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CJI गवई ने लंदन से मोदी सरकार को कोलेजियम पर क्या नसीहत दे दी?

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार के किसी हस्तक्षेप के बिना होनी चाहिए.

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सीजेआई ने कहा कि कोलेजियम को सरकारी कंट्रोल से मुक्त होना चाहिए (India Today)

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जजों की नियुक्ति में सरकार का कोई दखल नहीं होना चाहिए. लंदन में यूके सुप्रीम कोर्ट की राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि जजों की स्वतंत्रता संविधान को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी है. विधायिका या कार्यपालिका की वैलिडिटी (वैधता) जनता के वोटों से आती है, लेकिन न्यायपालिका की वैधता संवैधानिक मूल्यों को स्वतंत्रता, ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ लागू करने से मिलती है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, CJI गवई ने कहा कि संविधान में साफ कहा गया है कि स्टेट को न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिए कदम उठाने चाहिए. 

कोलेजियम की पारदर्शिता पर उठते सवालों को लेकर सीजेआई ने कहा,

सबसे जरूरी विचार जजों की स्वतंत्रता है, जो उनके कार्यकाल की शर्तों और नियुक्ति की प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है. कोलेजियम सिस्टम इसलिए बनाया गया था ताकि न्यायपालिका स्टेट के नियंत्रण से मुक्त रहे.

सीजेआई गवई ने कहा,

भारत में इस पर काफी विवाद रहा है कि न्यायिक नियुक्तियों में मुख्य भूमिका किसकी होती है? 1993 तक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति में अंतिम फैसला कार्यपालिका का होता था. इस दौरान दो बार सबसे वरिष्ठ जजों को नजरअंदाज करके CJI की नियुक्ति की गई, जो परंपरा के खिलाफ था. 

सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका की फंडिंग अलग रखी जाती है और यह consolidated fund से आता है, ताकि कार्यपालिका का उस पर कोई नियंत्रण न हो.

बता दें कि सीजेआई का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कोलेजियम सिस्टम की कड़ी आलोचना की थी. जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड के बाद उन्होंने संसद में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) का मुद्दा उठाया, जिसे कानून बनने के एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. NJAC के बारे में धनखड़ ने कहा कि यह ऐतिहासिक कानून संसद में अभूतपूर्व सहमति के साथ पारित हुआ था, लेकिन इसे खत्म कर दिया गया. 

क्या है NJAC 

NJAC में 6 सदस्यों का एक पैनल था, जिसमें कार्यपालिका से कानून मंत्री, दो सबसे वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट जज, CJI, और दो अन्य सदस्य शामिल थे, जिन्हें CJI, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता की चयन समिति द्वारा नामित किया जाना था.

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