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आकाशतीर से लेकर ब्रह्मोस तक... वो स्वदेशी हथियार जिनसे ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया

PM Narendra Modi ने Independence Day पर अपने संबोधन में कहा कि Operation Sindoor के दौरान Made In India Weapons का इस्तेमाल हुआ. आइए जानते हैं भारत में बने उन हथियारों के बारे में जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ.

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गणतंत्र दिवस परेड के दौरान आकाश मिसाइल सिस्टम (PHOTO-India Today/PTI)

79वें स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के दौरान पीएम मोदी(PM Modi) ने अपने भाषण में ऑपरेशन सिंदूर(Operation Sindoor) का जिक्र किया. पीएम ने अपने संबोधन मे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत में बने हथियारों का इस्तेमाल हुआ. पीएम ने कहा कि स्वदेशी हथियारों की बदौलत हमारे जवानों ने इतने बेहतरीन तरीके से ऑपरेशन को अंजाम दिया. पीएम मोदी ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर में 'मेक इन इंडिया' का कमाल दिखा. अगर हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर न होते तो ये संभव नहीं था. साज-ओ-सामान की चिंता रहती. लेकिन भारतीय हथियारों की बदौलत बिना रुके सेना ने पराक्रम दिखाया.'

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जब लल्लनटॉप की टीम ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में नियंत्रण रेखा (Line of Control) पर थी, उस दौरान भी सेना ने इस जानकारी को साझा किया था. तो जानते हैं उन स्वदेशी हथियारों के बारे में जिनका इस्तेमाल कर न सिर्फ पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया, बल्कि पाकिस्तानी हमलों को नाकाम भी किया गया.

सुखोई Su30-MKI

सुखोई- Su30MKI (Sukhoi-Su30MKI) एक दो इंजन, डबल सीटर, मल्टीरोल और एयर सुपीरियॉरिटी क्षमता वाला फाइटर जेट है जिसे सबसे पहले रूस की सुखोई कंपनी ने बनाया था. अब इस कंपनी को यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (UAC) के नाम से जाना जाता है. इसे मल्टीरोल एयरक्राफ्ट कहा जाता है क्योंकि ये एक साथ कई तरह के मिशंस मसलन बॉम्बिंग, डॉगफाइट (हवा में दो विमानों की लड़ाई) से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे मिशंस में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस ऑपरेशन में भारत ने सुखोई- Su30MKI का भी इस्तेमाल किया था. इस विमान के Su-30MKI वेरिएंट का इस्तेमाल इंडियन एयरफोर्स करती है. इसमें MKI का मतलब रूसी भाषा में Modernizirovannyi Kommercheskiy Indiski है जिसका मतलब है Modernized Commercial Indian. 

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sukhoi su 30mki
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान टेक-ऑफ करता इंडियन एयरफोर्स का Sukhoi Su-30MKI

समय के साथ ये विमान पूरी तरह से भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नासिक फैसिलिटी में बनाया जाने लगा. साल 2025 में इस विमान के सभी पुर्जों से लेकर उपकरण भारत में बनते हैं. इस विमान को इंडियन एयरफोर्स की ‘रीढ़’ भी कहा जाता है. अब इसकी कुछ खासियतों पर नजर डालते हैं.

  • क्रू: 2 
  • लंबाई: 21.93 मीटर 
  • विंगस्पैन: 14.7 मीटर 
  • ऊंचाई: 6.36 मीटर 
  • अधिकतम टेक-ऑफ वजन: 38,800 किलोग्राम 
  • ईंधन क्षमता: 9,640 किलोग्राम 
  • रेंज: 3 हजार किलोमीटर 
  • अधिकतम स्पीड: मैक 2 (1 मैक में 1234.8 किलोमीटर प्रति घंटा)
आकाश मिसाइल सिस्टम

भारत ने जब पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के आतंकी ठिकानों पर हमला किया तो पाकिस्तान की फौज को ये नागवार गुजरा. उन्होंने सालों से इन आतंकी ट्रेनिंग कैंप्स को पोषित किया था ताकि वो भारत को डिस्टर्ब करने में उसके लिए फ्रंटलाइन सैनिकों की तरह काम करें. लिहाजा आतंकी ठिकानों के तबाह होते ही पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला शुरू कर दिया. सीमा पर शेलिंग (Artillery Firing) भी की. सीमा पार से आ रही मिसाइल्स को रोकने में भारत के स्वदेशी ‘आकाश मिसाइल सिस्टम’ ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. तो समझते हैं क्या है इस सिस्टम की खासियत.

