सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और प्रशांत भूषण के बीच तीखी बहस हो गई. मामला 8 अक्टूबर का है. सुप्रीम कोर्ट में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (IHFL) और उसके प्रमोटरों की कथित वित्तीय गड़बड़ियों और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी. जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुयान और एन. के. सिंह की बेंच इस केस को सुन रही थी.
आप हैं ब्लैकमेलर, नहीं आप हैं ब्लैकमेलर..., सुप्रीम कोर्ट में भिड़े प्रशांत भूषण और हरीश साल्वे
सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे IHFL की ओर से पेश हुए थे. वहीं, एडवोकेट प्रशांत भूषण उस NGO की ओर से थे, जिसने IHFL को लेकर जांच की मांग की. सुनवाई जैसे-जैसे आगे बढ़ी, दोनों सीनियर वकीलों के बीच बहस बढ़ती चली गई.


बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे कंपनी की ओर से पेश हुए. वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुए. वहीं, एडवोकेट प्रशांत भूषण शिकायकर्ता NGO की ओर से थे. इसके अलावा एडवोकेट मुकुल रोहतगी कोर्ट में कंपनी के प्रमोटर्स का पक्ष रख रहे थे. अदालत में भारत सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू मौजूद थे.
प्रशांत भूषण ने क्या आरोप लगाया?सिटीजन्स व्हिसलब्लोअर फोरम (CWBF) नाम के NGO की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि कंपनी और इसके प्रमोटर्स ने शेल कंपनियों को लोन दिए. उस फंड को फिर प्रमोटर्स से जुड़े फर्म्स में ट्रांसफर किया गया. SEBI के एफिडेविट में इन आरोपों के सबूत हैं. उन्होंने आगे कहा,
हरीश साल्वे ने क्या कहा?“सिर्फ 1 लाख रुपये की नेट वर्थ वाली कंपनी को 1 हजार करोड़ रुपए तक के लोन दिए गए. कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन समीर गहलोत देश छोड़कर भाग गए. लंदन में रह रहे हैं. येस बैंक मामले में उन्हें CBI ने समन भेजे. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. आप SEBI एफिडेविट की फाइंडिंग्स देखिए. ये चौंकाने वाले हैं. हम जो आरोप लगा रहे हैं ये उसकी पुष्टि करते हैं.”
प्रशांत भूषण के इन आरोपों का कंपनी की ओर से पेश सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा,
“यह एक तरह से ब्लैकमेल केस है. जांच की जरूरत तो उस NGO में है, जिसने ये आरोप लगाए हैं. सभी एजेंसियों ने एफिडेविट लगाया और कुछ भी बाहर नहीं आया. ये किस तरह का पीछे पड़ने का तरीका है. ये अनजान लोग कौन हैं. मैं इसको स्वीकार किए जाने पर ही आपत्ति जताता हूं.”
यहीं से दोनों के बीच बहस गरमा गई. प्रशांत भूषण ने जवाब देते हुए कहा,
“मिस्टर साल्वे को तो एफिडेविट के बारे में भी नहीं पता. वो लंदन में बैठे हैं.”
साल्वे ने भी भूषण के तंज पर पलटवार किया. कहा,
“आप जिस भी शहर में बैठे हो, साधारण अंग्रेजी में लिखा एफिडेविट आप पढ़ सकते हैं.”
दोनों के बीच इस बहस में अब एंट्री हुई प्रमोटर्स के वकील मुकुल रोहतगी की. उन्होंने कहा, “मुंबई के कुछ ब्लैकमेलर्स ने यह शिकायत की है.”
इस पर प्रशांत भूषण ने ऑब्जेक्शन करते हुए कहा कि याचिका दाखिल करने वाली फोरम से जज से लेकर पूर्व नेवी चीफ और सरकार के कई सेक्रेटरी तक जुड़े हैं. ये लोग उन्हें ब्लैकमेलर्स कह रहे हैं.
हरीश साल्वे ने भी NGO द्वारा ब्लैकमेल करने पर सहमति जताई. इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि लंदन में बैठे इन महाशय की हिम्मत देखिए. इस पर साल्वे नाराज होते हुए बोले,
जजों ने क्या कहा?“मैं जहां भी बैठूं, इससे आपको दिक्कत नहीं होनी चाहिए. अगर इनको इससे जलन है तो ये भी लंदन आकर बस सकते हैं.”
इस बहसबाजी और व्यक्तिगत टिप्पणियों के बीच जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम इन बातों पर कॉमेंट नहीं करेंगे. बाकी हम 19 अक्टूबर को इस मामले को सुनेंगे. प्रशांत भूषण ने इसके बाद कोर्ट से कहा कि अगली बार कोर्ट की सुनवाई बिना किसी रुकावट के चलनी चाहिए. कोई ‘ब्लैकमेलर, ब्लैकमेलर’ कहकर रुकावट नहीं डालेगा. इस पर साल्वे ने फिर कहा, “आप हैं ब्लैकमेलर.”
सुप्रीम कोर्ट ने ED से मांगी सफाईदूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ED से सफाई मांगी है. पूछा है कि क्या CBI के सुझाव पर ED ने कंपनी को लेकर जांच जारी रखी. IHFL को जांच एजेंसियों की तरफ से क्लीन चिट दिए जाने को लेकर भी कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से सवाल पूछे.
अदालत ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई पर वो इस पर डिटेल्ड रिपोर्ट के साथ आएं. यह भी बताएं कि कितने मामलों में आपने बड़ा दिल दिखाते हुए आपत्तियों को दरकिनार किया और केस बंद किया.
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