सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे की फांसी में देरी पर नाराजगी जताई है. अदालत ने मामले में दोषी बब्बर खालसा के आतंकवादी बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की दया याचिका पर फैसला सुनाने में कथित देरी पर सवाल उठाया. कोर्ट ने हैरानी जताते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि राजोआना को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई, जबकि केंद्र ने इसे गंभीर अपराध बताया था.
‘बेअंत सिंह के हत्यारे की फांसी में देरी क्यों?’, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा जवाब दीजिए
Beant Singh Assassination Case Update: 31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह और 12 अन्य नागरिकों की हत्या हुई थी. आरोप बब्बर खालसा के आतंकवादी Balwant Singh Rajoana पर लगा था. साल 2007 में CBI की एक विशेष अदालत ने राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी.


लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच राजोआना की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की याचिका पर सुनवाई कर रही है. दलील दी गयी है कि राजोआना की दया याचिका पर फैसले में देरी के आधार पर उसकी सजा बदलकर आजीवन कारावास कर दी जाए. बेंच में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया शामिल थे. मामले में केंद्र सरकार का पक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज रख रहे हैं. वहीं, दोषी की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए.

दोषी के वकील रोहतगी ने कोर्ट में तर्क दिया,
“राजोआना 29 साल से जेल में है. 15 साल से मौत की सजा पर है. उसकी दया याचिका को लंबे वक्त से नहीं निपटाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी 2024 को केंद्र से कहा था कि वह इस पर फैसला ले. अगर ऐसा नहीं होता तो अदालत फैसला सुनाएगी. लेकिन अब तक इस पर फैसला नहीं लिया गया. इतनी देर हो चुकी है, अब सरकार को इस पर फैसला लेना चाहिए.”
रोहतगी ने कोर्ट को यह भी बताया कि उनका मुवक्किल एक अलग मानसिक स्थिति में है. वह लंबे समय से एकांत कारावास में हैं. होश में भी है या नहीं, कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है. कानून पर हक उसका भी है. हर बार सरकार कहती है कि वो फैसला करेगी. फिर यह भी कह देती है कि अभी इस पर फैसले का सही समय नहीं है.
सरकार और कोर्ट ने क्या कहा?जवाब में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नटराज ने सरकार की तरफ से कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण फैसले में देरी हुई है. उन्होंने कोर्ट से समय मांगा ताकि वह ताजा स्थिति पर रिपोर्ट पेश कर सकें. लेकिन रोहतगी ने इस पर सवाल उठाया कि अगर राष्ट्रीय सुरक्षा का इतना बड़ा मुद्दा था तो अब तक राजोआना को फांसी क्यों नहीं दी गई? इस पर बेंच ने केंद्र के वकील से पूछा,
“उसे अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कम से कम हमने फांसी पर रोक तो नहीं लगाई है.”
कोर्ट ने 15 अक्टूबर को इस मामले की अगली सुनवाई तय की है. साथ ही यह भी कहा है कि सरकार को अब और समय नहीं दिया जाएगा.
2007 में राओआना को मिली थी मौत की सजा31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह और 12 अन्य नागरिकों की हत्या हुई थी. आरोप बब्बर खालसा के आतंकवादी बलवंत सिंह राजोआना पर लगा था. साल 2007 में CBI की एक विशेष अदालत ने राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मार्च 2012 में उसकी ओर से दया याचिका दायर की थी.
केंद्र को लेना था फैसलालेकिन सितंबर 2019 में गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र लिखकर गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन इस प्रस्ताव पर कभी अमल नहीं हुआ. सितंबर 2020 में राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया कि उसकी लंबे समय से लंबित दया याचिका पर फौरन विचार किया जाए. मांग की कि गृह मंत्रालय के 2019 के प्रस्ताव को भी लागू किया जाए.
कोर्ट ने तब खारिज की थी राजोआना की याचिकालेकिन 3 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना की याचिका खारिज कर दी. अदालत ने केंद्र सरकार को इस पर फैसला लेने का निर्देश दिया. लेकिन सरकार ने बाद में एक हलफनामा दायर कर कहा कि उसने दया याचिका पर कोई भी फैसला स्थगित करने का फैसला किया है क्योंकि इससे देश की सुरक्षा से समझौता करने या कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा होने की संभावना है. अब इस मामले में नई याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है.
वीडियो: सुर्खियां: पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्यारे को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, फांसी पर सरकार क्या करेगी?