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अवैध क्रिकेट बेटिंग से बनाई संपत्ति जब्त होगी, हाई कोर्ट ने ED को दिया अधिकार

Rs 2400 Crore Cricket-Betting Scam: 2015 में ED ने एक प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर (PAO) जारी किया था. जिसमें आरोपियों की लगभग 20 करोड़ रुपये की कीमत की चल-अचल संपत्तियों को कुर्क किया गया. इसे Delhi High Court में चुनौती दी गई थी.

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दिल्ली हाई कोर्ट ने 'करोड़ों के क्रिकेट बेटिंग स्कैम' के आरोपियों की याचिकाएं खारिज कर दीं. (फोटो- इंडिया टुडे)

दिल्ली हाई कोर्ट ने 2015 के ‘इंटरनेशनल क्रिकेट बेटिंग स्कैम’ में कई आरोपियों की तरफ से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इस दौरान कोर्ट ने एक अहम कॉमेंट भी किया. कहा कि भले ही अवैध क्रिकेट बेटिंग का अपराध प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत नहीं आता. लेकिन इससे अर्जित संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय (ED) 'अपराध की आय' के रूप में कुर्क कर सकता है.

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सितंबर, 2015 में ED ने एक प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर (PAO) जारी किया था. इसमें आरोपियों की लगभग 20 करोड़ रुपये की कीमत की चल-अचल संपत्तियों को कुर्क किया गया. अक्टूबर, 2015 में PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया. आरोपियों ने दोनों को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इसी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये कॉमेंट किया.

दरअसल PAO, PMLA एक्ट 2002 के तहत जारी किया जाने वाला एक अस्थायी ऑर्डर है. इसके तहत ED उन संपत्तियों को जब्त करने का आदेश देता है, जिन्हें ‘अपराध की आय’ माना जाता है. ताकि उनका निपटान रोका जा सके.

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याचिकाओं में ED के इसी प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर (PAO) को चुनौती दी गई थी. जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की दो जजों की बेंच ने 24 नवंबर को मामले की सुनवाई की. उन्होंने PAO और उसके बाद की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया. बेंच ने कहा कि कुर्की करने वाले अधिकारी के पास ‘कारण को स्टैबलिश करने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत थे’ और ‘ये सिर्फ शक पर आधारित नहीं था'.

पूरा मामला क्या है?

ED ने अपराध की आय 2,400 करोड़ रुपये आंकी है. मामले की जांच तब शुरू हुई, जब गुजरात के वडोदरा में पुलिस ने राज्य के चार लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की. आरोप है कि लंदन में मौजूद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म betfair.com के जरिए IPL मैचों पर सट्टा लगाया गया. इस वेबसाइट को 2010 में भारत में बैन कर दिया गया था. जहां आरोपी सुपर मास्टर लॉगिन क्रेडेंशियल खरीदते थे. और बदले में मास्टर लॉगिन आईडी सट्टेबाजों यानी बेटर्स को बांट देते थे.

ED के मुताबिक, आरोपियों ने अवैध बेटिंग एक्टिविटी के जरिए 2014-2015 के दौरान खेले गए मैच्स पर ‘दांव लगाए’. और भारत, दुबई, पाकिस्तान और दुनिया भर के अन्य देशों में मौजूद सट्टेबाजों और पंटर्स की मदद से ‘आपराधिक आय’ अर्जित की.

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