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धनखड़ की इस्तीफे से पहले दो बड़े मंत्रियों से हुई थी बात, उन्हें बोला गया था- 'PM मोदी उनसे... '

JP Nadda और Kiren Rijiju ने 21 जुलाई की दोपहर 12.30 बजे हुई बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की पहली बैठक के बाद jagdeep dhankhar से बात की थी. इस बातचीत के बाद शाम 4 बजकर 30 मिनट पर हुई BAC की दूसरी बैठक में इन नेताओं ने हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया.

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इस्तीफे से पहले दो बड़े केंद्रीय मंत्रियों ने जगदीप धनखड़ से बात की थी

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद से अटकलों का दौर जारी है. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पद छोड़ा है. लेकिन इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इस्तीफे के दिन उन्होंने राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग नोटिस को स्वीकार किया था. अब खबर है कि विपक्ष के नोटिस को स्वीकारने के बाद दो बड़े केंद्रीय मंत्रियों ने उनसे बात की थी. दोनों में से एक केंद्रीय मंत्री ने संकेत भी दिए थे कि प्रधानमंत्री इस फैसले से खुश नहीं है, इसपर धनखड़ का जवाब आया कि वह नियमों के दायरे में ही काम कर रहे हैं.

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और राज्यसभा के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 21 जुलाई को धनखड़ से बात की थी. यह बातचीत जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए गए महाभियोग नोटिस पर धनखड़ के राज्यसभा में बोलने के बाद हुई थी. इस नोटिस पर विपक्ष के 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे.

इस मामले से जुड़े एक शख्स ने नाम ने छापने की शर्त पर बताया कि किरेन रिजिजू ने धनखड़ को बताया कि लोकसभा में महाभियोग नोटिस पर सहमति बनाने की प्रक्रिया चल रही है. और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इस नोटिस पर साइन किया है. साथ ही रिजिजू ने ये संकेत भी दिया कि पीएम अचानक हुए इस घटनाक्रम से खुश नहीं हैं. इस पर धनखड़ ने जवाब दिया कि वह सदन के नियमों के तहत ही काम कर रहे हैं.

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जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने 21 जुलाई की दोपहर 12.30 बजे हुई बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की पहली बैठक के बाद जगदीप धनखड़ से बात की थी. इस बातचीत के बाद शाम 4 बजकर 30 मिनट पर हुई BAC की दूसरी बैठक में इन नेताओं ने हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया.

ये भी पढ़ें - 'अचानक राष्ट्रपति भवन में धनखड़ की एंट्री से हड़कंप', उससे पहले एक मीटिंग ने इस्तीफे की कहानी लिख दी

दरअसल केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को पहले लोकसभा में पारित करना चाहती थी. इसे सरकार की सफलता के तौर पर प्रचारित किया जाता. और न्यायपालिका को एक स्पष्ट संदेश जाता. लेकिन जगदीप धनखड़ ने उनकी योजना पर पानी फेर दिया. 

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