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दिल्ली-NCR की हवा बिगाड़ी तो पड़ेगा भारी, CAQM ने 6 पावर प्लांटों पर 61 करोड़ का जुर्माना ठोंका

कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने दिल्ली से 300 किलोमीटर के दायरे में लगे छह बड़े थर्मल पावर प्लांट्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इन पर 61.85 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव रखा गया है. लेकिन यह नोटिस जारी क्यों हुआ?

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छह प्लांटों ने नियमों का ठीक से पालन नहीं किया. (सांकेतिक फोटो: AI-generated)

दिल्ली-NCR और आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर ‘CAQM’ ने कड़ा कदम उठाया है. CAQM यानी ‘कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट’. आयोग ने दिल्ली से 300 किलोमीटर के दायरे में लगे छह बड़े कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इन पर 61.85 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव रखा गया है.

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क्यों जारी हुआ नोटिस?

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के नियम कहते हैं कि कोयले से बिजली बनाने वाले सभी थर्मल पावर प्लांट्स को कोयले के साथ कम से कम 5% बायोमास (पराली से बने पेलेट या ब्रिकेट) जलाना जरूरी है. हालांकि, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए यह छूट दी गई थी कि अगर 3% से ज्यादा बायोमास का इस्तेमाल हो, तो जुर्माना नहीं लगेगा. 

आयोग का कहना है कि इन छह प्लांटों ने इस नियम का ठीक से पालन नहीं किया, इसलिए यह कार्रवाई की गई है.

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1. तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (TSPL - वेदांता), मानसा, पंजाब (प्रस्तावित जुर्माना लगभग 33.02 करोड़ रुपये)

2. पानीपत थर्मल पावर स्टेशन (PTPS), हरियाणा (प्रस्तावित जुर्माना लगभग 8.98 करोड़ रुपये)

3. दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर स्टेशन (DCRTPS), यमुनानगर, हरियाणा (प्रस्तावित जुर्माना लगभग 6.69 करोड़ रुपये)

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4. राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट (RGTPP), हिसार, हरियाणा (प्रस्तावित जुर्माना लगभग 5.55 करोड़ रुपये)

5. गुरु हरगोबिंद थर्मल पावर प्लांट, (PSPCL), लैहरा मोहब्बत, पंजाब (प्रस्तावित जुर्माना लगभग 4.87 करोड़ रुपये)

6. हरदुआगंज थर्मल पावर स्टेशन (UPRVUNL), उत्तर प्रदेश (प्रस्तावित जुर्माना लगभग 2.74 करोड़ रुपये)

जिन बिजली घरों को नोटिस मिला है, उन्हें 15 दिन के भीतर लिखित जवाब देना होगा. अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ, तो CAQM अधिनियम 2021 के तहत और कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.

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बायोमास क्यों जरूरी है?

CAQM ने साफ कहा है कि थर्मल पावर प्लांटों में बायोमास का इस्तेमाल, पराली जलाने की समस्या को कम करता है. साथ ही यह दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण घटाने में मदद करता है. आयोग का कहना है कि यह सर्दियों में बनने वाली स्मॉग की समस्या को कम करने का अहम उपाय है.

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