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AI को इंसानी दिमाग से जोड़ रहा चीन, इरादा टेंशन देने वाला

जॉर्जटाउन के एक्सपर्ट्स के अनुसार, चीन के वुहान शहर में AI को हर जगह इस्तेमाल करने का एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है. यहां AI को इंडस्ट्री, बिजनेस और असली दुनिया के साथ जोड़कर टेस्ट किया जा रहा है. धीरे-धीरे इस प्रोजेक्ट को पूरे चीन में भी फैलाया जाएगा.

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ब्रेन-इंस्पायर्ड AI की सांकेतिक तस्वीर. (क्रेडिट - Unsplash)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की रेस में बाकी दुनिया से आगे निकलने के लिए चीन ने नया रास्ता निकाला है. फिलहाल दुनियाभर के ज्यादातर AI लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स पर आधारित हैं. लेकिन चीन इसके उलट ब्रेन-इंस्पायर्ड AI या उसके अन्य विकल्पों पर काम कर रहा है. वो इंसान और मशीन को जोड़ने के नए-नए तरीके खोजने में लग गया है.

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वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के AI मॉडल्स पर सार्वजनिक तौर पर ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन AI एक्सपर्ट्स, चीनी सरकारी दस्तावेजों से कुछ जानकारियां सामने आई हैं. अमेरिकी अखबार ने बताया कि चीन में AI को बनाने के लिए ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) तकनीक पर रिसर्च किया है. इसका मुख्य उद्देश्य 'कॉग्निटिव एन्हांसमेंट' (cognitive enhancement) यानी मानव मस्तिष्क की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जाएगा.

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (CSET) के अनुसार, BCI के जरिए इंसान के दिमाग के सिग्नल्स को सीधे कंप्यूटर से जोड़ा जाएगा. CSET के लीड एनालिस्ट विलियम हैनास ने बताया कि चीन आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) हासिल करने के पहले से चले आ रहे तरीकों को चुनौती दे रहा है. AGI ऐसा AI मॉडल है जो इंसानों की तरह या उससे बेहतर समझ रखता हो.

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चीन के ऐसा करने की बड़ी वजह अमेरिका द्वारा सेमीकंडक्टर पर लगाया गया एक्सपोर्ट बैन है. ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) और आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) के बारे में पूछने पर चीन सरकार ने जवाब दिया कि उन्होंने AI के लिए एथिकल गाइडलाइन और रेगुलेशन बनाए हैं. वॉशिंगटन में मौजूद चीनी एंबेसी ने बताया कि चीन AI को सुरक्षित, निष्पक्ष और सबके लिए फायदेमंद बनाना चाहता है.

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के AI एक्सपर्ट्स के अनुसार, चीन के वुहान शहर में AI को हर जगह इस्तेमाल करने का एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है. यहां AI को इंडस्ट्री, बिजनेस और असली दुनिया के साथ जोड़कर टेस्ट किया जा रहा है. धीरे-धीरे इस प्रोजेक्ट को पूरे चीन में भी फैलाया जाएगा.

चीन ने अमेरिका के दो भाइयों, बिजान और सईद तदायोन को उनकी ब्रेन-इंस्पायर्ड AI एल्गोरिथम तकनीक के लिए 3 करोड़ डॉलर (करीब 260 करोड़ रुपये) का ऑफर दिया था. इसके अलावा उन्हें अपने कंपनी हेडक्वॉटर को भी चीन में शिफ्ट करने को कहा गया. लेकिन दोनों भाइयों ने चीन के इस ऑफर को ठुकरा दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि चीन इसका इस्तेमाल अपनी सेना की क्षमता को बढ़ाने में कर सकता है.

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चीनी रिसर्चर्स खुलेआम सुपरइंटेलिजेंस (इंसानों से भी तेज) पर खुलकर चर्चा कर रहे हैं. एनलिस्ट हनास ने भी चिंता जाहिर करते हुए कहा, “AI को डरावना बनाने के लिए उसे इंसान के बराबर होने की जरूरत नहीं है.” उदाहरण दिया कि एक कॉकरोज ऐसे कई काम कर सकता है जो मैं नहीं कर सकता, जबकि उसके पास मेरे या ChatGPT से भी कम न्यूरॉन्स हैं. 

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