'उपमुख्यमंत्री के बेटे को बचा रहे हो', अजित पवार के बेटे को लेकर HC ने पुलिस को रगड़ दिया
Pune Land Deal: मामला पुणे के मुंढवा इलाके में स्थित 40 एकड़ जमीन की बिक्री से जुड़ा है. ये जमीन कथित तौर पर अमेडिया एंटरप्राइजेज LLP नामक पुणे स्थित कंपनी को बेची गई थी, जो महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री Ajit Pawar के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी बताई जाती है.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार, 10 दिसंबर को पुणे पुलिस को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को लेकर कहा कि पुलिस “उपमुख्यमंत्री के बेटे को बचा रही है और दूसरों की जांच कर रही है.” यह टिप्पणी उस समय की गई जब पुणे लैंड डील केस की एक आरोपी महिला ने अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए याचिका दाखिल की थी. यह मामला पुणे में 300 करोड़ रुपये के जमीन सौदे से जुड़ा है.
पुणे की व्यवसायी शीतल तेजवानी इस लैंड डील में आरोपी हैं. उन्होंने इसी सौदे से जुड़ी दूसरी FIR में गिरफ्तारी से बचने के लिए पुणे की सेशन कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली. फिर शीतल तेजवानी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. तेजवानी की तरफ से सीनियर वकील राजीव चव्हाण पेश हुए.
बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान चव्हाण ने कोर्ट से कहा कि सेशन कोर्ट को शीतल तेजवानी को राहत देने पर विचार करना चाहिए था. लेकिन जस्टिस माधव जामदार ने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सेशन कोर्ट को समय दिया जाना चाहिए था, क्योंकि याचिका 9 दिसंबर को हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी.
इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद कोर्ट ने पुणे पुलिस की कड़ी आलोचना की और कहा,
"आप उपमुख्यमंत्री के बेटे को बचा रहे हैं और दूसरों की जांच कर रहे हैं."
FIR में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम ना होने पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की. आखिर में शीतल तेजवानी को अपनी जमानत याचिका वापस लेनी पड़ी. अब वे पुणे सेशन कोर्ट में राहत पाने की कोशिश करेंगी.
यह मामला पुणे के मुंढवा इलाके में स्थित 40 एकड़ जमीन की बिक्री से जुड़ा है. ये जमीन कथित तौर पर अमेडिया एंटरप्राइजेज LLP नामक पुणे स्थित कंपनी को बेची गई थी. यह कंपनी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी बताई जाती है.
इस जमीन की मार्केट वैल्यू लगभग 1,800 करोड़ रुपये बताई जा रही थी, लेकिन इसे बहुत कम कीमत पर बेचा गया. आरोप है कि 21 करोड़ रुपये के स्टांप ड्यूटी को भी माफ कर दिया गया. बाद में यह भी सामने आया कि यह जमीन महाराष्ट्र सरकार की है, जिसे बेचा नहीं जा सकता था.
तेजवानी जमीन के लिए वैध पावर ऑफ अटॉर्नी धारक होने का दावा करती हैं. खड़क पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में उनकी भूमिका के लिए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने उन्हें 3 दिसंबर को गिरफ्तार किया था. एक दूसरा केस बावधन पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ, जिसके इलाके में विवादित जमीन आती है.
तेजवानी को डर था कि अब उन्हें फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है, इसलिए उन्होंने पुणे सेशन कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की थी, लेकिन सेशन कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी और केवल पुलिस को नोटिस जारी किया.
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