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"तू मेरा शौक देख मेरा इंतजार देख", मनमोहन सिंह के वे बयान जो हमेशा के लिए उनसे जुड़ गए

मनमोहन सिंह मितभाषी थे. लेकिन जब भी बोले तो उनके बयान सुर्खियां बन गए. उनमें से कुछ के बारे में जानते हैं.

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मनमोहन सिंह ने 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. (तस्वीर:PTI)

भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को निधन हो गया. 26 दिसंबर की शाम घर पर उनकी तबीयत बिगड़ गई. इसके बाद दिल्ली के AIIMS अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में उन्हें भर्ती कराया गया था. कुछ देर बाद उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि की गई. 92 साल के मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. इससे पहले उन्होंने बतौर वित्त मंत्री 1991 में उदारीकरण की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई थी. मनमोहन सिंह मितभाषी थे. लेकिन जब भी बोले तो उनके बयान सुर्खियां बन गए. उनमें से कुछ के बारे में जानते हैं.

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जनवरी, 2014: इतिहास मेरे प्रति नरमी बरतेगा

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने दूसरे और आखिरी कार्यकाल के समाप्त होने से करीब 6 महीने पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. तारीख थी 3 जनवरी, 2014. उस वक्त मनमोहन सरकार के दूसरे कार्यकाल को लेकर कई सवाल उठ रहे थे. भ्रष्टाचार से लेकर घोटालों तक के कई आरोप थे. इस दौरान उन्होंने अपनी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड पर उठते सवालों का बचाव किया था. इस बीच मनमोहन सिंह से सवाल किया गया- आपके बारे में कहा जाता है कि आप कैबिनेट में मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं कर पाए.

मनमोहन सिंह ने जवाब दिया,

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“मैं मानता हूं कि अभी की मीडिया या संसद में विपक्ष की तुलना में इतिहास मेरे प्रति दयालु होगा. मैं पूरी बात बता नहीं सकता कि कैबिनेट में क्या-क्या बातें होती हैं. राजनीतिक मजबूरियां होती हैं और उसे देखते हुए मैंने सबसे अच्छा काम किया है. मैंने परिस्थितियों के अनुसार जितना अच्छा कर सकता था उतना अच्छा किया है. यह फैसला लेना इतिहास का काम है कि मैंने क्या किया है या क्या नहीं किया है.”

अगस्त, 2012: हज़ार जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी

मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान विपक्ष कोयला आवंटन में अनियमित्ता का आरोप लगा रही थी. विपक्ष लगातार मनमोहन सिंह का इस्तीफा मांग रहा था. इस दौरान मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर आरोपों को तथ्यों से परे बता दिया. लोकसभा में अपना बयान देने के बाद उन्होंने संसद भवन के बाहर मीडिया में भी बयान दिया. उनकी 'चुप्पी' पर ताना देने वालों को जवाब देते हुए मनमोहन सिंह ने शेर पढ़ा, “हज़ार जवाबों से अच्छी मेरी खामोशी, ना जाने कितने सवालों की आबरू रखी.”

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मार्च, 2011: माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं…

मनमोहन सिंह अक्सर अपने संयमित भाषणों के लिए जाने जाते रहे हैं. उन्होंने कई मौकों पर शेर-ओ-शायरी का इस्तेमाल करते हुए अपनी बात भी रखी है. एक ऐसा ही मौका आया 23 मार्च, 2011 के दिन. लोकसभा में संसद की कार्यवाही के दौरान बीजेपी की तरफ से दिवंगत सुषमा स्वराज ने शायराना अंदाज में हमला बोला. कहा,

“तू इधर-उधर की ना बात कर, ये बता कि क़ाफ़िला क्यों लुटा, हमें रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है.”

इसी के जवाब में मनमोहन सिंह ने अल्लामा इकबाल का एक शेर पढ़ा जो आजतक संसद के यादगार बयानों में शुमार किया जाता है. उन्होंने सुषमा स्वराज से मुख़ातिब होते हुए कहा,

“माना कि तेरे दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख.”

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के इस अंदाज को देखकर पक्ष-विपक्ष के सांसदों के बीच वाह-वाह और ठहाके गूंज उठे.

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