हाल ही में अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर GBU-57 बंकर-बस्टर बमों से हमला किया. पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव ने भारत को भी अपनी डिफेंस स्ट्रैटेजी का टर्बो मोड ऑन करने के लिए मजबूर कर दिया है. बात करेंगे बंकर-बस्टर मिसाइल की, जो भारत की डिफेंस पावर को और चमकाने वाली है (Agni-5 'bunker buster' missile). लेकिन इससे पहले थोड़ा बैकग्राउंड जानते हैं.
भारत भी बनाएगा बंकर-बस्टर मिसाइल, DRDO ने प्लान तैयार कर लिया है!
अग्नि-5 को एक ऐसे बंकर-बस्टर वॉरहेड के साथ अपग्रेड किया जा रहा है, जो दुश्मन के सबसे मजबूत अंडरग्राउंड ठिकानों को भी ध्वस्त कर सकता है.

22 जून 2025 को अमेरिका ने अपने B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स से ईरान के तीन बड़े न्यूक्लियर साइट्स—फोर्डो, नटांज, और इस्फहान—पर धमाकेदार हमला किए. इन हमलों में 30,000 पाउंड (करीब 13,600 किलो) वजनी GBU-57 मैसिव ऑर्डिनेंस पेनिट्रेटर (MOP) बमों का इस्तेमाल हुआ. जो जमीन के 200 फीट नीचे तक धंसकर बंकरों को नेस्तनाबूद कर सकते हैं. एक पहाड़ के नीचे बनी ईरान की सबसे मजबूत न्यूक्लियर साइट फोर्डो को छह ऐसे ही बमों से टारगेट किया गया. साथ ही, अमेरिकी नेवी की सबमरीन्स ने 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें भी दागीं. इस ऑपरेशन का नाम था ‘मिडनाइट हैमर’. पूरी दुनिया का इसने ध्यान खींच लिया. लेकिन भारत के लिए ये सिर्फ खबर नहीं थी, बल्कि एक वेक-अप कॉल थी.
भारत ने क्यों दबाया एक्सीलेटर?अमेरिका-ईरान की इस मिलिट्री ड्रामे ने भारत को अपनी बंकर-बस्टर टेक्नोलॉजी पर और तेजी से काम करने की प्रेरणा दी. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने अपने अग्नि-5 मिसाइल को और घातक बनाने का फैसला किया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अब अग्नि-5 को एक ऐसे बंकर-बस्टर वॉरहेड के साथ अपग्रेड किया जा रहा है, जो दुश्मन के सबसे मजबूत अंडरग्राउंड ठिकानों को भी ध्वस्त कर सकता है. ये मिसाइल पहले से ही 5,000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. और अब इसमें सबसे बड़ा कन्वेंशनल वॉरहेड जोड़ा जाएगा, जो इसे और खतरनाक बनाएगा.
जरा सोचिए, दुश्मन ने अपने हथियार या न्यूक्लियर साइट्स को जमीन के नीचे, मजबूत कंक्रीट के बंकरों में छुपा रखा हो. आम बम तो इनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते. यहीं काम आता है बंकर-बस्टर! ये खास बम पहले जमीन में गहराई तक घुसते हैं. फिर धमाका करते हैं. अमेरिका का GBU-57 ऐसा ही हथियार है, जो 60 फीट कंक्रीट या 200 फीट मिट्टी को भेद सकता है. भारत के पास अभी ऐसा कोई बम नहीं है. लेकिन DRDO की नजर अब ऐसी टेक्नोलॉजी पर ह. पहले भारत ने 2019 के बालाकोट स्ट्राइक में इजरायली SPICE-2000 बम और राफेल जेट्स के HAMMER मिसाइल्स का इस्तेमाल किया था, जो बंकरों को अंदर से तबाह करने में माहिर हैं.
भारत का डिफेंस गेम प्लानDRDO का ये प्रोजेक्ट भारत की स्ट्रैटेजिक सुप्रीमेसी को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है. हाल ही में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल्स का इस्तेमाल हुआ. अब अग्नि-5 को बंकर-बस्टर बनाने की कवायद से भारत अपने पड़ोसियों, खासकर पाकिस्तान और चीन को साफ मैसेज दे रहा है कि वो किसी भी चुनौती के लिए तैयार है.
क्या हैं चुनौतियां?हालांकि, ये प्रोजेक्ट इतना आसान नहीं है. बंकर-बस्टर मिसाइल बनाना टेक्नोलॉजी और फंडिंग, दोनों के लिहाज से महंगा है. साथ ही, क्षेत्रीय और वैश्विक डिप्लोमेसी में भी इसका असर होगा. भारत ने हमेशा शांति और डिप्लोमेसी की वकालत की है, जैसा कि PM मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति से बातचीत में जाहिर किया. लेकिन डिफेंस में मजबूती के लिए ये कदम जरूरी है.
अमेरिका-ईरान टकराव ने दिखाया कि बंकर-बस्टर जैसे हथियार कितने गेम-चेंजर हो सकते हैं. भारत का ये कदम न सिर्फ उसकी मिलिट्री ताकत बढ़ाएगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान दे सकता है. तो, क्या भारत का अग्नि-5 बंकर-बस्टर दुनिया का ध्यान खींचेगा? इसका जवाब तो आने वाले दिनों में मिलेगा.
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