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"ज्ञानवापी खुद ही सौंप दें मुसलमान..." ASI के पूर्व चीफ बोले- हिंदू भी ना करें नई मांग

ASI के पूर्व प्रमुख KK Muhammed ने 2014 से अब तक के बीजेपी के कार्यकाल की आलोचना की. उन्होंने इसे ‘Archaeological Survey of India का काला युग’ बताया. उन्होंने कहा कि सरकार से जो उम्मीदें थीं, खासकर जगहों की सुरक्षा को लेकर, वे पूरी नहीं हुईं.

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काशी की ज्ञानवापी मस्जिद. (फाइल फोटो)

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व प्रमुख के. के. मुहम्मद ने चल रहे मंदिर-मस्जिद विवादों में संयम बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को ज्यादा हवा न दें. यह भी कहा कि राम जन्मभूमि, मथुरा और ज्ञानवापी ही चर्चा के केंद्र में होनी चाहिए और इन्हीं को समाधान के दायरे में रखा जाना चाहिए.

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इंडिया टुडे के साथ बातचीत में के. के. मुहम्मद ने सुझाव दिया कि मुसलमानों को अपनी मर्जी से ये जगहें सौंप देनी चाहिए. साथ ही हिंदुओं से आगे और मांगें न करने की अपील की. उन्होंने इस बात पर जोर किया कि दावों को बढ़ाने से सिर्फ और समस्याएं ही पैदा होंगी. बता दें कि पूर्व ASI प्रमुख की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़ी कई याचिकाएं देशभर की अदालतों में पेंडिंग हैं.

‘अयोध्या विवाद लेफ्ट का प्रोपेगैंडा’

के. के मुहम्मद ने 1976 में बीबी लाल के नेतृत्व में हुई बाबरी मस्जिद की खुदाई में अपनी भूमिका का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यह विवाद एक कम्युनिस्ट इतिहासकार के असर के कारण बढ़ा. दावा किया कि वामपंथी इतिहासकार ने मुस्लिम समुदाय को यह कहकर गुमराह किया कि खुदाई में मंदिर के अवशेष नहीं मिले. ज्यादातर मुस्लिम शुरू में विवादित जगह पर मंदिर बनाने की इजाजत देकर मामले को सुलझाने के पक्ष में थे. लेकिन इतिहासकार ने बिना जानकारी के गलत बातें फैलाईं वो भी ऐसे में जब वह  न तो खुदाई से पहले, न दौरान, न बाद में साइट पर कभी गए.

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सावधानी बरतने की दी सलाह

मंदिर-मस्जिद बहस के बड़े मुद्दे पर मुहम्मद ने सावधानी बरतने की सलाह दी. उन्होंने राम जन्मभूमि, मथुरा और ज्ञानवापी को हिंदू समुदाय के लिए खास महत्व वाली जगहें होने की बात कही और मुसलमानों के लिए उनकी अहमियत मक्का और मदीना जितनी बताई. कहा कि इसी वजह से मुसलमानों को अपनी मर्जी से ये तीनों जगहें सौंप देनी चाहिए.

धार्मिक जगहों से जुड़ी दूसरी पिटीशन के बारे में सवालों के जवाब में मुहम्मद ने कहा कि इन तीनों के अलावा हिंदू समुदाय की तरफ से कोई और मांग नहीं आनी चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि और दावे करने से मुद्दा हल नहीं होगा और आगे टकराव का खतरा रहेगा. उन्होंने दोनों समुदायों से संयम और समझौते की जरूरत पर जोर दिया.

ताजमहल पर क्या बोले

मुहम्मद ने ताजमहल की शुरुआत के बारे में कुछ हिंदू संगठनों के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया. उन्हें पूरी तरह से झूठा बताया. मुहम्मद ने जगह के ऐतिहासिक ट्रांसफर के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि यह देखते हुए कि यह असल में राजा मान सिंह का महल था, जिसे बाद में जय सिंह और फिर शाहजहां को ट्रांसफर कर दिया गया. इसके सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स बीकानेर और जयपुर म्यूजियम में सुरक्षित रखे गए हैं.

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‘BJP के 11 साल ASI के लिए एक काला युग’

के. के. मुहम्मद ने 2014 से अब तक के बीजेपी के कार्यकाल की आलोचना की. उन्होंने इसे ‘आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का काला युग’ बताया. उन्होंने कहा कि सरकार से जो उम्मीदें थीं, खासकर जगहों की सुरक्षा को लेकर, वे पूरी नहीं हुईं.

उन्होंने आगे कहा कि चंबल में बटेश्वर मंदिर कॉम्प्लेक्स में उनका अपना रेस्टोरेशन का काम हाल के वर्षों में काफी धीमा हो गया है. काफी कोशिशों के बावजूद पिछले 11 वर्षों में सिर्फ 10 मंदिरों को ही फिर से बनाया गया है.

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