कल्पना कीजिए एक जंग चल रही है. दुश्मन के मिसाइल अपने ठिकानों से लॉन्च हो रहे हैं, टारगेट की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन टारगेट के पास लगा है एक बहुत ही उन्नत रडार और एयर डिफेंस सिस्टम (Air Defence System). ये सिस्टम कई बार तो मिसाइल के लॉन्च होने के कुछ पलों में ही उसे डिटेक्ट कर ले रहा है. जैसे ही मिसाइल/रॉकेट/ड्रोन उसकी रेंज में आ रहे हैं, वैसे ही उसके हथियार उसे मार गिरा रहे हैं.
दुश्मन की एक भी मिसाइल भारत की धरती पर नहीं गिरेगी, 'सुदर्शन चक्र' एयर डिफेंस सिस्टम की एक-एक बात
मिशन सुदर्शन चक्र के तहत भारत एक ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है जिसमें हजारों रडार, स्पेस सैटलाइट्स और एयर डिफेंस वेपन्स मिल कर भारत की धरती को सुरक्षित बनाएंगे.


सोचने में ये बिल्कुल किसी मूवी के सीन की तरह लगता है. लेकिन याद करिए, हमने दसियों बार इजरायल में इस तरह का नजारा देखा है. इजरायल का आयरन डोम (Iron Dome) ऐसे ही काम करता है. कुछ हद तक यही नजारा हमने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद शुरू हुए भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) सैन्य संघर्ष में भी देखा था. और अब इजरायल के आयरन डोम जैसा ही नजारा भारत में किसी संभावित संघर्ष में देखने को मिल सकता है.
मिशन सुदर्शन चक्र (Mission Sudarshan Chakra) के तहत भारत इसी तरह का सिस्टम बना रहा है. इसमें हजारों रडार (Radars), अंतरिक्ष में घूमते सैटेलाइट्स (Space Satellites) और हथियार (Air Defence Weapons) मिल कर भारत के आसमान को सुरक्षित बनाएंगे. तो समझते हैं, कैसा हो सकता है भारत का ये एयर डिफेंस.

भारत के इंटीग्रेटेड सिस्टम यानी सैटेलाइट्स, रडार और हथियारों को मिलाकर बनने वाले एयर डिफेंस सिस्टम पर इंडियन एक्सप्रेस ने एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट के अनुसार देश की तीनों सेनाएं, पैरामिलिट्री फोर्सेज और डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (सरकारी डिफेंस कंपनियां), प्राइवेट सेक्टर और तमाम रिसर्च कंपनियां ‘सुदर्शन चक्र’ पर मिलकर काम कर रही हैं. इस सिस्टम को कहां-कहां तैनात किया जाएगा, उन स्ट्रेटेजिक (सामरिक महत्व) लोकेशंस को पहले से ही चिह्नित किया जा चुका है. इस सिस्टम के चार काम होंगे. Monitoring- यानी खतरे पर नजर रखना, Detecting- यानी खतरे को ढूंढना, Identifying यानी- खतरे को पहचानना और अंत में Destroying- यानी खतरे को तबाह करना.

यूं तो अभी भी ये काम भारत के मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम कर ही रहे हैं. लेकिन इनकी तैनाती फिलहाल जरूरी मिलिट्री ठिकानों, एयरबेस और देश की अनमोल संपत्तियों को बचाने तक सीमित है. जबकि सुदर्शन चक्र एक मल्टीलेयर यानी कई स्तरों वाला एयर डिफेंस सिस्टम होगा जो इस दायरे को बहुत अधिक बढ़ा देगा. इसके दायरे में देश के जरूरी ठिकाने तो होंगे ही, साथ ही ये आम लोगों के इलाके को भी ‘हवाई कवच’ प्रदान करेगा.
अंतरिक्ष से होगी नजर, दुश्मन रहेगा बेखबरस्पेस से निगरानी का महत्व हमने ऑपरेशन सिंदूर में देखा है. भारत ने जितने भी पाकिस्तानी टारगेट तबाह किए, उन सबकी सैटेलाइट तस्वीरों ने उसकी तस्दीक की. अब भारत अपनी 'स्पेस सर्विलांस' क्षमता को बढ़ाने पर काम कर रहा है. स्पेस-बेस्ड सर्विलांस (SBS Program) प्रोग्राम के तीसरे चरण के तहत भारत 2030 तक 52 नए सैटेलाइट्स स्पेस में भेजेगा. यानी इस पर काम पहले ही शुरू हो चुका है. और इस काम में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO), कंधे से कंधा मिला कर सेनाओं के साथ काम कर रहा है.