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आकाश एक मीडियम रेंज की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाईजेशन (DRDO) ने डेवलप किया है. इस मिसाइल के निर्माण का काम भारत डायनैमिक्स लिमिटेड (BDL) करती है. ये एक एयर डिफेंस सिस्टम है जिसमें 'राजेंद्र' नाम का रडार लगा है. ये मिसाइल 45 किलोमीटर की दूरी और 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर मौजूद दुश्मन के एयरक्राफ्ट और मिसाइल्स को तबाह कर सकती है. इसके कुछ फीचर्स को देखें तो-

  • वॉरहेड: 60 किलोग्राम प्री-फ्रैगमेंटेड हाई एक्सप्लोसिव 
  • प्रोपल्शन सिस्टम: सॉलिड बूस्टर इंटीग्रल रॉकेट/रैमजेट सस्टेनर मोटर 
  • रेंज: 45 किलोमीटर 
  • स्पीड: मैक 3.5
आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम

आकाशतीर आधुनिक सेंसर्स से लैस भारत का स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे दुश्मन के ड्रोन्स, फाइटर जेट्स और मिसाइल जैसे खतरों को रोकने के लिए बनाया गया है. इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने डिजाइन डेवलप और फिर मैन्युफैक्चर किया है. लल्लनटॉप की टीम जब LoC पर स्थित एक फॉरवर्ड पोस्ट पर थी, तब उसने आकाशतीर को पूरी तरह से ऑपरेशनल स्थिति में देखा था. ये सिस्टम पूरे एयरस्पेस पर नजर रखता है जिससे ये किसी भी खतरे को समय रहते ट्रैक कर सकता है. ये सिस्टम एयरस्पेस पर नजर रखने के लिए ISRO की सैटेलाइट्स का भी इस्तेमाल करता है. 

यही वजह है कि जब पाकिस्तानी ड्रोन्स भारतीय एयरस्पेस में आए, इस सिस्टम ने तुरंत उन्हें इंटरसेप्ट कर अपने वेपन (हथियार) सिस्टम को इसकी जानकारी दी. इसके बाद इस सिस्टम की मदद से ही पाकिस्तानी ड्रोन्स और मिसाइल्स के हमले को नाकाम कर दिया. फिलहाल भारत की तीनों सेनाएं इस सिस्टम का इस्तेमाल कर रही हैं.

ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल

इस मिसाइल की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. इसकी कहानी शुरू होती है साल 1993 से. इस साल डॉ एपीजे अब्दुल कलाम रूस की विजिट पर गए. वहां उन्हें रूसी साइंटिस्ट्स ने एक सुपरसॉनिक इंजन दिखाया. कहा कि सोवियत संघ के पतन के कारण उनके पास आगे की रिसर्च करने के लिए फंड्स नहीं बचे हैं. डॉ कलाम ने यहां एक मौका देखा और सोचा कि भारत में चल रहे मिसाइल प्रोग्राम में इस इंजन को इंटीग्रेट किया जाए और एक नई तरह की मिसाइल बनाई जाए. 

इस प्लान को 1998 में सरकारी मंजूरी मिली और Brahmos Aerospace नामक भारत-रूस का जॉइंट वेंचर अस्तित्व में आया. ये DRDO के अंडर आता है. जब 1998 में इसे बनाया गया, तो इसका सीईओ डॉ. सिवथानू पिल्लई को बनाया गया. आज ये मिसाइल पूरी तरह से भारत में बनती है. इस मिसाइल को पूरी दुनिया में इसकी रफ्तार और सटीकता के लिए ख्याति प्राप्त है. भारत ने इसे अपने Sukhoi Su-30MKI फाइटर जेट में भी इंटीग्रेट किया है. साथ ही ब्रह्मोस के एडवांस वेरिएंट Brahmos NG पर भी काम चल रहा है. इस मिसाइल के अलग-अलग वेरिएंट्स का इस्तेमाल भारत की तीनों सेनाएं करती हैं. भारत ने फिलीपींस को इसका एक बैच एक्सपोर्ट भी कर दिया है. दूसरा बैच भी जल्द ही एक्सपोर्ट किया जाएगा. तो समझते हैं क्या है इस मिसाइल के फीचर्स.

  • श्रेणी: सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल 
  • लंबाई: 8 से 8.2 मीटर 
  • लॉन्च वजन: 2,200 से 3,000 किलोग्राम 
  • पेलोड क्षमता: 300 किलोग्राम 
  • प्रोपल्शन सिस्टम: लिक्विड फ्यूल रैमजेट 
  • लॉन्च का प्रकार: ग्राउंड, एयर व शिप 

मिसाइल तकनीक के जानकार बताते हैं कि एक बार लॉन्च होने के बाद इस मिसाइल को रोकना लगभग नामुमकिन है. इसके सारे वेरिएंट्स के बीच में चार क्लिपड डेल्टा विंग हैं जो मैक 3 की रफ्तार पर भी इसे स्टेबल रखते हैं और ये लक्ष्य से नहीं भटकता. साथ ही पिछले हिस्से में भी चार फिन्स (एक तरह के पंख) लगे हैं जो इसे स्थिरता प्रदान करते हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल का इस्तेमाल कर भारत ने पाकिस्तान के एयर बेस और मिलिट्री इनस्टॉलेशंस को भारी नुकसान पहुंचाया था.

वीडियो: लाल किले से पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर क्या कहा?

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