पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी मां हीराबेन मोदी के AI जनरेटेड वीडियोज से जुड़ा मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. पटना हाई कोर्ट ने 36 सेकेंड के वीडियो को तुरंत हटाने की बात कही है (Court orders to remove PM Modi Mother AI video). ये वीडियो बिहार कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड किया था. हाई कोर्ट ने इसे प्राइवेसी और सम्मान के अधिकारों का उल्लंघन बताया है.
'पीएम मोदी और उनकी मां का AI वीडियो हटाओ', पटना हाई कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने विशेष रूप से मेटा (फेसबुक), गूगल इंडिया (यूट्यूब) और X इंडिया को वीडियो का सर्कुलेशन रोकने का आदेश दिया.


इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पटना हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस आलोक कुमार सिन्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई की. 15 सितंबर को विवेकानंद सिंह द्वारा ये याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने विशेष रूप से मेटा (फेसबुक), गूगल इंडिया (यूट्यूब) और X इंडिया को वीडियो का सर्कुलेशन रोकने का आदेश दिया.
बेंच ने मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रतिवादी बताते हुए आदेश दिया,
"आगे किसी भी तरह के नुकसान को रोकने के लिए प्रतिवादी संख्या 6-8 को निर्देश दिया जाता है कि वो इस बेंच द्वारा अगला आदेश पारित होने तक इस वीडियो क्लिप को शेयर ना करें."
बता दें कि बिहार कांग्रेस ने 10 सितंबर को ये वीडियो पोस्ट किया था. जिसे AI जनरेटेड मार्क किया गया था. विवादित वीडियो में पीएम मोदी अपनी दिवंगत मां को सपने में देख रहे थे. सपने में उनकी मां उनकी राजनीति की आलोचना करती दिख रही थीं. ये वीडियो बिहार चुनाव से जोड़कर बनाया गया था.
याचिका में इस कॉन्टेंट को प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘अपमानजनक’ बताया गया. वकील प्रवीण कुमार के माध्यम से दायर याचिका में सभी प्लेटफॉर्म्स से विवादित वीडियो को तुरंत हटाने और ब्लॉक करने की बात कही गई थी. साथ ही ये भी कहा गया था कि विवादित वीडियो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(4) के तहत एक 'करप्ट प्रैक्टिस' है.
याचिका में वीडियो की रिलीज टाइमिंग पर भी सवाल उठाया गया. कहा गया है कि ये पितृपक्ष के समय रिलीज किया गया. जिस समय प्रधानमंत्री अपनी दिवंगत मां से जुड़े अनुष्ठानों में व्यस्त थे.
हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के पहले दिए गए फैसलों और बयानों पर आधारित था. जिनमें संविधान के तहत निजता और सम्मान को मौलिक अधिकार माना गया है. कोर्ट ने जनहित याचिका में शामिल कई प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किया. जिसमें केंद्र सरकार, बिहार सरकार, बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति, भारत के चुनाव आयोग और कांग्रेस नेता राहुल गांधी शामिल हैं. इन सभी को निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है.
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