कई दिनों से इंडिगो एयरलाइन को लेकर बवाल मचा हुआ है (IndiGo Crisis). एयरलाइन ने पिछले पांच दिनों में रिकॉर्ड संख्या में उड़ानें रद्द की हैं, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी है. फ्लाइट देरी से चल रही हैं, कई रद्द हो रही हैं और पूरे सिस्टम में अफरा-तफरी मची हुई है. इससे लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं कि एयरलाइन के बोर्ड में बैठे बड़े-बड़े नाम आखिर कर क्या रहे हैं?
IndiGo संकट के बीच हाई प्रोफाइल बोर्ड पर सवालिया निशान, दो सालों से कर क्या रही थी रिस्क कमेटी?
IndiGo Crisis: सबसे बड़ा सवाल यह है कि बोर्ड ने कंपनी के मैनेजमेंट से कितनी बार ये पूछा कि New Flight Duty Time Rules के लिए कंपनी ने क्या तैयारी की है. बोर्ड में कई बड़े नाम शामिल है.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिगो एयरलाइन के बोर्ड में कई बड़े नाम शामिल है, जिनमें एक पूर्व पूंजी बाज़ार नियामक (कैपिटल मार्केट रेगुलेटर), एक पूर्व वायुसेना प्रमुख, एक पूर्व G20 शेरपा और अमेरिकी विमानन प्रशासन के पूर्व प्रमुख, जैसे दिग्गज शामिल हैं.
6 दिसंबर को, इंडिगो ने एक बयान जारी कर बताया कि जिस दिन से संकट शुरू हुआ, उसके एक दिन पहले ही बोर्ड की बैठक हुई और मैनेजमेंट से जानकारी ली गई. इसके बाद बोर्ड के सदस्यों ने अलग-अलग बैठक की और एक ‘क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप’ (संकट प्रबंधन समूह) बनाने का फैसला लिया गया.
इस ग्रुप में इंडिगो के चेयरमैन विक्रम सिंह मेहता, डायरेक्टर ग्रेग सारेत्स्की, माइक व्हिटेकर (पूर्व-एफएए प्रमुख), अमिताभ कांत (पूर्व सीईओ, नीति आयोग) और सीईओ पीटर एल्बर्स शामिल थे. बयान में कहा गया है कि यह ग्रुप स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए नियमित रूप से बैठकें कर रहा है और बोर्ड के दूसरे सदस्यों के साथ कई बार टेलीफोन पर भी चर्चा हुई है.
लेकिन बोर्ड के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि बोर्ड ने कंपनी के मैनेजमेंट से कितनी बार ये पूछा कि नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम रुल (FDTL- यानि पायलटों के आराम और काम के घंटों के नियम) के लिए तैयारी कैसी चल रही है. ये नियम तो DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने लगभग दो साल पहले, जनवरी 2024 में ही लागू करने के लिए कह दिए थे. फिर भी आज हालात ये हैं कि इंडिगो इसके लिए तैयार ही नहीं दिख रही.
‘नए पायलट रेस्ट रूल’ 1 जून, 2024 से लागू होने वाले थे. लेकिन एयरलाइंस के विरोध के बाद इन्हें मार्च 2024 में स्थगित कर दिया गया. आखिरकार, नए FDTL को दो चरणों में लागू किया जाना था- 1 जुलाई, 2025 और 1 नवंबर, 2025. जैसा कि DGCA और सरकार ने इस साल अप्रैल में दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था.
एक्सप्रेस ने बोर्ड के सदस्य व्हिटेकर और वकील पल्लवी श्रॉफ को सवालों की एक लिस्ट भेजी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसी तरह चेयरमैन मेहता, भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख बीएस धनोआ और दामोदरन को मैसेज किए गए, लेकिन उनका भी कोई उत्तर नहीं मिला.
सवालों का जवाब देते हुए, अमिताभ कांत ने कहा कि वह अभी-अभी बोर्ड में शामिल हुए हैं और इसलिए उनके लिए टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा, "कृपया चेयरमैन और सीईओ से बात करें." कांत इसी साल 15 सितंबर को इंडिगो बोर्ड में शामिल हुए थे.
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6 दिसंबर को DGCA ने सीईओ एल्बर्स और सीओओ इसिड्रे पोरक्वेरस को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा. अब DGCA ने उन्हें दिया गया समय और 24 घंटे के लिए बढ़ा दिया है.
एक्सपर्ट्स सवाल उठा रहे हैं कि क्या बोर्ड ने पायलटों की कमी से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठाए थे. यह साफ नहीं है कि DGCA पिछले छह महीनों से एयरलाइंस की तैयारियों पर नज़र रख रहा था या नहीं.
इंडिगो की पिछले दो सालों, 2023-24 और 2024-25 की सालाना रिपोर्ट्स देखने पर पता चलता है कि नए FDTL का एक बार भी जिक्र नहीं है, यहां तक कि एयरलाइन की ‘जोखिम प्रबंधन रिपोर्ट्स’ (रिस्क मैनेजमेंट रिपोर्ट्स) में भी नहीं.
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