भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पूरे देश में स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR) कराने की तैयारी कर रहा है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) इस प्रक्रिया को शुरू करने पहले राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर सकते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जून महीने में जब बिहार में SIR का आदेश दिया गया, तो वहां ऐसा नहीं किया गया था. गौरतलब है कि बिहार में इस प्रक्रिया की टाइमिंग और इसके लिए ECI की ओर से मान्य दस्तावेजों पर गंभीर सवाल उठे.
बिहार में विवाद के बाद, ECI बड़ी योजना बना रहा है, SIR शुरू करने से पहले राजनीतिकों दलों के साथ होगी बैठक
चुनाव आयोग ने SIR के लिए आदेश जारी किया और बिहार में इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई. राजनीतिक दलों में इसको लेकर मतभेद दिखे. कई दलों ने अपनी नाराजगी भी दर्ज कराई. अब ECI की योजना है कि देश भर में इसे लागू करने से पहले राजनीतिक पार्टियों के साथ वार्ता की जाए.


आयोग ने 24 जून को राष्ट्र स्तर पर वोटर लिस्ट के SIR के लिए आदेश पारित किया था. इसके तहत सभी रजिस्टर्ड वोटर्स को नए गणना फॉर्म भरने होंगे और पात्रता संबंधी दस्तावेज जमा करने होंगे. ECI के अनुसार, बिहार में विधानसभा चुनाव होने के कारण इस प्रक्रिया की शुरुआत वहां से की गई. बिहार में SIR की प्रक्रिया 30 सितंबर को अंतिम सूची के प्रकाशन के साथ पूरी हो जाएगी.
देश के बाकी हिस्सों में इसके शुरू होने की टाइमिंग को लेकर ECI ने कोई आदेश जारी नहीं किया है. लेकिन रिपोर्ट है कि इसे जब भी शुरू किया जाएगा, तो पहले CEO की ओर से राजनीतिक दलों के साथ बैठकें की जा सकती हैं. बिहार के मामले में, चुनाव आयोग ने 24 जून को SIR का आदेश दिया और अगले ही दिन, दलों से कोई परामर्श किए बिना, गणना का काम शुरू हो गया.
SIR की तैयारी के लिए, ECI ने 10 सितंबर को नई दिल्ली में मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ एक सम्मेलन आयोजित किया. उस दिन चुनाव आयोग के एक बयान में कहा गया था,
SIR प्रक्रिया पर विपक्ष के सवालआयोग ने राष्ट्र स्तर पर SIR अभ्यास के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के कार्यालयों की तैयारियों का आकलन किया. बिहार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने रणनीतियों, बाधाओं और प्रक्रियाओं पर एक प्रस्तुति दी, ताकि देश के बाकी हिस्सों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उनके अनुभवों से सीख सकें.
चुनाव आयोग के SIR के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ताओं में विपक्षी सांसद भी शामिल हैं. उन्होंने इस आदेश की वैधता को चुनौती दी है. विपक्ष ने मतदाताओं की नागरिकता की जांच करने के ECI के अधिकार पर सवाल उठाया है और SIR प्रक्रिया को ‘पिछले दरवाजे’ से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) बनाने का प्रयास बताया है.
ECI ने तर्क दिया है कि उसे अनुच्छेद 326 के अनुसार मतदाताओं की नागरिकता स्थापित करने का अधिकार है. इसके अनुसार केवल भारतीय नागरिकों को ही मतदाता के रूप में रजिस्टर होने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र के जरिए चुनाव आयोग ने कहा था कि अनुच्छेद 326 के तहत किसी को अपात्र करार देना उसकी नागरिकता रद्द करने का कारण नहीं बनेगा.
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बिहार SIR पर भी उठे सवालइस प्रक्रिया के तहत, बिहार के सभी 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर्स को 25 जुलाई तक गणना फॉर्म भरने को कहा गया था. आयोग ने जब ड्राफ्ट रोल जारी किया, तो 65 लाख लोगों के नाम रोल से हटा दिए गए. बूथ स्तर के अधिकारियों ने इन मतदाताओं को या तो मृत, या स्थाई रूप से स्थानांतरित, या कई स्थानों पर नामांकित या लापता के रूप में चिह्नित किया था. आयोग ने हटाए गए नामों पर आपत्ति दर्ज कराने का विकल्प भी उपलब्ध कराया.
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