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'हिंदी थोपने' का विवाद उद्धव और राज ठाकरे को साथ ले आया, 20 साल बाद एक मंच पर आएंगे नज़र

महाराष्ट्र में दो दशक के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर एक ही मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करते दिखेंगे. महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ राज और उद्धव ठाकरे 5 जुलाई को प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे.

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उद्धव (बायें) और राज ठाकरे (दाहिने) दो दशक बाद एक मुद्दे पर विरोध करते नजर आएंगे. (India Today)

महाराष्ट्र में दो दशक के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर दिखेंगे. तीन भाषा फॉर्मूल के तहत महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ दोनों भाई 5 जुलाई को विरोध मार्च में 20 साल बाद एक साथ नजर आएंगे. शिवसेना के नेता संजय राउत ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया कि महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाया जाएगा. 

एक अन्य पोस्ट में उन्होंने एकजुट मार्च के बारे में बताते हुए राज और उद्धव की एक पुरानी तस्वीर शेयर की, जिसमें दोनों आसपास बैठे बातें कर रहे हैं. इसके साथ उन्होंने लिखा, ‘ठाकरे ही ब्रांड हैं.’

क्या है मामला

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल को एक नई शिक्षा नीति के तहत एक फैसला जारी किया था. इसमें राज्य बोर्ड के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाए जाने के निर्देश थे. इस फैसले का महाराष्ट्र में जमकर विरोध हुआ जिसके बाद एक संशोधित सरकारी रिजॉल्यूशन (GR) जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि हिंदी अब अनिवार्य नहीं होगी. छात्रों को हिंदी की जगह पर किसी अन्य भारतीय भाषा को चुनने की इजाजत होगी, बशर्ते स्कूल में एक ही कक्षा के कम से कम 20 छात्र इसके लिए आग्रह करें.

विपक्षी दलों को सरकार का ये संशोधन भी पसंद नहीं आया. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे ने 6 जुलाई को इस फैसले के खिलाफ दक्षिण मुंबई के गिरगांव चौपाटी से ‘विराट मोर्चा’ निकालने का एलान किया. वहीं, उद्धव ठाकरे ने इसी मुद्दे पर 6 जुलाई को आयोजित होने वाले शिक्षाविद् कार्यकर्ता दीपक पवार के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की घोषणा की. 

राज ठाकरे ने किया फोन

एक ही मुद्दे पर दो अलग-अलग विरोध प्रदर्शनों ने समर्थकों के बीच संदेह पैदा कर दिया था. ऐसे में दोनों भाइयों ने अपने-अपने विरोध प्रदर्शन को ‘एकजुट’ करने का फैसला किया. इंडियन एक्सप्रेस को संजय राउत ने बताया,

गुरुवार को हम जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे तब हमें राज ठाकरे के विरोध के बारे में पता नहीं था. प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने मुझे फोन किया और प्रस्ताव दिया कि मराठी के मुद्दे पर दो अलग-अलग विरोध प्रदर्शन करना उचित नहीं होगा और इसे संयुक्त रूप से आयोजित किया जाना चाहिए. 

राउत के मुताबिक, उन्होंने इस प्रस्ताव की जानकारी बिना इंतजार किए उद्धव ठाकरे को दी. उन्होंने भी तत्काल सहमति दी और फैसला किया कि 5 जुलाई को संयुक्त प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा. हालांकि, प्रदर्शन की टाइमिंग और जगह के बारे में एक या दो दिन में जानकारी दी जाएगी.

मनसे ने भी की पुष्टि

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता संदीप देशपांडे ने भी ‘संयुक्त विरोध’ की पुष्टि करते हुए कहा,

हमें वाकई खुशी है कि राज साहब ने मराठी हितों के लिए पहल की और उद्धव जी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. मराठी होने के नाते हम दोनों भाइयों के आभारी हैं. मराठी लोगों की ताकत 5 जुलाई को दिखेगी. 

उन्होंने कहा कि ये वो मैच होगा जो राज्य की राजनीति को बदल देगा. यह दिखाएगा कि मराठी लोग एक साथ आने पर क्या कर सकते हैं. यह 2.0 संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन होगा.

बता दें कि साल 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग राह अपना ली थी. उन्होंने बाल ठाकरे से बगावत करते हुए अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था.

दोनों नेताओं के साथ आने पर भाजपा ने प्रतिक्रिया दी है. भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने का प्रयास कर रहे हैं. अब उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है.

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