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तमिलनाडु के अस्पताल में भीषण आग, कम से कम 7 लोगों की मौत

पुलिस ने बताया कि 28 लोगों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इनमें तीन लोगों की हालत गंभीर है.

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डिंडिगुल के प्राइवेट अस्पताल में भीषण आग. (स्क्रीनशॉट: PTI)

तमिलनाडु के डिंडिगुल जिले में एक प्राइवेट अस्पताल में आग (Dindigul hospital fire) लगने से कम से कम 7 लोगों की मौत हुई है. इनमें एक बच्चा और तीन महिलाएं शामिल हैं. 20 से ज्यादा लोगों के आग से झुलसने की खबर भी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि 28 लोगों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इनमें तीन लोगों की हालत गंभीर है. आग लगने की वजह अभी सामने नहीं आई है.

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रिपोर्ट्स बताती हैं कि जिले के कलेक्टर और दूसरे सीनियर अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे हैं. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हुई हैं. ये आग शहर के ‘सिटी हॉस्पिटल’ में लगी है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल के रिसेप्शन एरिया (ग्राउंड फ्लोर) में संभावित शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी है. तुरंत ही ये आग बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर तक पहुंच गई. फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि धुएं के कारण दम घुटने से लोगों की मौत हुई है.

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रिपोर्ट के अनुसार, घायलों को दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए लगभग 50 एंबुलेंस वहां मौजूद हैं. रात 11:50 बजे खबर लिखे जाने तक, अस्पताल से लोगों को निकाले जाने का काम जारी था.

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अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं पर कुछ दिन पहले अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने एक विस्तृत रिपोर्ट की थी. इसमें सामने आया था कि ज्यादातर मामलों में आरोपियों को जमानत दे दी जाती है. अस्पतालों में आग बुझाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं होने और नियमों का पालन नहीं करने के कारण ऐसी घटनाएं बड़ी बन जाती हैं.

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इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले पांच सालों में अस्पतालों में आग लगने की 11 बड़ी घटनाओं की पड़ताल की है. इन घटनाओं में 107 लोगों की जानें गई थीं. इनमें से एक केस को छोड़कर सभी मामलों में आरोपियों को जमानत दे दी गई. कम से कम 7 मामले अब भी कोर्ट में पेंडिंग हैं.

इस रिपोर्ट में उन घटनाओं की जांच की गई, जिनमें पांच या उससे ज्यादा लोगों की मौत हुई. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो जनवरी 2020 से अक्टूबर 2024 के बीच अस्पतालों या क्लीनिक में आग लगने की कम से कम 105 घटनाएं रिपोर्ट की गईं.

इन 11 बड़ी घटनाओं में कम से कम 8 हादसे शॉर्ट सर्किट्स, इलेक्ट्रिकल लाइन्स की मेंटेनेंस नहीं होने के कारण हुए. कई अस्पतालों में सुरक्षा के कई पहलुओं को दरकिनार किया गया था. जैसे, अग्निशमन यंत्र का ना होना, पानी छिड़कने के यंत्र का नहीं होना, प्रशिक्षित स्टाफ की कमी, एक्सपायर्ड फायर सर्टिफिकेट को लेकर सरकारी एजेंसियों की विफलता, निर्माण से जुड़े नियमों का उल्लंघन जैसे मसले शामिल हैं.

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