महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी फर्म की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सरकार ने इस फर्म को 21 करोड़ रुपये की बकाया स्टांप ड्यूटी अदा करने का आदेश दिया है. मामला पुणे की विवादित लैंड डील से ही जुड़ा है. इस बाबत महाराष्ट्र स्टांप रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने एमेडिया एंटरप्राइजेज LLP को फाइनल ऑर्डर जारी कर दिया है. इसी फर्म में पार्थ पवार को पार्टनर बताया जा रहा है. डिपार्टमेंट ने फर्म पर 1.47 करोड़ रुपये का जुर्माना भी ठोका है.
पुणे लैंड डील: अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को झटका, पिता की सरकार वसूलेगी 21 करोड़ रुपये
Pune के मुंढवा इलाके में स्थित 40 एकड़ जमीन कथित तौर पर एमेडिया एंटरप्राइजेज LLP नामक पुणे स्थित कंपनी को बेची गई थी. मई में हुए जमीन के सौदे में 300 करोड़ रुपये की लेनदेन हुई, जिसमें केवल 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी अदा की गई.


पुणे के मुंढवा में सरकारी जमीन की विवादित बिक्री से जुड़ी 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी सवालों के घेरे में है. छूट पाने के लिए फर्म ने विस्तार से जवाब दाखिल किया था, लेकिन विभाग ने उसे नामंजूर कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से सीनियर अधिकारियों ने गुरुवार, 11 दिसंबर को बताया कि फर्म को पूरा बकाया अदा करना होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि बकाया रकम के अलावा रजिस्ट्रेशन की तारीख से 1 फीसदी पेनल्टी भी देनी होगी. विवादित जमीन का बिक्रीनामा मई 2025 में हुआ था. माने, फर्म को 21 लाख रुपये प्रति महीना के हिसाब से 7 महीनों तक का जुर्माना लगा, जो 1.47 करोड़ रुपये होता है. फर्म को पूरी रकम 60 दिनों में अदा करनी है. फर्म या तो रकम का पेमेंट कर सकती है या चीफ कंट्रोलिंग रेवेन्यू अथॉरिटी (CCRA) के पास ऑर्डर के खिलाफ अपील कर सकती है.
डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि एमेडिया ने 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी को ‘गलत’ बताया था. इस फर्म में दिग्विजय पाटिल और पार्थ पवार पार्टनर हैं. गुरुवार को फर्म ने डिपार्टमेंट से कहा था कि वो 21 करोड़ रुपये की छूट पाने की हकदार है. इसके लिए उसने 20 बिंदुओं की प्रेजेंटेशन भी दी थी. लेकिन महाराष्ट्र सरकार के रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने फर्म को राहत नहीं दी.
गुरुवार को डिपार्टमेंट ने फर्म के वकीलों से साफ लफ्जों में कह दिया कि यह आखिरी सुनवाई है और उन्हें आगे नहीं बुलाया जाएगा. एक अधिकारी ने कहा,
"हमारे आदेश में दिए समय के अंदर उन्हें अपना जवाब देना है."
उन्होंने साफ किया कि आदेश केवल स्टांप ड्यूटी को लेकर ही है. दूसरी तरफ जिला प्रशासन जमीन के बिक्रीनामे को रद्द करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मई में हुए जमीन के सौदे में 300 करोड़ रुपये की लेनदेन हुई, जिसमें केवल 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी अदा की गई.
इस सौदे में 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी अदा करने का अनुमान था. पुणे डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर के जनरल मैनेजर के लेटर ऑफ इंटेंट के आधार पर ये कथित रियायत दी गई थी. सेल डीड रजिस्टर करने वाले तहसीलदार सूर्यकांत येवाले और सब-रजिस्ट्रार रवींद्र तारू को सरकार ने सस्पेंड कर दिया. बाद में तारू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
मुंढवा इलाके में स्थित 40 एकड़ जमीन कथित तौर पर एमेडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेची गई थी. इस जमीन की मार्केट वैल्यू लगभग 1,800 करोड़ रुपये बताई जा रही थी, लेकिन इसे बहुत कम कीमत पर बेचा गया. आरोप है कि 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी को भी माफ कर दिया गया. बाद में यह भी सामने आया कि यह जमीन महाराष्ट्र सरकार की है, जिसे बेचा नहीं जा सकता था.
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