स्पेस में मौजूद इन सैटेलाइट्स को जमीन पर मौजूद एयर डिफेंस सिस्टम से लिंक किया जाएगा. इसमें छोटे से लेकर बड़े, हर वो हथियार शामिल होंगे जो सुदर्शन चक्र का हिस्सा हैं. स्पेस से दुश्मन के एयरक्राफ्ट्स, ड्रोन्स, मिसाइल्स, यहां तक की भारतीय टारगेट पर नजर रखने वाले Cueing (विजुअल गाइडेंस प्रदान करने वाले सिस्टम जिनसे ऑपरेटर निशाना लगाता है) वेपन पर भी नजर रहेगी.
जहां तक आसमान दिखेगा, वहां तक होगी नजरअंग्रेजी में एक शब्द है Horizon (होराइजन). आंखों से देखने पर एक जगह ऐसी दिखती है, जहां जमीन और आसमान मिलते हुए प्रतीत होते हैं. इसी को अंग्रेजी में Horizon कहते हैं. सुदर्शन चक्र के तहत भारत ऐसे स्वदेशी Over-The-Horizon रडार विकसित कर रहा है जो दुश्मन के इलाके पर Horizon के भी आगे तक नजर रखेंगे. आने वाले समय में ऐसे कई रडार बनाए और शामिल किए जाएंगे जो दुश्मन के इलाके में काफी दूर उड़ रहे एयरक्राफ्ट, ड्रोन्स और मिसाइल्स को ट्रैक कर सकेंगे. ट्रैक होते ही वो अपने हथियार यानी वेपन सिस्टम को इसकी जानकारी देंगे. और समय रहते जरूरत के मुताबिक हथियार लॉन्च कर आने वाले खतरे को नष्ट कर दिया जाएगा.
डायरेक्ट एनर्जी - स्टार वॉर्स वाला हथियारचर्चित साइंस फिक्शन-एक्शन मूवी स्टार वॉर्स में एक हथियार दिखाया गया था. 'डेथ स्टार' नाम का ये हथियार बिना कोई गोली चलाए, बिना कोई गोला दागे और आवाज किए एक लेजर बीम जैसी तरंग छोड़ता है. इस हथियार में बारूद नहीं बल्कि ऊर्जा या एनर्जी का इस्तेमाल होता है. एनर्जी की इतनी तेज तरंग छोड़ी जाती है, जिससे आने वाले खतरे तबाह हो जाते हैं. ये तरंग इतनी शक्तिशाली होती है जिससे बड़े से बड़े एयरक्राफ्ट तक को मार गिराया जा सकता है.
सैटेलाइट्स और Over-The-Horizon रडार को इन डायरेक्ट एनर्जी हथियारों के साथ जोड़ा जाएगा. जिस तरह का हवाई खतरा होगा, उस तरह से, उतनी एनर्जी का इस्तेमाल कर इस वेपन का इस्तेमाल किया जाएगा. खास बात ये है कि इनमें से अधिकतर हथियार स्वदेशी तौर पर भारत में ही बनाए जाएंगे.
भारत का गोल्डन डोम होगा ‘सुदर्शन चक्र’सुदर्शन चक्र के पूरे सिस्टम को इजरायल के आयरन डोम और अमेरिका के गोल्डन डोम से प्रेरणा लेकर बनाया जा रहा है. अमेरिका का गोल्डन डोम एक उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है जिसमें बैलिस्टिक, क्रूज़ और यहां तक की हाइपरसॉनिक मिसाइल्स तक को रोकने की क्षमता है. खास बात ये है कि इस सिस्टम में भी स्पेस में मौजूद सैटेलाइट्स की मदद से नजर रखी जाती है. भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS Gen Anil Chauhan) जनरल अनिल चौहान ने इस सिस्टम पर जानकारी देते हुए बताया था,
तुरंत, रियल टाइम में आ रहे इतने अधिक डेटा का एनालिसिस करना सबसे जरूरी होगा. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस कंप्यूटेशन, डेटा का विश्लेषण, क्वांटम तकनीक की मदद ली जाएगी.
कुल मिला कर देखें तो सुदर्शन चक्र कोई एक सिंगल सिस्टम नहीं, बल्कि कई सारी प्रणालियों का एक जॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में कुल 6 से 7 हजार रडार होंगे जो कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी के टारगेट को ट्रैक करने और उन्हें इंगेज करने का काम करेंगे. सैटेलाइट लगातार दुश्मन पर स्पेस से नजर रखेंगे. डायरेक्ट एनर्जी वेपन लेजर का इस्तेमाल कर टारगेट्स को तबाह करेंगे. और इन सभी सिस्टम्स को मिसाइल्स, ड्रोन्स, एंटी-ड्रोन सिस्टम्स और एयर डिफेंस बंदूकें भारत को कई स्तर की सुरक्षा प्रदान करेंगी.

अब यहां एक बात आती है कि इस सिस्टम की सटीकता कितनी होगी? तो दुनिया में चाहे कोई भी हथियार या एयर डिफेंस सिस्टम हो, उसकी एक्यूरेसी कभी भी शत प्रतिशत नहीं हो सकती. बेहतरी की गुंजाइश हमेशा रहती है. लेकिन कई स्तरों वाले मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम का फायदा ये है कि अगर कोई हवाई खतरा एक लेवल को पार भी कर गया तो आने वाले लेवल में उसे मार गिराया जाएगा. इससे उसके भारत की महत्वपूर्ण जगहों पर पहुंचने की संभावना लगभग न के बराबर हो जाती है.
वीडियो: इजरायल की तर्ज पर होगा भारत का अपना आयरन डोम, नाम होगा 'सुदर्शन चक्र'