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चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या सिर्फ सीट बंटवारे के लिए दबाव बना रहे?

राजीतिक गलियारों में चर्चा है कि Chirag Paswan को उनकी पार्टी सीएम फेस बनाना चाहती है. इसके लिए शक्ति प्रदर्शन की भी तैयारी है. उन्होंने ये स्पष्ट कहा है कि अगर उनकी पार्टी कहेगी तो वो Bihar Vidhan Sabha Chunav लड़ेंगे.

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चर्चा है कि चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. (फाइल फोटो: PTI)

बिहार के राजनीतिक गलियारों में चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लेकर नई अटकलें लगाई जा रही हैं. उनकी पार्टी का कहना है कि उनको अब पूरे बिहार का नेता बनाया जाना चाहिए, अब उनको केवल एक वर्ग का नेता बनकर नहीं रहना चाहिए. चिराग हाजीपुर से सांसद और केंद्र सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं. उनके बारे में ये भी कहा जा रहा है कि वो अब केंद्र की राजनीति को छोड़कर बिहार की राजनीति में अपने लिए विकल्प खोज रहे हैं. गौरतलब है कि इसी साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) होने हैं.

सबसे पहले बात करेंगे कि लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग के बारे में ऐसी चर्चा शुरू क्यों हुई? 

चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ेंगे?

पार्टी नेता और जमुई सांसद अरुण भारती ने 1 जून को एक एक्स पोस्ट में लिखा,

चिराग पासवान आज सिर्फ प्रतिनिधि नहीं, पूरे बिहार की उम्मीद हैं. उनका ये कदम सामाजिक न्याय की राजनीति को एक नई दिशा देगा. इसमें प्रतिनिधित्व के साथ-साथ सर्वमान्यता की भी लड़ाई लड़ी जाएगी.

साथ ही साथ, कार्यकर्ताओं की ये भी भावना है कि इस बार वो किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि एक सामान्य सीट से चुनाव लड़ें. ताकि ये संदेश जाए कि वो अब सिर्फ एक वर्ग नहीं, पूरे बिहार का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं.

जब मैं प्रदेश प्रभारी के रूप में गांव-गांव गया, हर जगह लोगों की एक ही मांग थी कि चिराग पासवान को अब बिहार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए. हाल ही में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में भी सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हुआ कि वो आगामी विधानसभा चुनाव में खुद चुनाव लड़ें.

हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान हमेशा कहते हैं कि उनकी राजनीति बिहार केंद्रित है. और उनका विजन ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ एक विकसित और आत्मनिर्भर बिहार का संकल्प है. ये तभी संभव है जब वो खुद बिहार में रहकर नेतृत्व करें.

Chirag Paswan Contesting Vidhan Sabha Election
अरुण भारती का पोस्ट.
चिराग पासवान का भी बयान आया था

इसी सप्ताह की शुरुआत में पत्रकारों से बात करते हुए चिराग ने भी इस बात के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था,

मैंने ये पूरी तरह अपनी पार्टी पर छोड़ दिया है, अगर पार्टी चाहेगी तो मैं विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हूं. 

फिलहाल एक सर्वेक्षण के जरिए पता लगाया जा रहा है कि मेरे चुनाव लड़ने से मेरी पार्टी, मेरे उम्मीदवारों और मेरे गठबंधन को फायदा होगा या नहीं. 

लोकसभा चुनाव की ही तरह बिहार चुनाव में भी हमारा प्रदर्शन शानदार होना चाहिए.

चिराग को सीएम फेस बनाना चाहती है पार्टी?

राजनीतिक जानकारों के बीच चर्चा है कि क्या अरुण भारती, चिराग को सीएम फेस बनाने की बात कर रहें थे. इस चर्चा को जोर मिलने का एक और कारण है.

दरअसल बात ये है कि 8 जून को पार्टी ने आरा में 'नव संकल्प सभा' ​​की योजना बनाई है. इसका उद्देश्य सात जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को एकजुट करना है. 

ऐसी चर्चा है कि रमना मैदान में होने वाली इस सभा का आयोजन चिराग के शक्ति प्रदर्शन के लिए किया गया है. क्योंकि पार्टी उनको मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश कर रही है.

ये भी पढ़ें: BJP तो जीती, लेकिन उसके साथी नीतीश कुमार और चिराग पासवान की पार्टी का क्या हुआ?

दबाव की राजनीति तो नहीं कर रहें चिराग

लेकिन दूसरी ओर चर्चा ये भी कि कहीं ये सीट बंटवारे को लेकर दबाव की राजनीति तो नहीं हैं. पिछले कुछ समय से चर्चा है कि NDA को अपने सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे में मुश्किल हो सकती हैं. कारण कि चिराग की पार्टी अपने लोकसभा प्रदर्शन के आधार पर अधिक सीटों की मांग कर सकती है.

पुराने नतीजे बताते हैं कि NDA में चिराग की नाराजगी का खामियाजा सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भुगतान पड़ सकता है. साल 2020 में हुआ बिहार विधानसभा चुनाव इस बात की गवाही देता है. उस साल आखिर तक चिराग कोशिश करते रहे कि NDA में उनको कुछ सीटें मिल जाए. लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ हो तो उनकी पार्टी अकेले ही चुनावी मैदान में उतर गई. तब लोजपा में टूट नहीं हुई थी. 

चिराग ने उस साल, चुन-चुन कर JDU की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. उनकी पार्टी को कुछ खास नहीं मिला, सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. लेकिन नीतीश कुमार का बड़ा नुकसान हुआ. 38 में से 32 सीटों पर लोजपा को JDU से ज्यादा वोट मिले. 

इन 32 में से कम से कम 26 सीटों पर JDU उम्मीदवारों को जितने वोटों से हार का सामना करना पड़ा, उससे ज्यादा वोट लोजपा को मिले. पांच सीटों पर लोजपा दूसरे नंबर पर रही. बिहार में उस साल JDU तीसरे नंबर पर चली गई. इसका मुख्य कारण चिराग की नाराजगी को माना गया. हालांकि, बाद में उन्होंने NDA ज्वॉइन किया और गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ा.

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