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डिजिटल अरेस्ट के 'टेरर फंडिंग' जाल में फंसा सीनियर वकील, देशद्रोही के ठप्पे के डर में जान दे दी

वकील ने सुसाइड नोट में लिखा कि 1984 की भोपाल गैस त्रासदी में उन्होंने सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार किया था. जिसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उन्हें एम्बुलेंस उपलब्ध कराई थी.

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वकील वर्मा की पत्नी और बेटी घटना के वक्त दिल्ली में थींं. (फोटो- इंडिया टुडे)

भोपाल में एक 68 साल के सीनियर एडवोकेट शिवकुमार वर्मा ने सुसाइड कर लिया. साइबर ठगों ने उन्हें फर्जी तरीके से आतंकवाद की फंडिंग से जोड़कर धमकाया था. शिवकुमार इस जाल में फंसकर ऐसा डरे कि 24 नवंबर की रात उन्होंने जहांगीराबाद इलाके स्थित अपने घर में आत्महत्या कर ली. घटना के वक्त उनके परिवार वाले शहर से बाहर थे.

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'देशद्रोही का ठप्पा नहीं सह सकता'

मामले की जानकारी मिली तो पुलिस मौके पर पहुंची. इंडिया टुडे से जुड़े रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस को सीनियर वकील के घर से एक सुसाइड नोट मिला. इसमें वर्मा ने लिखा, “किसी ने मेरे नाम से फर्जी HDFC बैंक अकाउंट खोलकर पहलगाम आतंकी हमले के आरोपी आसिफ को पैसे भेजे. मैं देशद्रोही का ठप्पा नहीं सह सकता.”

उन्होंने ये भी लिखा कि 1984 की भोपाल गैस त्रासदी में उन्होंने सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार किया था. इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उन्हें एम्बुलेंस उपलब्ध कराई थी. साथ ही वकील ने ये भी लिखा कि उन्होंने लगभग 50 बार ब्लड डोनेट कर कई लोगों की जान बचाई थी.

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मृतक वकील की पत्नी और बेटी घटना के वक्त दिल्ली में थींं. उनका बेटा पुणे में नौकरी करता है. पत्नी का जब फोन नहीं लगा तो उन्होंने किराएदार से चेक करने को कहा. किराएदार ने खिड़की से देखा तो वर्मा को बेसुध हालत में पाया. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

पुलिस ने क्या बताया?

पुलिस का कहना है कि ये मामला “डिजिटल अरेस्ट” का है. जिसमें ठग फर्जी आला अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और लोगों को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देकर पैसे ऐंठते हैं. ठगों ने वर्मा से कहा कि उनके नाम से खोला गया अकाउंट पहलगाम आतंकी हमले में इस्तेमाल हुआ है और वो देशद्रोही साबित हो जाएंगे. शिवकुमार ठगों के दावों पर यकीन कर बैठे. डर और अपमान सहन न कर पाने की वजह से उन्होंने ये कदम उठाया.

भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि इस घटना को लेकर मामला दर्ज कर लिया गया है. सुसाइड नोट में बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर का जिक्र है. सभी तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं और जल्द ही ठगों को पकड़ा जाएगा.

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