नई शिक्षा नीति 2020: जानिए नाम के अलावा और क्या-क्या बदलाव हुए
UGC और AICTE जैसी संस्थाओं को मिलाकर बनाया जाएगा भारतीय उच्च शिक्षा आयोग.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालयमानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है. अब एचआरडी मंत्री को शिक्षा मंत्री कहा जाएगा. जब देश आजाद हुआ, तब से लेकर 1985 तक शिक्षा मंत्री और शिक्षा मंत्रालय ही हुआ करता था, लेकिन फिर राजीव गांधी सरकार ने इसका नाम बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय कर दिया था. इस नाम को लेकर आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय शिक्षण मंडल ने आपत्ति जताई थी और साल 2018 के अधिवेशन में इस नाम बदलने की मांग उठाई थी. दलील ये थी कि मानव को संसाधन नहीं मान सकते, ये भारतीय मूल्यों के खिलाफ है. क्या-क्या बदलेगा?नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद क्या बदलाव आएगा, इसकी मोटी-मोटी बातें आपको बिंदुवार बताते हैं. पहले बात करते हैं उच्च शिक्षा में बदलावों की. उच्च शिक्षा मतलब 12वीं के बाद की कॉलेज- यूनिवर्सिटी की पढ़ाई. #मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट होगा- इसका मतलब ये है कि मान लीजिए किसी ने बीटेक में एडमिशन लिया और दो सेमेस्टर बाद मन उचट गया कुछ और पढ़ने का. तो उसका साल खराब नहीं होगा. एक साथ के आधार पर सर्टिफिकेट मिलेगा और दो साल पढ़ने पर डिप्लोमा मिलेगा, कोर्स पूरा करने पर डिग्री मिलेगी. इस तरह की व्यवस्था होगी. और कहीं और भी एडमिशन लेने के लिए ये रिकॉर्ड कंसीडर किया जाएगा. इसे सरकार की पॉलिसी में क्रेडिट ट्रांसपर कहा गया है. आपका कोर्स पूरा नहीं किया लेकिन जितना किया उसका क्रेडिट आपको मिल जाएगा.Cabinet Briefing @PrakashJavdekar @DrRPNishank https://t.co/47u5S0pH6f
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 29, 2020
#ग्रेजुएशनअभी बीए, बीएससी जैसे ग्रेजुएशन कोर्स तीन साल के होते हैं. अब नई वाली पॉलिसी में तो तरह के विकल्प होंगे. जो नौकरी के लिहाज से पढ़ रहे हैं, उनके लिए 3 साल का ग्रेजुएशन. और जो रिसर्च में जाना चाहते हैं, उनके लिए 4 साल का ग्रेजुएशन, फिर एक साल पोस्ट ग्रेजुएशन और 4 साल का पीएचडी. एमफिल की जरूरत भी नहीं रहेगी. एम फिल का कोर्स भी खत्म कर दिया गया है.#मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन होगीयानी कि कोई स्ट्रीम नहीं होगी. कोई भी मनचाहे सब्जेक्ट चुन सकता है. यानी अगर कोई फिजिक्स में ग्रेजुएशन कर रहा है और उसकी म्यूजिक में रुचि है, तो म्यूजिक भी साथ में पढ़ सकता है. आर्ट्स और साइंस वाला मामला अलग अलग नहीं रखा जाएगा. हालांकि इसमें मेजर और माइनर सब्जेक्ट की व्यवस्था होगी. # कॉलेजों को ग्रेडेड ऑटोनॉमी होगी. अभी एक यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कई कॉलेज होते हैं, जिनकी परीक्षाएं यूनिवर्सिटी कराती हैं. अब कॉलेज को भी स्वायत्ता दी जा सकेगी. # उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेग्युलेटर बनाया जाएगा. जैसे अभी यूजीसी, एआईसीटीई जैसी कई संस्थाएं हायर एजुकेशन के लिए हैं. अब सबको मिलाकर एक ही रेग्युलेटर बना दिया जाएगा. मेडिकल और लॉ की पढ़ाई के अलावा सभी प्रकार की उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेग्युलेटर बॉडी भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा.