दिल्ली पुलिस ने QR कोड में हेरफेर करके डिजिटल पेमेंट हड़पने के एक मामले में 19 साल के युवक को गिरफ्तार किया है. ये मामला दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में स्थित एक कपड़ों की दुकान से जुड़ा है. आरोपी की पहचान मनीष वर्मा के रूप में हुई है, जो राजस्थान के जयपुर जिले के चाकसू का रहने वाला है.
QR कोड स्कैम: 19 साल के लड़के ने फिल्म 'वेट्टैयन' से लिया आइडिया, 1.4 लाख की ठगी, गिरफ्तार
आरोपी के पास 100 से ज्यादा एडिटेड QR Code, मोबाइल फोन, चैट, स्क्रीनशॉट और फाइनेंशियल रिकॉर्ड बरामद हुए.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये मामला 13 दिसंबर 2025 को सामने आया. दिल्ली स्थित एक कपड़ों की दुकान में एक कस्टमर ने 2.5 लाख रुपये की लहंगा खरीदा. उसने UPI के जरिए दो पेमेंट की. एक 90,000 रुपये की और दूसरा 50,000 रुपये की. लेकिन पेमेंट दुकानदार के खाते में नहीं पहुंची. कुल 1 लाख 40 हजार रुपये की धोखाधड़ी हुई.
जिसके बाद दुकानदार ने शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने जांच शुरू की. पुलिस की जांच और फाइनेंशियल ट्रेल से पता चला कि QR कोड में छेड़छाड़ की गई थी. आरोपी ने दुकान के असली मर्चेंट क्यूआर कोड को चुपके से लिया और AI बेस्ड इमेज एडिटिंग ऐप्स की मदद से उसमें बैंक डिटेल्स बदल दिए. माने, उसने अपना QR कोड उसमें जोड़ दिया. लेकिन QR कोड की बाहरी तस्वीर और दिखावट बिल्कुल वैसी ही रखी ताकि कस्टमर को शक न हो. और जब कस्टमर ने उसे स्कैन किया तो पैसे सीधे मनीष के खाते में चले गए.
पुलिस ने इंटर स्टेट ऑपरेशन लॉन्च किया. और मनीष को चाकसू से गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से 100 से ज्यादा एडिटेड क्यूआर कोड, मोबाइल फोन, चैट, स्क्रीनशॉट और फाइनेंशियल रिकॉर्ड बरामद हुए. आरोपी ने पूछताछ में कबूल किया कि ये फ्रॉड करने का आइडिया उसे रजनीकांत की फिल्म ‘वेट्टैयन’ के कुछ सीन से मिला था. उसने फिल्म में दिखाए गए तरीके को असल जिंदगी में लागू करने की कोशिश की.
उत्तर दिल्ली के DCP राजा बांठिया ने मामले को लेकर बताया,
"कुल 1.40 लाख रुपये के दो ट्रांजेक्शन हुए, लेकिन दुकानदार के पास एक भी पैसा नहीं पहुंचा था. साइबर पुलिस ने तुरंत FIR दर्ज की, जांच शुरू की, फ्रॉड अकाउंट को ट्रेस किया और राजस्थान के जयपुर जिले के चाकसू इलाके से आरोपी को धर दबोचा. उसके घर की तलाशी में 100 से ज्यादा टैम्पर किए हुए QR कोड बरामद हुए. पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि वो ऑनलाइन दुकानदारों/वेंडर्स से बात करता था, सामान में इंटरेस्ट दिखाता था और पेमेंट के लिए उनका QR कोड मांग लेता था. फिर वो AI सॉफ्टवेयर की मदद से उस QR कोड में थोड़ा-सा बदलाव करता था, लेकिन QR का असली कोड वही रहता था. ये बदला हुआ QR कोड वो वेंडर को WhatsApp पर भेज देता था.”

अधिकारी ने आगे ये भी बताया कि बरामद डिजिटल सबूतों से संकेत मिल रहे हैं कि और भी पीड़ित हो सकते हैं, जिनकी जांच जारी है.
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