाकाहारी रेस्टोरेंट से क्यों नहीं मंगाया'

मुंबई के एक उपभोक्ता आयोग ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं मांसाहारी भोजन से आहत होती हैं, तो उसे ऐसे रेस्टोरेंट से खाना मंगाने से बचना चाहिए जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का खाना परोसते हैं.

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कंज्यूमर आयोग ने शिकायतकर्ताओं को हड़का दिया है (India Today)

मुंबई में रेस्टोरेंट के गलती से नॉनवेज खाना परोस देने की शिकायत लेकर पहुंचे 2 लोगों को मुंबई के एक उपभोक्ता आयोग ने जमकर हड़का दिया है. आयोग ने उनसे कहा कि मांसाहारी खाने से अगर आपकी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो ‘शुद्ध शाकाहारी’ वाले रेस्टोरेंट से खाना क्यों नहीं मंगवाया? दोनों शिकायतकर्ताओं ने आयोग के सामने रेस्टोरेंट से 3-3 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी, जिसे उसने खारिज कर दिया.

क्या मामला है, विस्तार से बताते हैं

'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के सायन इलाके में एक मोमो रेस्टोरेंट है. यहां से दो व्यक्तियों ने 'दार्जिलिंग मोमो कॉम्बो' मंगाया था. दावे के मुताबिक, उन्होंने बार-बार कहा था कि उन्हें सिर्फ शाकाहारी मोमोज़ चाहिए. इसके बावजूद उन्हें गलती से चिकन मोमोज़ परोस दिए गए.

शिकायतकर्ताओं ने कहा कि इस गलती की वजह से उन्हें मानसिक आघात पहुंचा है और उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. इसके लिए उन्हें 6 लाख रुपये का मुआवजा चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि रेस्टोरेंट के डिस्प्ले बोर्ड पर यह भी साफ-साफ नहीं लिखा था कि कौन-सा कॉम्बो वेज है और कौन-सा नॉनवेज.

इन आरोपों पर रेस्टोरेंट ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने खुद ही नॉनवेज मोमोज ऑर्डर किया था. बिल से भी ये बात साबित होती है. कंपनी ने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ताओं ने उनके कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया. इसके बाद उन्हें ऑर्डर का पैसा लौटा दिया गया और खाना भी मुफ्त में दिया गया. इतना ही नहीं, कंपनी ने उन्हें 1200 रुपये का गिफ्ट वाउचर भी ऑफर किया, लेकिन शिकायतकर्ताओं ने 3-3 लाख रुपये मांगे.

रेस्टोरेंट ने आयोग को बताया कि रिफंड के बाद शिकायतकर्ता उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता भी नहीं रहे.

आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शिकायत खारिज कर दिया. आयोग ने कहा,

शिकायतकर्ता खुद ही नॉनवेज मोमोज का ऑर्डर कर चुके थे. जैसा कि उनके इनवॉइस से स्पष्ट है. एक समझदार व्यक्ति को खाने से पहले शाकाहारी और मांसाहारी भोजन में फर्क समझ में आ जाता है.

आयोग ने आगे कहा, 

अगर शिकायतकर्ता इतने सख्त शाकाहारी थे और मांसाहारी भोजन उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करता है तो उन्होंने किसी ‘शुद्ध शाकाहारी’ रेस्टोरेंट से खाना क्यों नहीं मंगाया?

आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता यह साबित नहीं कर सके कि कंपनी की ओर से सेवा में कोई कमी रही है. इसके बाद उनका दावा खारिज कर दिया गया.

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