# नई शिक्षा नीति का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में GER (सकल नामांकन अनुपात) को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है. जीईआर हायर एजुकेशन में नामांकन मापने का एक माध्यम है. हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी.#NEP2020 The UG degree will have multiple exit options. An Academic Bank of Credit shall be established which would digitally store the academic credits earned from various recognized HEIs so that the degrees from an HEI can be awarded taking into account credits earned. pic.twitter.com/yf5h2ai6UI
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 29, 2020
Targeting a 50% Gross Enrolment Ratio (GER) in higher #education by 2035. While a number of new institutions may be developed to attain these goals, a large part of the capacity creation will be achieved by consolidating/expanding/improving existing HEIs. pic.twitter.com/fVxPeKmkip — Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 29, 2020# देशभर की हर यूनिवर्सिटी के लिए शिक्षा के मानक एक समान होंगे. यानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी हो या स्टेट यूनिवर्सिटी हो या डीम्ड यूनिवर्सिटी. सबका स्टैंडर्ड एक जैसा होगा. ऐसा नहीं होगा कि बिहार के किसी यूनिवर्सिटी में अलग तरह की पढ़ाई हो रही है और डीयू के कॉलेज में कुछ अलग पढ़ाया जा रहा है. और कोई प्राइवेट कॉलेज भी कितनी अधिकतम फीस ले सकता है, इसके लिए फी कैप तय होगी. # रिसर्च प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए अमेरिका की तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया जाएगा, जो साइंस के अलावा आर्ट्स के विषयों में भी रिसर्च प्रोजेक्ट्स को फंड करेगा. # आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) स्थापित किए जाएंगे. # शिक्षा में टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल, शैक्षिक योजना, प्रशासन और प्रबंधन को कारगर बनाने तथा वंचित समूहों तक शिक्षा को पहुंचाने के लिए एक स्वायत्त निकाय राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (NETF) बनाया जाएगा. # विश्व की टॉप यूनिवर्सिटीज को देश में अपने कैम्पस खोलने की अनुमति दी जाएगी.स्कूलों में क्या बदलेगा?ये तो हुई उच्च शिक्षा की बात. अब बात करते हैं स्कूली शिक्षा में बदलावों की बात. यानी नर्सरी से लेकर 12वीं तक. #अभी हमारा स्कूली सिस्टम 10+2 है. यानी 10वीं तक सारे सब्जेक्ट और 11वीं में स्ट्रीम तय करनी होती है. नए सिस्टम को 5+3+3+4 बताया गया है. इसमें स्कूल के आखिर चार साल यानी 9वीं से लेकर 12वीं तक एकसमान माना गया है, जिसमें सब्जेक्ट गहराई में पढ़ाए जाएंगे, लेकिन स्ट्रीम चुनने की जरूरत नहीं होगी मल्टी स्ट्रीम पढ़ाई होगी. फिजिक्स वाला चाहे तो हिस्ट्री भी पढ़ पाएगा. या कोई एक्ट्रा करिक्यूलम एक्टिविटी, जैसे म्यूजिक या कोई गेम है, तो उसे भी एक सब्जेक्ट की तरह ही शामिल कर लिया जाएगा. ऐसी रुचि वाले विषयों को एक्स्ट्रा नहीं माना जाएगा. # सभी बच्चे 3, 5 और 8 की स्कूली परीक्षा देंगे. ग्रेड 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षा जारी रखी जाएंगी, लेकिन इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा. एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र 'परख' स्थापित किया जाएगा.
