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ED ने AAP से जुड़े करप्शन के नए मामले दर्ज किए, सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन से हो सकती है पूछताछ

घोटालों के आरोप में ED, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन को जल्द पूछताछ के लिए बुला सकती है.

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बाएं से दाहिने. दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और सौरभ भार्द्वाज. (India Today)

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कथित घोटालों को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मुसीबतें बढ़ सकती हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तीन अलग-अलग मामलों में केस दर्ज किया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कथित घोटालों की राशि 6,368 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इन मामलों में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन जैसे वरिष्ठ नेताओं को जल्द पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.

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अस्पताल निर्माण घोटाला (₹5,590 करोड़)

ED के मुताबिक 2018-19 में AAP सरकार ने 24 अस्पतालों के निर्माण को मंजूरी दी थी. इनमें ICU सुविधाओं से लैस अस्पताल छह महीने में तैयार करने की योजना थी. लेकिन आज तक काम पूरा नहीं हुआ, जबकि 800 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.

इनमें लोक नायक अस्पताल के निर्माण की लागत ₹488 करोड़ से बढ़कर ₹1,135 करोड़ तक पहुंच गई. ED का आरोप है कि कई अस्पतालों में निर्माण बिना मंजूरी के शुरू कराया गया. इस कथित घोटाले में सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन की भूमिका की जांच की जा रही है.

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CCTV घोटाला (₹571 करोड़)

2019 में AAP सरकार ने पूरी दिल्ली में 1.4 लाख CCTV कैमरे लगाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को सौंपा गया. काम तय समय पर पूरा नहीं हुआ, जिसके चलते BEL पर ₹17 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था. लेकिन बाद में यह जुर्माना बिना कारण माफ कर दिया गया.

ED का दावा है कि सत्येंद्र जैन को इसके बदले ‘₹7 करोड़ की रिश्वत मिली’. इस मामले में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) भी सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस दर्ज कर चुकी है.

दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड घोटाला (₹207 करोड़)

ED का आरोप है कि AAP के कार्यकाल में ₹207 करोड़ की हेराफेरी की गई, जिसमें नकली FDR (Fixed Deposit Receipts) का इस्तेमाल हुआ. इसके अलावा, पटेल नगर में ₹15 लाख का सड़क घोटाला भी उजागर हुआ.

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इसके अलावा ED का आरोप है कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ₹250 करोड़ के काम को फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए दिखाया गया और 'घोस्ट वर्कर्स' को वेतन दिया गया और राजनीतिज्ञों को कमीशन पहुंचाया गया.

इन सभी मामलों की CBI और दिल्ली ACB द्वारा भी जांच की जा रही है. ED ने इन मामलों में इन्फोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट्स (ECIR) दर्ज की हैं, जो कि FIR के बराबर होती हैं.

वीडियो: दिल्ली आबकारी घोटाला के बाद BJP ने अरविंद केजरीवाल पर अब किस घोटाले का आरोप लगाया?

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