केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय (MoPR), 'प्रधान पति' के कल्चर (Pradhan Pati Practice) पर अंकुश लगाने की तैयारी में है. मंत्रालय ने इस मामले में एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने इस तरह के उन मामलों में कठोर दंड देने की सिफारिश की है जिन्हें साबित किया जा चुका है. पूर्व खान (Mines) सचिव सुशील कुमार इस कमेटी के अध्यक्ष हैं.
प्रधान पतियों को कठोर सजा मिलेगी, मंत्रालय की बड़ी तैयारी चल रही है
Penalties for Pradhan Pati: ‘प्रधान पति’ का मतलब सिर्फ ‘सरपंच पति’ या 'मुखिया पति' तक सीमित नहीं बताया गया है. बल्कि, इसका मतलब वैसे पुरुषों से है जो आधिकारिक रूप से चुनी गई महिलाओं की शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं.

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन मामलों में दंड देना जरूरी है, ताकी पंचायत स्तर पर पुरुष रिश्तेदारों के दखल के रोका जा सके. ‘प्रधान पति’ का मतलब सिर्फ ‘सरपंच पति’ या 'मुखिया पति' तक सीमित नहीं बताया गया है. बल्कि, इसका मतलब वैसे पुरुषों से है जो आधिकारिक रूप से चुनी गई महिलाओं की शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं.
हाल ही में ये रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी गई. मंत्रालय इन सिफारिशों को लागू करने की योजना बना रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए कुछ नीतियां बनाई जा रही हैं. सुधार के लिए हर साल “एंटी प्रधान पति” को पुरस्कार दिया जा सकता है. मतलब कि वैसे ‘प्रधान पति’ जिन्होंने निर्वाचित महिलाओं की शक्तियों का दुरुपयोग ना किया हो.
पंचायत स्तर पर महिलाओं की वास्तविक भागीदारी बढ़े, इसके लिए कुछ विशेष समितियों के गठन की भी बात की गई है. इसके अलावा कुछ और सुझाव भी दिए गए हैं.
- महिला लोकपाल की नियुक्ति.
- ग्राम सभाओं में महिला प्रधानों को सार्वजनिक रूप से शपथ दिलाना.
- पंचायत स्तर की महिला नेताओं का महासंघ बनाना.
- जेंडर रिसोर्स सेंटर्स की स्थापना जो ट्रेनिंग, कानूनी सलाह और सपोर्ट नेटवर्क के लिए काम करेंगे.
- IIMS, IIT/NIT के सहयोग से स्थानीय भाषाओं में ट्रेनिंग.
- ट्रेनिंग में अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसियों और महिला विधायकों/सांसदों की भी मदद ली जाए.
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रिपोर्ट में तकनीक आधारित समाधानों की भी सिफारिश की गई है.
- बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग कराना.
- एक AI बनाना जो महिला प्रतिनिधियों को कानून संबंधित जानकारी दे.
- हर रोज के कामकाज में मदद के लिए एक वाट्सऐप्प ग्रुप.
ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद को मिलाकर देश में लगभग 32.29 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि हैं. इनमें करीब 15.03 लाख (46.6 प्रतिशत) महिलाएं हैं. 6 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के संबंध में एक आदेश दिया था. इसी के बाद पंचायती राज मंत्रालय ने 19 सितंबर, 2023 को सलाहकार समिति का गठन किया था.
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