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7 महीने से निगरानी, 8 घंटे का ऑपरेशन... एयरफोर्स और वन विभाग ने मिलकर ऐसे पकड़ा तेंदुआ

Leopard Rescue operation at Pune Airport: महाराष्ट्र वन विभाग ने प्रेस रिलीज जारी कर इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी दी और बताया कि कैसे महीनों की मेहनत से जाल बिछाकर इस तेंदुए को पकड़ा गया. ऑपरेशन में वन विभाग के साथ एक ट्रस्ट और भारतीय वायुसेना के लोग शामिल थे.

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पुणे एयरपोर्ट के पास स्पेशल ऑपरेशन से पकड़ा गया तेंदुआ. (Photo: ITG)

लगातार 7 महीने की निगरानी, फिर एयरफोर्स के साथ मिलकर 8 घंटे का ऑपरेशन और अंत में पकड़ा गया. चौंकिए मत, यह कोई मिलिट्री ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक तेंदुए को पकड़ने के लिए चलाया गया कैंपेन था. वन विभाग के साथ पुणे एयरपोर्ट के अधिकारी, एक ट्रस्ट और भारतीय वायुसेना के कुछ लोगों ने मिलकर यह खास ऑपरेशन चलाया. अंत में तेंदुए को सुरक्षित पकड़ लिया गया और जानवरों के डॉक्टर को इलाज के लिए सौंप दिया गया.

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क्या है मामला?

महाराष्ट्र वन विभाग ने शुक्रवार, 12 दिसंबर को प्रेस रिलीज जारी कर इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी दी और बताया कि कैसे महीनों की मेहनत से जाल बिछाकर इस तेंदुए को पकड़ा गया. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार वन विभाग ने बताया कि पुणे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहली बार 28 अप्रैल को तेंदुआ देखा गया था. इसके बाद एयरपोर्ट के अंदर जाने वाली सुरंगों, घनी झाड़ियां और कम भीड़ वाली जगहों पर नजर रखी गई. बताया गया कि एयरपोर्ट का इलाका बहुत बड़ा और सेंसटिव था. ऐसे में तेंदुए को पकड़ने में बहुत चुनौतियां और जोखिम थे.

वन विभाग ने बताया कि तेंदुए की ट्रैकिंग के लिए एयरपोर्ट के चारों ओर लाइव कैमरे लगाए गए. उसे कैद करने के लिए ट्रैप केज लगाए गए. फिर लगातार महीनों तक मॉनिटरिंग की गई. हालांकि, इस बीच वह केज में जाने से बचता रहा. वन विभाग के मुताबिक 4 दिसंबर को पता चला कि तेंदुआ अंडरग्राउंड टनल नेटवर्क में घुस गया है. इसके बाद टनल से निकलने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया. फिर लाइव सर्विलांस कैमरे एक्टिव किए गए और दूसरी जगह पर कैमरा ट्रैप लगाया गया, जिससे टनल में फंसे तेंदुए के मूवमेंट को बेहतर तरीके से ट्रैक किया जा सके.

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चलाया खास ऑपरेशन

वन विभाग के मुताबिक सर्विलांस से मिले डाटा के आधार पर गुरुवार, 11 दिसंबर को एक खास ऑपरेशन प्लान किया गया. इस ऑपरेशन में वन विभाग के साथ RESQ नाम के एक चैरिटेबल ट्रस्ट और भारतीय वायुसेना के लोग शामिल थे. विभाग ने बताया कि टीम ने मिलकर तेंदुए को 80 फुट की टनल में उस ओर जाने के लिए गाइड किया, जहां उसे बेहोश करने की दवा दी जा सकती थी. इसके बाद जमीन के नीचे कठिन परिस्थितियों में वाइल्डलाइफ वेटेरिनेरियन डॉ. गौरव मंगला ने तेंदुए को सफलतापूर्वक बेहोश कर लिया. फिर उसे टनल से सुरक्षित निकाला गया. फिलहाल तेंदुए को डॉक्टर की निगरानी में रखा गया है.

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वन विभाग का कहना है कि कई एजेंसियों के सटीक और संयम के साथ मिलकर काम करने की वजह से यह ऑपरेशन सफल हो पाया. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, RESQ चैरिटेबल ट्रस्ट, इंडियन एयर फोर्स, और एयरपोर्ट अथॉरिटीज़ ने कई महीनों तक बिना किसी रुकावट के काम किया.

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