# 3 से 6 साल के बच्चों को अलग पाठ्यक्रम तय होगा, जिसमें उन्हें खेल के तरीखों से सिखाया जाएगा. इसके लिए टीचर्स की भी अलग ट्रेनिंग होगी. # कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को यानी 6 से 9 साल के बच्चों को लिखना पढ़ना आ जाए, इस पर खास ज़ोर दिया जाएगा. इसके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा. # कक्षा 6 से ही बच्चों को वोकेशनल कोर्स पढ़ाए जाएंगे, यानी जिसमें बच्चे कोई स्किल सीख पाए. बाकायदा बच्चों की इंटर्नशिप भी होगी, जिसमें वो किसी कारपेंटर के यहां हो सकती है या लॉन्ड्री की हो सकती है. इसके अलावा छठी क्लास से ही बच्चों की प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग होगी. कोडिंग सिखाई जाएगी. # स्कूलों के सिलेबस में बदलाव किया जाएगा. नए सिरे से पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे और वो पूरे देश में एक जैसे होंगे. जोर इस पर दिया जाएगा कि कम से कम पांचवीं क्लास तक बच्चों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जा सके. किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. भारतीय पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे. स्कूल में आने की उम्र से पहले भी बच्चों को क्या सिखाया जाए, ये भी पैरेंट्स को बताया जाएगा.#NEP2020 Ensuring universal access to high-quality Early Childhood Care and #Education across the country.#ECCE will focus on developing social capacities, sensitivity, good behaviour, courtesy, ethics, personal & public cleanliness, teamwork & cooperation among children. pic.twitter.com/qQ3JVoqHW8
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 29, 2020
# प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा. स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के इन्फ्रॉस्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा. साथ ही नए शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाने का लक्ष्य है. # बोर्ड की परीक्षाओं का अहमियत घटाने की बात है. साल में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं कराई जा सकती हैं. बोर्ड की परीक्षाओं में ऑब्जेक्टिव टाइप क्वेशन पेपर भी हो सकते हैं. # बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में मूल्यांकन सिर्फ टीचर ही नहीं लिख पाएंगे. एक कॉलम में बच्चा खुद मूल्यांकन करेगा और एक में उसके सहपाठी मूल्यांकन करेंगे. # स्कूल के बाद कॉलेज में दाखिले के लिए एक कॉमन इंट्रेस एक्जाम हो, इसके लिए नेशनल एसेसमेंट सेंटर बनाए जाने की भी बात है. # स्कूल से बच्चा निकलेगा, तो हर बच्चे के पास एक वोकेशनल स्किल होगा. # एनसीईआरटी की सलाह से, एनसीटीई टीचर्स ट्रेनिंग के लिए एक नया सिलेबस NCFTE 2021 तैयार करेगा. 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री हो जाएगी.#NEP2020 The medium of instruction (preferably) till Grade 8 & beyond, will be the home language/mother-tongue/local language/regional language. Starting from the Foundational Stage, children will be exposed to different languages with a particular emphasis on the mother tongue. pic.twitter.com/w5hM3riTpF
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 29, 2020
# शिक्षकों को प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए भर्ती किया जाएगा. प्रमोशन योग्यता आधारित होगी. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) 2022 तक विकसित किया जाएगा.# इस नीति के जरिए 2030 तक 100% युवा और प्रौढ़ साक्षरता के लक्ष्य को प्राप्त करना है. नई शिक्षा नीति की मोटी-मोटी बातें ये ही हैं. अब ये तो बहुत आदर्श स्थिति लगती है, लेकिन हमारे सरकारी स्कूलों की हालत तो हम जानते हैं. खुद सरकार के आंकड़े कहते हैं कि लगभग हर प्रदेश में स्कूलों में शिक्षकों की कमी है या फिर कहीं-कहीं तो स्कूल का भवन तक नहीं है. इसमें सुधार के लिए सरकार ने शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का भी ऐलान किया है. अब जीडीपी का 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होगा, जो कि अभी 4.3 फीसदी के आसपास है. अभी सिर्फ नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट को मंजूरी मिली है, अभी लागू होना बाकी है. उसके बाद भी कई इम्तिहानों से गुजरना होता है. मसलन क्या ये नई शिक्षा नीति की बातें शहरों से दूर गांव-देहात के उन बच्चों तक भी पहुंच पाएंगी? क्या जिन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, वहां अब म्यूजिक के टीचर और वोकेशनल कोर्स और ऐसी बाकी बातें लागू हो पाएंगी?#NEP2020 Teachers will be recruited through robust and transparent processes. Promotions will be merit-based, and a mechanism will be developed for multi-source periodic performance appraisals. pic.twitter.com/TY1YNTJFYw
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 29, 2020
मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति में क्या ऐतिहासिक बदलाव किए?

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