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कई देश भारत को अब सस्ता माल बेचेंगे, लेकिन इससे सरकार की चिंता क्यों बढ़ गई है?

अमेरिकी और चीन के बीच टैरिफ वॉर का भारत को परोक्ष नुकसान झेलना पड़ सकता है. अमेरिका में ज्यादा टैरिफ की वजह से चीनी इलेक्ट्रॉनिक और मशीनरी के सामानों की शिपिंग भारत की ओर मुड़ सकती है.

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(Photo: India Today)

डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ पॉलिसी (Tarrif Policy) ने दुनिया भर के व्यापारिक हलकों में हलचल मचा दी है. इस बीच भारत को एक नया डर सताने लगा है. अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर (US China Tarrif War) से भारत में आयात (Import) होने वाली चीजों की ‘बाढ़’ आ सकती है. एक सरकारी अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि टैरिफ वॉर के दौर में प्रभावित देशों के माल की भारत में ‘डंपिंग’ सरकार के लिए बड़ी चिंता है. सरकार इस पर खास खास नजर रख रही है. उन्होंने बताया कि चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया के निर्यातक अमेरिकी टैरिफ की वजह से व्यापार घाटे का सामना कर रहे हैं और अपने माल के लिए बाजार की तलाश कर रहे हैं. 

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे लोगों का संभावित टारगेट भारत हो सकता है. इससे भारत के आयात में भारी उछाल आ सकता है. चीन पर अमेरिका ने जहां 145 फीसदी का टैरिफ लगाया है. वहीं चीन ने भी जवाबी शुल्क लगाकर अमेरिका पर टैरिफ 125 फीसदी कर दिया है. अमेरिका में टैरिफ ज्यादा होने से चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश अपने माल को भारत की तरफ मोड़ सकते हैं. इसी तरह, अमेरिका के कृषि उत्पाद जैसे- सोयाबीन और मक्का के भारी मात्रा में भारत में आने की संभावना बढ़ गई है.

डंपिंग का खतरा

ऐसी स्थिति में भारत के बाजार को ‘डंपिंग’ के खतरे का सामना करना पड़ सकता है. जब विदेशी कंपनियां अपने माल को बहुत कम कीमत पर भारत में बेचती हैं, तो उसे डंपिंग कहा जाता है. इससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को नुकसान हो सकता है. वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि दुनिया में कारोबार की मौजूदा हालात को देखते हुए वैश्विक टैरिफ और व्यापार हेल्पडेस्क (Global Tariff and Trade Helpdesk) शुरू किया गया है. टैरिफ में बढ़ोतरी, आयात में उछाल और निर्यात से जुड़ी समस्याओं समेत तमाम परेशानियों से जूझ रहे स्टेकहोल्डर्स के लिए ये व्यवस्था विदेश व्यापार निदेशालय की ओर से की गई है.

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टैरिफ वॉर के बाद भारत में सामानों के आयात में उछाल को लेकर वाणिज्य मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में मीटिंग भी की थी. वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि तमाम टैरिफ एलान के बाद चीजें अस्थिर हैं. हम आयात में उछाल देख रहे हैं और निगरानी के लिए कुछ देशों की पहचान की गई है. और ज्यादा निगरानी के लिए वस्तुओं को भी चुना गया है. उन्होंने कहा कि फीडबैक, इनपुट और एनालिसिस के आधार पर हम सुधारात्मक उपाय करेंगे.

घरेलू उद्योग होंगे प्रभावित

अर्थशास्त्रियों और ट्रेड एक्सपर्ट्स ने भी चीन से निर्यात में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है. चीन से भारी आयात यानी ओवरसप्लाई की वजह से भारत में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को घाटा हो सकता है. इससे भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और कपड़ा उद्योग प्रभावित होंगे. मतलब, भारत को अमेरिकी टैरिफ का परोक्ष नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. वहीं चीन में बढ़े टैरिफ की वजह से अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भी भारतीय बाजार मुफीद डेस्टिनेशन बन सकते हैं. भारत के लिए यह स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है. एक तरफ ग्लोबल मार्केट से जुड़े भी रहना है. दूसरा डंपिंग से अपने देश की निर्माण कंपनियों को बचाना भी है. ऐसी परिस्थिति में भारत सरकार देशी निर्यातकों की सुरक्षा और घरेलू उद्योग में संभावित नुकसान को कम करने के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा सकती है.

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