राजस्थान के अलवर जिले के एक गांव में पुलिस रेड के दौरान 25 दिन के नवजात की मौत हो गई. न्याय की मांग को लेकर गुस्साए स्थानीय निवासी नवजात के घर के बाहर धरना दे रहे हैं. लोगों ने घटना के लिए पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराया है और कहा है कि अगर सस्पेंशन और गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. उधर, पुलिस ने इस मामले में दो कॉन्स्टेबलों के खिलाफ FIR दर्ज की है.
राजस्थान पुलिस पर जांच बैठाई गई, रेड के दौरान पुलिसवालों की लापरवाही से नवजात की मौत का मामला
राजस्थान के अलवर जिले के एक गांव में पुलिस रेड के दौरान 25 दिन के नवजात की मौत हो गई. न्याय की मांग को लेकर गुस्साए स्थानीय निवासी नवजात के घर के बाहर धरना दे रहे हैं. लोगों ने घटना के लिए पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराया है और कहा है कि अगर सस्पेंशन और गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. उधर, पुलिस ने इस मामले में दो पुलिसवालों के खिलाफ FIR दर्ज की है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दो पुलिसवालों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है और पांच पुलिसवालों को अलवर पुलिस हेडक्वार्टर में रिपोर्ट करने को कहा गया है. नौगांव थाने के पूर्व SHO अजीत बडसरा को नई पोस्टिंग का इंतजार है. फिलहाल, अब तक किसी भी पुलिसकर्मी को सस्पेंड नहीं किया गया है. उधर, पिछले एक हफ्ते से पीड़ित परिवार के घर के सामने धरना जारी है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर सस्पेंशन और गिरफ्तारी नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
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अलवर के SP संजीव नैन ने कहा कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. भिवाड़ी के एडिशनल SP अतुल साहू मामले की जांच कर रहे हैं. 11 मार्च को उन्होंने इलाके का दौरा भी किया. जांच रिपोर्ट आने के बाद आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी. अलवर के चीफ मेडिकल ऑफिसर सुनील चौहान ने कहा कि FSL रिपोर्ट अभी नहीं आई है. रिपोर्ट आने के बाद ही नवजात की मौत का कारण साफ हो पाएगा.
क्या है पूरा मामला?घटना 2 मार्च की सुबह 6 बजे की है. बच्ची की मां रजीदा ने बताया कि जब दो पुलिसवाले कमरे में आए, तो उन्होंने बताया था कि बच्ची खाट पर सो रही है. लेकिन पुलिसवालों ने उनकी बात अनसुनी कर दी. जैसे ही पुलिस ने उनके पति को घर से बाहर निकाला, तो वो अपनी बच्ची की ओर दौड़ी. उन्होंने देखा कि बच्ची की नाक से खून बह रहा था और उसकी सांसें नहीं चल रही थीं. वहीं, परिवार ने इस बात से इनकार किया कि उनका साइबर क्राइम से कोई लेना-देना है. इसके बाद, परिवार के सदस्य शिकायत दर्ज कराने के लिए नौगांव पुलिस थाने गए. रजीदा के भाई शौकीन मेव (35) ने आरोप लगाया कि थाने में मौजूद पुलिस ने शुरू में ऐसी किसी घटना से इनकार किया और जबरन उनसे एक खाली कागज़ पर साइन करवा लिए. बाद में उन्हें पता चला कि उस कागज़ पर अधिकारियों ने लिखा था कि बच्ची पहले से ही बीमार थी और इसी वजह से उसकी मौत हुई.
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अलवर के SP संजीव नैन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि पुलिस ने परिवार से जबरन कागज़ पर साइन करवाए हैं या नहीं. एडिशनल SP अतुल साहू ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.
स्थानीय लोगों में गुस्सानवजात की मौत के बाद परिवार और स्थानीय लोगों में काफी रोष है. परिवार की मदद करने वाले एक्टिविस्ट मौलाना ताहिर ने कहा कि स्थानीय लोग थाने के अधिकारियों को सस्पेंड करने और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. पुलिसवालों को हेडक्वार्टर बुलाए जाने पर ताहिर ने कहा कि यह सज़ा पर्याप्त नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन चाहता है कि कुछ दिनों में मामला शांत हो जाए और बाद में सभी दोषियों को छोड़ दिया जाए.
राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रियाविपक्ष के नेता, कांग्रेस के टीकाराम जूली ने अलवर जिले का दौरा किया और सरकार पर साइबर धोखाधड़ी के नाम पर बेकसूर लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया. वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) अलवर के जिला सचिव रईसा ने कहा कि लगभग छह पुलिसवाले कमरे में घुसे, लेकिन सिर्फ दो कॉन्स्टेबलों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. स्थानीय निवासियों का दावा है कि जिले के किसी भी सीनियर अधिकारी या अलवर से चुने गए नेताओं ने अब तक परिवार से मुलाकात नहीं की.
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