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13 साल की लड़की को दीक्षा दी, अखाड़े को खबर लग गई, फिर महंत को क्या 'सजा' दी?

Juna Akhara के नियमों के मुताबिक, 25 साल से कम उम्र की महिलाओं को अखाड़ा में प्रवेश नहीं दिया जाता. 10 जनवरी को इस मामले को लेकर एक बैठक हुई. विचार-विमर्श के बाद सबकी सहमति से ये फैसला लिया गया.

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(फाइल फोटो)

UP के प्रयागराज में एक नाबालिग लड़की को जूना अखाड़ा (Juna Akhara Controversy) में शामिल किया गया था. 13 साल की एक लड़की को दीक्षा दी गई थी. अखाड़ा ने इसे नियमों के खिलाफ माना है. इसलिए लड़की को जूना अखाड़ा से निष्कासित कर दिया गया है. साथ ही दीक्षा देने वाले महंत कौशल गिरी को सात सालों के लिए अखाड़ा से बाहर कर दिया है.

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरी ने 11 जनवरी को इसकी जानकारी दी है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट की मुताबिक, उन्होंने कहा है कि अखाड़ा के नियमों के मुताबिक, 25 साल से कम उम्र की महिलाओं को अखाड़ा में प्रवेश नहीं दिया जाता. 10 जनवरी को इस मामले को लेकर एक बैठक हुई. विचार-विमर्श के बाद सबकी सहमति से ये फैसला लिया गया. 

उन्होंने आगे बताया कि नाबालिग लड़की को सम्मानपूर्वक उनके परिवार के पास पहुंचाया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि माता-पिता अगर किसी नाबालिग लड़के को अपनी मर्जी से अखाड़ा को सौंपते हैं, तो उसे नियमों के अनुसार अखाड़ा में शामिल किया जा सकता है.

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लड़की की मां ने बताया कि कौशल गिरी उनके गांव में तीन सालों से भागवत कथा सुनाने आते हैं. इसी दौरान उनकी बेटी उनसे प्रभावित हो गई. इसके बाद उसने दीक्षा ले ली. उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर साध्वी बनने की इच्छा जताई थी. इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को जूना अखाड़ा को सौंप दिया. कौशल गिरी ने नाबालिग लड़की को दीक्षा देकर उसका एक नया नाम रखा. 

10 जनवरी को हुई बैठक में अखाड़ा ने कौशल गिरी पर नाराजगी व्यक्त की. इस बैठक में जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरी गिरी, अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी के साथ कई वरिष्ठ संत मौजूद थे. उन्होंने इस बात पर सवाल उठाया कि कौशल गिरी ने अखाड़ा को सूचित किए बगैर एक नाबालिग लड़की को कैसे दीक्षा दी.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में देश में 13 अखाड़े हैं. पहले इनकी संख्या कम थी. इन सब में जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है. माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इसकी स्थापना की थी. 

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