छत्तीसगढ़ की महत्वाकांक्षी महिला-केंद्रित वेल्फेयर स्कीम, महतारी वंदन योजना. साल, 2023 के अंत में BJP के चुनाव जीतने के बाद, इस योजना को राज्य की विष्णु देव साय सरकार ने बड़े धूमधाम से शुरू किया था. लेकिन अब ये योजना विवाद के केंद्र में है. लाभार्थियों की संख्या में आई ‘लगभग 5 लाख की गिरावट’ के बाद, विपक्षी कांग्रेस ने सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं. वहीं, राज्य सरकार ने इस पर स्पष्टीकरण दिया है.
क्या छत्तीसगढ़ की महतारी वंदन योजना से 5 लाख महिलाओं के नाम काट दिए गए?
पीएम मोदी ने 2024 में राज्य की 70.12 लाख से ज्यादा महिलाओं के खातों में पैसे ट्रांसफर किए थे. लेकिन इस साल अक्टूबर जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20वीं किस्त जारी की तो 64.94 लाख महिलाओं को ही ये राशि मिली.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में रायपुर से वर्चुअल माध्यम से इस योजना का शुभारंभ किया था. उन्होंने राज्यभर की 70.12 लाख से ज्यादा महिलाओं के खातों में सीधे 655.57 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. चूंकि महतारी वंदन योजना, 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान BJP के प्रमुख वादों में से एक थी. इसीलिए कहा गया कि शुभारंभ खुद पीएम मोदी ने करके इसे भुनाया.
हालांकि NDTV की खबर के मुताबिक, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस साल अक्टूबर में 20वीं किस्त जारी की. तब सरकारी आंकड़ों से पता चला कि सिर्फ 64.94 लाख महिलाओं को ही ये राशि मिली. जिससे लगभग पांच लाख लाभार्थियों की कमी का पता चला.
इसके बाद, कांग्रेस ने राज्य सरकार पर तीखा हमला करते हुए कई सवाल पूछे. पार्टी ने सत्तारूढ़ BJP पर उन महिला मतदाताओं के विश्वास को धोखा देने का आरोप लगाया है, जिन्होंने उन्हें सत्ता में लाने में मदद की थी. कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना किसी उचित कारण के मनमाने ढंग से हजारों नाम लिस्ट से हटा दिए हैं. उन्होंने कहा,
जब पीएम मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी, तब 70 लाख महिलाओं को पहली किस्त मिली थी. लेकिन 20वीं किस्त के दौरान पांच लाख से ज्यादा महिलाएं योजना से वंचित रह गईं. BJP ने वादा किया था कि राज्य की हर महिला को इस योजना का लाभ मिलेगा. लेकिन सरकार बनने के बाद उसने नई शर्तें थोप दीं. ये छत्तीसगढ़ की महिलाओं के साथ विश्वासघात है.
कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार लिस्ट से बाहर रखे गए नामों की लिस्ट (कारणों के साथ) जारी करे. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि डेटा क्लीनिंग की आड़ में कई वास्तविक लाभार्थियों के नाम हटा दिए गए हैं.
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इन महिलाओं ने भी उठाए सवालकई महिलाओं ने भी दावा किया कि पहले नियमित रूप से पैसे ट्रांसफर होने के बावजूद, भुगतान में देरी हुई है या पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. रायपुर की एक लाभार्थी संगीता दुबे ने NDTV से कहा,
‘पहले हर महीने पैसा आता था. लेकिन इस बार कुछ भी नहीं आया. दिवाली आ गई है… अगर पैसा आ जाता, तो हम और बेहतर तरीके से उत्सव मना पाते.’
हालांकि, राज्य सरकार ने भेदभाव और कुप्रबंधन के आरोपों को खारिज कर दिया है. महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि संख्या में कमी ‘पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमित वेरिफिकेशन और डेटा सुधार’ का नतीजा है. रिपोर्ट के मुताबिक, लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा,
मंथली वेरिफिकेशन से पता चला है कि लगभग 64,858 महिला लाभार्थियों की मौत हो गई है. 707 महिलाओं ने स्वेच्छा से योजना से बाहर निकलने का विकल्प चुना है. वहीं 40,728 डुप्लिकेट एंट्री की पहचान की गई है और उन्हें हटा दिया गया है. लगभग 4 लाख महिलाओं का बैंक ई-केवाईसी अब भी पेंडिंग है. प्रक्रिया पूरी होते ही उन्हें भुगतान फिर से शुरू हो जाएगा. नए लाभार्थियों को शामिल करने के लिए पोर्टल जल्द ही फिर से खुल जाएगा.
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि योजना के बजट या मकसद में कोई कटौती नहीं की गई है.
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