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सूचना मंत्रालय ने रवीश कुमार, ध्रुव राठी को क्यों भेजा नोटिस? मामला अडानी से जुड़ा है

MIB ने अडानी समूह का जिक्र करने वाले कुल 138 वीडियो और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने के आदेश दिए हैं. जिन्हें नोटिस भेजे गए हैं, उनमें न्यूजलॉन्ड्री, द वायर, HW न्यूज के अलावा पत्रकार रवीश कुमार, यूट्यूबर ध्रुव राठी, आकाश बनर्जी (द देशभक्त) जैसे नाम भी शामिल हैं.

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MIB ने कई मीडिया संस्थानों और यूट्यूबर्स को नोटिस भेजा है. (तस्वीरें- इंडिया टुडे)

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय यानी MIB ने 16 सितंबर को देश के कुछ मीडिया संस्थानों और कई यूट्यूबर्स को नोटिस भेजा है. मामला अडानी समूह से जुड़ा है जो कोर्ट के एक आदेश के बाद सामने आया है. कोर्ट के आदेश को पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता ने चुनौती दी है. हालांकि, कोर्ट ने उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है. 

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पूरा मामला क्या है?

MIB ने अडानी समूह का जिक्र करने वाले कुल 138 वीडियो और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने के आदेश दिए हैं. जिन्हें नोटिस भेजे गए हैं, उनमें न्यूजलॉन्ड्री, द वायर, HW न्यूज के अलावा पत्रकार रवीश कुमार, यूट्यूबर ध्रुव राठी, आकाश बनर्जी (द देशभक्त) जैसे नाम भी शामिल हैं. नोटिस के अनुसार कोर्ट के आदेश के बावजूद इन लोगों ने कॉन्टेंट नहीं हटाया. इसलिए, 36 घंटे में कॉन्टेंट हटाकर मंत्रालय को जवाब देना होगा. नोटिस की कॉपी मेटा (इंस्टाग्राम) और गूगल (यूट्यूब) को भी भेजी गई. क्योंकि IT नियम 2021 के तहत इन प्लेटफॉर्म्स को कोर्ट का आदेश मानना जरूरी है.

हटाए जाने वाले कॉन्टेंट में केवल खोजी रिपोर्ट ही नहीं बल्कि सटायर या सब्सक्रिप्शन की अपील करने वाले वीडियो भी हैं. न्यूजमिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूजलॉन्ड्री को 42 वीडियो हटाने को कहा गया है, जिनमें एक सब्सक्रिप्शन अपील वीडियो भी है. इसमें अडानी स्टोरी का केवल स्क्रीनशॉट था.  

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नोटिस दिल्ली की रोहिणी कोर्ट के आदेश पर आधारित है. अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड यानी AEL ने एक मानहानि केस दायर किया था. कंपनी की दलील थी कि कुछ पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और संगठनों ने उनकी और गौतम अडानी के खिलाफ ‘गलत और बिना सबूत’ वाली खबरें या पोस्ट्स छापीं.

AEL का दावा है कि इससे कंपनी की छवि को नुकसान हुआ. साथ ही निवेशकों को अरबों रुपये का घाटा हुआ. इसके अलावा दुनिया भर में भारत की इमेज पर भी असर पड़ा. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने कहा कि ये लोग "भारत विरोधी हितों" के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को जानबूझकर निशाना बना रहे हैं.

इस विवाद के तार 2023 में छपी हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट से जुड़े हैं. इसमें अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर, टैक्स हेवन का मिसयूज और कर्ज से जुड़े गंभीर आरोप लगे थे. AEL का कहना है कि इन पत्रकारों ने हिंडनबर्ग की बातों को आधार बनाकर गलत खबरें फैलाईं, जिससे कंपनी को फंड जुटाने में दिक्कत आई. साथ ही कई प्रोजेक्ट्स में देरी हुई.

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इन दलीलों के बाद 6 सितंबर को रोहिणी कोर्ट के सीनियर सिविल जज अनुज कुमार सिंह ने एक एक्स-पार्टे यानी एकतरफा आदेश दिया. यह एक अस्थायी कोर्ट आदेश है, जो बिना दूसरी पार्टी को सुने दिया जाता है. यह तब होता है जब तुरंत कार्रवाई की जरूरत हो, ताकि गंभीर नुकसान रोका जा सके. 

आदेश में नाम किनका और कार्रवाई किनपर?

कोर्ट ने अपने आदेश में 9 लोगों/संगठनों का नाम लिया है. इनके नाम हैं,

परंजॉय गुहा ठाकुरता  
रवि नायर  
आबिर दासगुप्ता  
आयस्कांत दास  
आयुष जोशी  
बॉब ब्राउन फाउंडेशन  
ड्रीमस्केप नेटवर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड  
गेटअप लिमिटेड  
डोमेन डायरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ट्रेडिंग ऐज इंस्टरा  
अशोक कुमार

रोहिणी कोर्ट का यह आदेश एक ‘john doe order’ ऑर्डर है. 'जॉन डो' कानूनी भाषा में एक काल्पनिक या अज्ञात व्यक्ति का नाम होता है, जिसका इस्तेमाल मुकदमे में तब किया जाता है जब वकील या कंपनी को शिकायतकर्ता को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों की पूरी जानकारी न हो. इस केस में "जॉन डो" ऑर्डर का मतलब है कि कोर्ट ने न केवल 9 लोगों/संगठनों को, बल्कि अज्ञात लोगों को भी अडानी ग्रुप के खिलाफ बिना सबूत वाली डिफेमेशन कॉन्टेंट शेयर करने पर रोका लगाई है.

एक तरह से कोर्ट ने इस ऑर्डर से अडानी को शक्ति दी कि वे नए लिंक्स (URLs) भेजकर और कॉन्टेंट हटवा सकें. कोर्ट ने कहा कि गलत और बिना सबूत वाले कॉन्टेंट को 5 दिनों में हटाना होगा. ये भी कहा कि गलत और बिना सबूत वाले कॉन्टेंट को 5 दिनों में हटाना होगा. हालांकि, सही और पुष्ट खबरें छापने पर कोई रोक नहीं है.

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