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केंद्रीय मंत्रालयों में 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर! अब लगाम लगने वाली है

44 केंद्रीय विभागों ने बाहरी एजेंसियों से 1,499 सलाहकारों को काम पर रखा है. जिन पर सालाना 302 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

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वित्त मंत्रालय इस नीति को बनाने में अगुवाई कर सकता है. (प्रतीकात्मक फोटो- इंडिया टुडे)

केंद्र सरकार मंत्रालयों और विभागों द्वारा नियुक्त सलाहकारों (Consultant) से जुड़े कामों को 'रेगुलेट' करने पर विचार कर रही है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक ऐसी नीति पर काम किया जा रहा है, जिससे इन सलाहकारों की संख्या और कार्यकाल को सीमित और उनकी सैलरी और अप्रूवल प्रोसेस को तय किया जा सकेगा. वित्त मंत्रालय इस नीति को बनाने में अगुवाई कर सकता है. जबकि अन्य मंत्रालयों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है.

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दरअसल, यंग प्रोफेशनल्स को आमतौर पर मंत्रालयों को डोमेन-स्पेसिफिक एक्सपर्टीज और एनालिटिकल मदद के लिए नियुक्त किया जाता है. इनकी उम्र आमतौर पर 21 से 35 साल के बीच होती है. इनके पास इकॉनोमिक्स, पब्लिक पॉलिसी, कानून, मैनेजमेंट या संबंधित क्षेत्रों में योग्यताएं होती हैं. अधिकारियों के मुताबिक, केंद्र सरकार में ऐसे लगभग 300 पद हैं.

हाल ही में विभागों और मंत्रालयों के बीच ये प्रस्ताव चर्चा में आया है. इसके तहत, यंग प्रोफेशनल्स, सीनियर प्रोफेशनल्स या किसी क्षेत्र के एक्सपर्ट की नियुक्ति किसी एक मंत्रालय या विभाग में अधिकतम तीन साल तक सीमित रहने की संभावना है. यंग प्रोफेशनल्स किसी अन्य विभाग में भी काम कर सकते हैं. लेकिन ये किसी पांच साल की सरकार के कार्यकाल के अंदर ही होगा.

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सरकार वेतन (remuneration) में भी ज्यादा एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है. पांच साल से ज्यादा अनुभव वाले ज्यादा क्वॉलिफाइड यंग प्रोफेशनल्स के लिए वेतन 70,000 रुपये, तीन से पांच साल के अनुभव वालों के लिए 60,000 रुपये और नए लोगों के लिए 50,000 रुपये निर्धारित किया जाएगा.

चर्चाओं से वाकिफ अधिकारियों के मुताबिक, केंद्र सरकार चाहती है कि ऐसी सभी नियुक्तियां संबंधित विभाग के सचिव की मंजूरी के बाद हो. साथ ही, वित्तीय सलाहकार (आमतौर पर एक अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी) से भी परामर्श ली जाए. इस नियुक्ति में स्पष्ट शर्तें, मूल्यांकन और मौजूदा बजटीय एवं प्रक्रियात्मक मानदंडों का पालन अपेक्षित है.

इसके तहत, मंत्रालय के हर डिविजन में एक से ज्यादा युवा पेशेवर को नियुक्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. हर मंत्रालय या विभाग में ऐसे प्रोफेशनल/डोमेन एक्सपर्ट की एक अधिकतम सीमा पर भी विचार किया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि सरकार में ऐसे लगभग 80 पद हैं, जो शिक्षा, उद्योग या कंसलटेंसी क्षेत्र में उल्लेखनीय अनुभव रखने वाले व्यक्तियों के लिए हैं.

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ये कदम इस आलोचना के बीच उठाया गया है कि सलाहकारों के वेतन और कार्यकाल में काफी भिन्नताएं हैं. ये भी कहा गया कि मंत्रालयों ने सलाहकारों की संख्या या अवधि के लिए कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की है.

इससे पहले जनवरी, 2024 में वित्त मंत्रालय ने एक RTI आवेदन पर जवाब में कुछ आंकड़े दिए थे. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, बताया गया था कि 44 केंद्रीय विभागों ने बाहरी एजेंसियों से 1,499 सलाहकारों को काम पर रखा है. जिन पर सालाना 302 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

इसके अलावा 1,037 यंग प्रोफेशनल्स, 539 स्वतंत्र सलाहकार, 354 डोमेन एक्सपर्ट, 1,481 रिटायर्ड सरकारी अधिकारी और 76 विभागों द्वारा सीधे या आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त 20,376 अन्य कम वेतन वाले कर्मचारी भी शामिल थे. हालांकि, इन पर हुए खर्च का विवरण उपलब्ध नहीं है.

तब से इन आंकड़ों में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है. लेटेस्ट उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 963 युवा पेशेवर, 686 पेशेवर और डोमेन एक्सपर्ट, 1,453 एजेंसियों के जरिए सलाहकार, 1,476 सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी और 27,624 अन्य आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं.

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