सुबह का वक्त था...पाकिस्तानियों की नींद में कोई खलल नहीं थी. लेकिन लाहौर की हवा में कुछ अनकहा-सा घूम रहा था. कोई सायरन नहीं... कोई चेतावनी नहीं...बस आसमान में एक उड़ती छाया... और फिर धड़ाम! 8 मई, गुरुवार की सुबह, भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के कई अहम ठिकानों को निशाने पर लिया. लाहौर में तैनात हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम को कुछ ही मिनटों में नेस्तनाबूद कर दिया गया. और ये सब हुआ उन ड्रोन से, जिनके बारे में दुश्मन को तब तक पता नहीं चलता, जब तक वो सीधा सिर पर नहीं फटते. हम बात कर रहे हैं भारत के आत्मघाती ड्रोन-IAI Harpy और Harop की. जिनमें से किसी एक या फिर दोनों ने पाकिस्तान के लाहौर, कराची, रावलपिंडी और सियालकोट में जवाबी हमले को अंजाम दिया.
भारत ने इन ड्रोन को लाहौर भेजकर पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया
गुरुवार, 8 मई की सुबह पाकिस्तान की नींद तब टूटी जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत उसके कई अहम ठिकानों पर बिजली की रफ्तार से जवाबी हमला बोला. लाहौर में तैनात एयर डिफेंस सिस्टम को चंद मिनटों में नेस्तनाबूद कर दिया गया. बताया जा रहा है कि इस मिशन में भारत ने इज़रायल से खरीदे गए घातक आत्मघाती ड्रोन-IAI Harpy और IAI Harop का इस्तेमाल किया.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आप IAI Harop का नाम सुन रहे होंगे और कुछ में IAI Harpy. वैसे दोनों एक ही फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. आसान भाषा में कहें तो Harop ड्रोन Harpy का प्रो मैक्स वर्जन है. दोनों ही को रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने के लिए खरीदा गया है. ऐसे में हम आपको इन दोनों ही आत्मघाती ड्रोन्स के बारे बताए देते हैं.
IAI Harpy और Harop: भारत के 'साइलेंट किलर'जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि इस जवाबी हमले में भारत ने इज़रायल से खरीदे गए दो जानलेवा हथियारों का इस्तेमाल किया. IAI Harpy और IAI Harop. Harpy वो ड्रोन है जो दुश्मन के रडार सिग्नल सूंघता है और बिना किसी आदेश के, बिना कोई शोर किए, सीधे जाकर टकराता है. वहीं Harop, थोड़ा ज़्यादा स्मार्ट है. इसमें कैमरा होता है, ऑपरेटर होता है, और मिशन को लाइव कंट्रोल करने की सुविधा भी होती है. टारगेट दिखा नहीं कि सीधा जाकर उस पर फट पड़ता है.

भारत ने 1994 में Harpy की पहली खेप ली थी, फिर 2009 में करीब 100 मिलियन डॉलर की लागत से 10 Harop ड्रोन खरीदे. 2019 में 54 और Harop मंगवाए गए. आज की तारीख में भारतीय वायुसेना के पास करीब 110 Harop ड्रोन मौजूद हैं. इनका कोडनेम है P-4.
IAI Harpy और Harop दोनों ही लॉइटरिंग म्यूनिशन (loitering munition) यानी "आत्मघाती ड्रोन" हैं, और इनका मुख्य उद्देश्य सटीकता से एक लक्ष्य को नष्ट करना होता है. न कि किसी बड़े इलाके में भारी विस्फोट या व्यापक तबाही मचाना.
लेकिन फिर भी, कितना नुकसान कर सकते हैं?
IAI Harpy:
वारहेड: लगभग 32 किलोग्राम HE (High Explosive)
नुकसान की रेंज: लगभग 15–30 मीटर तक प्रभावी घातक क्षेत्र
यदि लक्ष्य रडार सिस्टम या वाहन है, तो उसे पूरी तरह नष्ट कर सकता है.

IAI Harop:
वारहेड: लगभग 23–26 किलोग्राम (High Explosive)
नुकसान की रेंज: 10–25 मीटर तक का प्रभावी विनाश क्षेत्र
ये किसी बिल्डिंग, मोबाइल लॉन्चर, संचार टॉवर जैसे टारगेट्स के लिए सटीक और विनाशकारी ड्रोन है.

अब जरा ग्राफिक के जरिए इन दोनों आत्मघाती ड्रोन्स की आपस में तुलना करते हैं. ताकी आपको समझने में आसानी रहें,
ड्रोन | वारहेड क्षमता | प्रभावी नुकसान (रेडियस) | किसे तबाह कर सकता है |
---|---|---|---|
Harpy | 32 किग्रा | 15–30 मीटर | रडार, एयर डिफेंस यूनिट |
Harop | 25 किग्रा | 10–25 मीटर | वाहन, कमांड पोस्ट, मोबाइल टारगेट |
आसान भाषा में कहें तो ये ड्रोन "सर्जिकल स्ट्राइक" टाइप हथियार हैं. यानी किसी एक हाई वैल्यू टारगेट को बेहद सटीकता से उड़ाना. ये बड़े इलाके में तबाही के लिए नहीं, बल्कि स्ट्रैटेजिक टारगेट को silent, surprise तरीके से खत्म करने के लिए बनाए गए हैं.
'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत दूसरे दिन यानी 8 मई को जो हुआ, वो सिर्फ जवाब भर नहीं है. वो एक संदेश है. कोई भाषण नहीं, कोई सफाई नहीं, सिर्फ एक्शन.
वीडियो: ऑपरेशन सिंदूर के बाद मसूद अजहर और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ का क्या होगा? एक्सपर्ट ने बताया