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मेधा पाटकर और प्रकाश राज को देख ऐसा भड़के BJP सांसद, संसदीय समिति की बैठक नहीं हो पाई

Medha Patkar and Prakash Raj: सूत्रों ने बताया कि जब BJP सांसदों ने मेधा पाटकर और प्रकाश राज को देखा, तो वो ‘उत्तेजित’ हो गए. उन्होंने मीटिंग रूम में तब तक एंट्री करने से इनकार कर दिया, जब तक कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक सदस्य मेधा पाटकर को वापस नहीं भेज दिया जाता.

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मेधा पाटकर (बाएं) और प्रकाश राज का विरोध किया(दाएं). (फ़ाइल फ़ोटो- PTI/इंडिया टुडे)

मंगलवार, 1 जुलाई को लोकसभा की एक संसदीय समिति (Parliamentary Committee) की बैठक होनी थी, लेकिन नहीं हो सकी. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया. ये सांसद बैठक में सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर (Medha Patkar) और एक्टर प्रकाश राज (Prakash Raj) की मौजूदगी के विरोध में थे. जानकारी के मुताबिक़, BJP सांसदो ने दोनों को ‘राष्ट्र विरोधी’, ‘विकास विरोधी’ और ‘अर्बन नक्सल’ कहा.

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द प्रिंट की ख़बर के मुताबिक़, ये बैठक भूमि अधिग्रहण कानून पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. ओडिशा से कांग्रेस सांसद सप्तगिरि उलाका इस संसदीय समिति की अध्यक्षता कर रही हैं. इस समिति में 29 सदस्य हैं.

प्रिंट के मुताबिक़, 1 जुलाई को मीटिंग के लिए 17 सांसद मौजूद थे. इनमें से 11 BJP सांसद थे और उन सभी ने मीटिंग से वॉकआउट कर दिया. BJP सदस्यों के बाहर चले जाने के बाद, कांग्रेस के चार सांसदों समेत छह सांसद बचे रहे. ऐसे में सप्तगिरि उलाका को बैठक रद्द करनी पड़ी. क्योंकि कोरम पूरा नहीं हुआ.

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BJP सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनकी पार्टी के सांसदों के अलावा सहयोगी जनता दल (सेक्युलर) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी उनके साथ थे. हालांकि, कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया कि देवगौड़ा ने बैठक का बहिष्कार नहीं किया था.

क्यों हुआ विरोध?

सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब BJP सांसदों ने मेधा पाटकर और प्रकाश राज को देखा, तो वो ‘उत्तेजित’ हो गए. उन्होंने मीटिंग रूम में तब तक एंट्री करने से इनकार कर दिया, जब तक कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक सदस्य मेधा पाटकर को वापस नहीं भेज दिया जाता.

नर्मदा बचाओ आंदोलन की सदस्य के रूप में मेधा पाटकर ने गुजरात में सरदार सरोवर बांध परियोजना के ख़िलाफ़ अभियान चलाया था. इसके लिए वो BJP नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना कर चुकी हैं. जबकि प्रकाश राज एक लोकप्रिय एक्टर हैं. वो अपने BJP विरोधी विचारों के लिए जाने जाते हैं.

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किसने क्या कहा?

नाम न बताने की शर्त पर विपक्ष के एक सांसद ने द प्रिंट को बताया,

बैठक शुरू होने से पहले ही BJP सांसदों ने सुनियोजित तरीक़े से मेधा पाटकर को देशद्रोही कहना शुरू कर दिया. उन्होंने मेधा पर राज्यों में विकास रोकने का आरोप लगाया. एक BJP सांसद ने तो यहां तक ​​कह दिया कि अगर हम मेधा पाटकर को बुला सकते हैं, तो समिति पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भी बुला सकती है. इसके बाद वो बैठक से बाहर चले गए.

वहीं, समिति के सदस्य BJP सांसद राजू बिस्ता ने द प्रिंट से कहा,

समिति को आमंत्रित किए गए सदस्यों की सूची पहले ही बता देनी चाहिए थी. उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसके बजाय कुछ ऐसे लोग, जो आमंत्रितों की आधिकारिक सूची में भी नहीं थे, वो आ गए. संसदीय समिति की बैठकों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए नहीं किया जा सकता.

राजू बिस्ता ने ये भी कहा कि मेधा पाटकर को राष्ट्र-विरोधी नहीं कहा गया था. वहीं, संसदीय समिति की अध्यक्ष सप्तगिरि उलाका ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के ऑफ़िस ने नामों को मंजूरी दे दी थी. लेकिन BJP नेता सुनने के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने द प्रिंट से कहा,

हमने सदस्यों को बताया था कि मेधा पाटकर आएंगी. लेकिन BJP सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई. इसलिए बैठक स्थगित करनी पड़ी. भूमि अधिग्रहण एक बड़ा मुद्दा है. लेकिन सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने बिना सुनवाई के बैठक का बहिष्कार कर दिया. और बाद में कोरम की कमी का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया गया. लेकिन समितियों का गठन इस तरह से किया गया है कि BJP सांसदों की मौजूदगी के बिना कोरम हासिल करना संभव नहीं है.

मेधा पाटकर और प्रकाश राज के अलावा, समिति ने 10 और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को बुलाया था. हालांकि स्थायी समिति की रिपोर्ट काफ़ी प्रभाव वाली होती है. लेकिन वे सरकार के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होती हैं. मंगलवार, 1 जुलाई को होने वाली बैठक समिति की 29वीं बैठक होती.

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