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बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद: SC ने यूपी सरकार के अध्यादेश पर क्या कहा?

सरकार मंदिर फंड से 500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर कॉरिडोर बनाना चाहती है. इसके लिए श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रंस्ट अध्यादेश लाया गया है. इसी को लेकर मंदिर प्रशासन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए इसके समाधान के लिए एक समिति बनाने की सलाह दी है.

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मथुरा बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत से सुलह करने की सलाह दी है. (इंडिया टुडे)

उत्तर प्रदेश सरकार मथुरा में बांके बिहारी कॉरिडोर (Banke Bihari Coridor) बनाने के लिए मंदिर फंड का इस्तेमाल करने के लिए एक अध्यादेश लाई है. मंदिर प्रशासन इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. कोर्ट ने 4 अगस्त को इस फैसले पर सुनवाई की है. सुप्रीम कोर्ट बेंच ने दोनों पक्षों को इस मसले को बातचीत से सुलझाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे, इसलिए इस मसले को बातचीत से सुलझा लेना चाहिए.

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सरकार मंदिर फंड से 500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर कॉरिडोर बनाना चाहती है. इसके लिए श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रंस्ट अध्यादेश लाया गया है. इसी को लेकर मंदिर प्रशासन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए इसके समाधान के लिए एक समिति बनाने की सलाह दी है. उसने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट को उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच करवा लेनी चाहिए थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार आदेश पारित करने की इतनी जल्दीबाजी में क्यों थी.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने 15 मई के उस मौखिक आदेश को भी वापस लेने का प्रस्ताव दिया, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर का फंड इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी. बेंच ने कहा, 

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हम यह प्रस्ताव रखते हैं कि पहले के फैसले के एक हिस्से को हम स्थगित रखेंगे. और मंदिर ट्रस्ट के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी हाई कोर्ट के पूर्व जज या सीनियर रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज की अध्यक्षता वाली अंतरिम समिति को सौंपी जा सकती है. यह समिति अध्यादेश की वैधता की जांच होने तक मंदिर ट्रस्ट का संचालन करेगी.

कोर्ट ने आगे कहा कि इस समिति को बुनियादी ढांचे में सुधार करने और श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए कुछ धनराशि के इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि मंदिर ट्रस्ट उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश को चुनौती दे सकता है. और उसे मंदिर के अनुष्ठानों और प्रबंधन में हस्तक्षेप करने से रोकने की मांग कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को सरकार से बातचीत कर इस प्रस्ताव पर 5 अगस्त की सुबह 10.30 बजे तक जवाब देने का समय दिया है.

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