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'एक भी बच्चे का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ...', मध्यप्रदेश में कफ सिरप विवाद में बड़ा खुलासा

MP Cough Syrup Row: नागपुर मेडिकल कॉलेज में अदनान नाम के बच्चे की मौत हो गई थी, उसके पिता अमीन खान ने कहा, ‘हमें कभी नहीं बताया गया कि ये जरूरी है.’ एक अन्य पीड़ित परिवार ने भी यही बात दोहराई. बोले, ‘कोई भी अधिकारी हमसे बात करने नहीं आया.’

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कफ सिरप से जुड़े विवाद को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का भी बयान आया है. (फोटो- इंडिया टुडे)

मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत खबर चर्चा में है. दावा किया गया कि इन बच्चों की मौत की वजह उन बच्चों का 'कोल्ड्रिफ' नाम के कफ सिरप को पीना है. लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि एक भी बच्चे का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ है. अधिकारियों का दावा है कि परिवारों ने इसके लिए सहमति देने से मना कर दिया. जबकि मृतक बच्चों के परिवार वालों ने बताया कि उनसे किसी ने संपर्क ही नहीं किया. उन्होंने पूछा कि अगर तमिलनाडु सरकार रातोंरात कार्रवाई कर सकती थी, तो मध्य प्रदेश ने 11 बच्चों की मौत होने तक इंतजार क्यों किया?

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छिंदवाड़ा में कुल 14 बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक के रहने वाले थे. परसिया के SDM शुभम यादव ने दावा किया कि बच्चों के परिवारों ने सहमति देने से मना कर दिया था. जबकि NDTV से जुड़े अनुराग द्वारी की खबर के मुताबिक, बीते महीने मरने वाले पांच साल के उसैद के पिता यासीन खान ने कहा, ‘प्रशासन या अस्पताल में से किसी ने भी पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं कहा.’

रिपोर्ट के मुताबिक, नागपुर मेडिकल कॉलेज में अदनान नाम के बच्चे की मौत हो गई थी, उसके पिता अमीन खान ने कहा, ‘हमें कभी नहीं बताया गया कि ये जरूरी है.’ एक अन्य पीड़ित परिवार ने भी यही बात दोहराई. बोले, ‘कोई भी अधिकारी हमसे बात करने नहीं आया.’

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एक व्यक्ति के बेटे की 2 सितम्बर को मौते हो गई थी. उसने कहा कि उसे शव-परीक्षण (Autopsy) पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन किसी ने कभी पूछा ही नहीं.

सोता रहा प्रशासन!

मध्य प्रदेश में एक बच्चे का किडनी फेल होने का पहला मामला 24 अगस्त को सामने आया था. चार साल के शिवम राठौड़ की 2 सितंबर को मौत हो गई. अगले दो हफ्तों में किडनी फेल होने से छह और बच्चों की मौत हो गई. आरोप है कि फिर भी अधिकारियों ने इसे महज एक संयोग बताकर खारिज कर दिया.

इसके बाद, छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने कोल्ड्रिफ सिरप क्वॉलिटी पर सवाल तो उठाए, लेकिन उस पर बैन नहीं लगाया. सिर्फ 29 सितंबर को जांच के आदेश दिए. लेकिन सिरप में हानिकारक (toxicity) केमिकल की पुष्टि करने वाली परीक्षण रिपोर्ट चार दिन बाद, 3 अक्टूबर को आई. अगले ही दिन इसे पूरे राज्य में बैन कर दिया गया.

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इस बीच, तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोलर डिपार्टमेंट को इसे लेकर 1 अक्टूबर को मध्य प्रदेश से एक पत्र मिला. बताया गया कि उसी शाम जांच शुरू कर दी गई, जबकि 1 और 2 अक्टूबर को सरकारी छुट्टी थी. 3 अक्टूबर तक, तमिलनाडु के लैब ने पुष्टि की कि कोल्ड्रिफ सिरप (बैच SR-13) में 48.6 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) था. DEG के लिए कहा जाता है कि ये एक इंडस्ट्रियल केमिकल होता है, जो किडनी को खराब करने के लिए जाना जाता है. 

इसके 48 घंटों के भीतर, तमिलनाडु ने सिरप पर बैन लगा दिया, सारा स्टॉक फ्रीज कर दिया और कांचीपुरम में मौजूद मैनुफेक्चरर श्रीसन फार्मास्युटिकल्स को बंद कर दिया. आरोप हैं कि मध्य प्रदेश में ऐसी तत्परता नहीं दिखी. NDTV की रिपोर्ट में बताया गया कि दवाओं की सुरक्षा की निगरानी के लिए जिम्मेदार डिप्टी ड्रग कंट्रोल शोभित कोस्टा 1 अक्टूबर को तीर्थयात्रा पर गए थे. बताया गया कि भोपाल लैब के एनालिस्ट ने नवमी और दशहरा की छुट्टियां मनाईं. जबकि तमिलनाडु के वैज्ञानिकों ने गांधी जयंती पर काम किया.

तमिलनाडु की रिपोर्ट में 48.6 प्रतिशत DEG की पुष्टि होने के बाद, मध्य प्रदेश खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 4 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया. इसमें कोल्ड्रिफ सिरप और श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के सभी अन्य उत्पादों पर राज्य भर में प्रतिबंध लगाने की बात कही गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस खुलासे के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत बेहद दुखद है. इस सिरप और कंपनी के सभी अन्य उत्पादों की बिक्री पूरे मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित कर दी गई है. तमिलनाडु से जांच रिपोर्ट आज (5 सितंबर की) सुबह प्राप्त हुई और कड़ी कार्रवाई की गई है.

वीडियो: राजस्थान में जहरीले कफ सिरप से मरने वालों की संख्या बढ़ी, राज्य सरकार ने लिया एक्शन

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