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बेंगलुरु भगदड़: HC ने केस दर्ज करने का आदेश दिया, सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

Karnataka High Court: कर्नाटक सरकार ने इस हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. वहीं इस घटना पर हाई कोर्ट में एक PIL भी दाखिल की गई, जिसमें मांग की गई कि जांच हाई कोर्ट के एक मौजूदा जज की निगरानी में हो.

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कर्नाटक हाई कोर्ट ने बेंगलुरु भगदड़ मामले में स्वत संज्ञान लेकर सुनवाई की. (PTI)

बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए इस मामले में सुओ मोटो केस दर्ज करने का आदेश दिया और राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.

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यह फैसला कार्यवाहक चीफ जस्टिस वी कामेश्वर राव और जस्टिस सीएम जोशी की बेंच ने गुरुवार, 5 जून को सुनवाई के दौरान लिया. कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए यह जरूरी है कि घटना की निष्पक्ष जांच हो.

ये भगदड़ बुधवार, 4 जून को उस वक्त हुई जब IPL 2025 जीतने के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) टीम की झलक पाने के लिए भारी भीड़ स्टेडियम के बाहर जुटी थी. बताया जा रहा है कि शुरुआत में स्टेडियम में एंट्री के लिए पैसे लिए जा रहे थे, लेकिन बाद में जब फ्री एंट्री का एलान हुआ, तो अचानक भारी संख्या में लोग गेट पर पहुंच गए, जिससे भगदड़ मच गई.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने बुधवार, 4 जून को इस हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. वहीं इस घटना पर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) भी दाखिल की गई, जिसमें मांग की गई कि जांच हाई कोर्ट के एक मौजूदा जज की निगरानी में हो.

पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हुए सीनियर वकील अरुणा श्याम ने कोर्ट से कहा,

"राज्य सरकार को यह साफ करना चाहिए कि उन्होंने एंबुलेंस आदि कहां तैनात की थीं. जिस व्यक्ति को भीड़ को नियंत्रित करना था, उसे अब जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है. अदालत एक स्वतंत्र जांच एजेंसी नियुक्त करने का आदेश पारित कर सकती है."

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एक अन्य वकील ने सवाल उठाया कि यह कार्यक्रम किसने आयोजित किया, राज्य सरकार ने या कर्नाटक क्रिकेट संघ ने? उन्होंने यह भी पूछा कि जब खिलाड़ी ना देश के लिए खेले, और ना ही राज्य के लिए, तो सरकार को उन्हें सम्मानित करने की क्या जरूरत थी?

सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने कहा कि सरकार इस मामले में कोई अलग रुख नहीं अपना रही है. उन्होंने कहा कि हमने मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी है और 15 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में आम लोग और गवाह जांच अधिकारी को जानकारी दे सकते हैं.

कोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों, इसके लिए सरकार को एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल (SOP) तैयार करना चाहिए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 जून को होगी.

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