राजस्थान के जोधपुर जिले में 16 दोषी पुलिस की कैद से भाग निकले. पुलिस पर भी इस मामले को छह दिनों तक छिपाए रखने का आरोप लग रहा है. फरार हुए सभी 16 लोगों को एससी/एसटी मामलों की एक स्पेशल कोर्ट ने सात-सात साल की जेल की सजा सुनाई थी. इनके खिलाफ ये आरोप साबित हो चुका था कि इन्होंने करीब 13 साल पहले एक दलित बस्ती में हमला, आगजनी, गोलीबारी की थी. साथ ही, संपत्ति और कीमती सामानों को नुकसान पहुंचाया था.
दलित बस्ती जलाने वाले 16 दोषी सजा मिलते ही कोर्ट से भागे, पुलिस 6 दिन चुप रही
16 Convicts Escaped From Jodhpur SC-ST Court: मामला 26 सितंबर का है. कोर्ट ने सजा सुनाने के बाद गार्ड को सभी आरोपियों को हिरासत में लेने के आदेश दिए. लेकिन जब गार्ड उन्हें हिरासत में लेने पहुंचा, तो सभी दोषी कोर्ट से भाग गए थे.


आजतक से जुड़े अशोक शर्मा के इनपुट के मुताबिक, उदयमंदिर पुलिस थाने के प्रमुख (SHO) सीताराम खोजा ने बताया कि मामला 26 सितंबर का है. शाम को कोर्ट के रीडर संजय पुरोहित ने थाने पहुंचकर मामला दर्ज कराया था. इसमें बताया गया कि कोर्ट ने सजा सुनाने के बाद गार्ड को सभी आरोपियों को हिरासत में लेने के आदेश दिए. लेकिन जब गार्ड उन्हें हिरासत में लेने पहुंचा, तो सभी दोषी कोर्ट से भाग गए थे.
SHO सीताराम खोजा ने मीडिया से बात करते हुए पुष्टि की कि 26 तारीख को ही मामला दर्ज कर लिया गया था. उन्होंने बताया कि कोर्ट से रिकॉर्ड मांग लिया है और ऑर्डर शीट मिलते ही दोषियों के खिलाफ कारवाई की जाएगी. पड़ासला गांव के बताए इन लोगों का कोर्ट से पूरा रिकॉर्ड मिला नहीं है. उसके बाद ही आगे की जांच की जाएगी. जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
दरअसल, 31 जनवरी, 2012 की रात 150-200 लोगों ने ओसियां शहर के पास पड़ासला गांव में एक दलित बस्ती पर हमला किया था. बताया गया कि इस दौरान गांव में आगजनी, गोलीबारी की गई. और संपत्ति और कीमती सामान को नुकसान पहुंचाया गया था.
जोधपुर के एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम मामलों के एक स्पेशल कोर्ट में ये मामला पहुंचा था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कुल 19 आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत पेश किए. इनमें से तीन की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी. अन्य 16 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी ठहराया और सजा सुनाई. कोर्ट ने आदेश दिया कि इन 16 लोगों को सात-सात साल के लिए जेल भेजा जाए.
सजा सुनाते हुए स्पेशल जज गरिमा सौदा ने कहा था कि सजा हमेशा अपराध की गंभीरता के अनुपात में दी जानी चाहिए. वहीं, पीड़ित या आरोपी के धर्म, जाति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर निर्धारित नहीं की जानी चाहिए.
वीडियो: 5,300 करोड़ के स्टर्लिंग बायोटेक घोटाले की पूरी कहानी, जिसमें सांदेसरा बंधु पैसा लेकर भाग गए