पंजाब में एक बड़ा ही दिलचस्प वाकया सामने आया है. यहां आम आदमी पार्टी (AAP) की भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) सरकार के विरोध में अपनी खुद की 'मॉक विधानसभा' (Punjab Mock Assembly) का आयोजन किया. चंडीगढ़ स्थित सेक्टर 37 में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में जनसभा का आयोजन किया. लगभग चार घंटे तक चली इस विधानसभा में भाजपा (Punjab BJP) ने बाढ़ (Punjab Floods) के मुद्दे को जोरशोर से पेश किया. साथ ही भाजपा ने मंत्रियों पर एफआईआर और न्यायिक जांच जैसी मांगें भी उठाईं. तो पहले जानते हैं, क्या किया है पंजाब भाजपा ने, और ये ‘मॉक विधानसभा’ क्या है?
पंजाब सरकार के मंत्रियों पर एफआईआर की मांग, भाजपा ने बुलाई मॉक विधानसभा, लेकिन ये बुलाई क्यों जाती है?
Chandigarh स्थित BJP के प्रदेश मुख्यालय में Mock Assembly का आयोजन किया. लगभग चार घंटे तक चली इस विधानसभा में Punjab BJP ने Punjab Floods के मुद्दे को जोरशोर से पेश किया.


आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा द्वारा बुलाई गई इस सभा में पंजाब के पूर्व मंत्री, वर्तमान और पूर्व विधायक, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व सांसद, स्टेट कोर कमेटी के सदस्य, पार्टी के पदाधिकारियों और सभी जिलाध्यक्षों को बुलाया गया था. इस मॉक विधानसभा में पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और पठानकोट से विधायक अश्विनी शर्मा को सदन का नेता बनाया गया था. साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल को अध्यक्ष बनाया गया. मॉक विधानसभा को संबोधित करते हुए अश्विनी शर्मा ने कहा
विधानसभा की गरिमा से समझौता किया जा रहा है. अध्यक्ष अपने संवैधानिक कर्तव्य को भूल गए हैं. सत्ता पक्ष जनता की आवाज का मज़ाक उड़ा रहा है और सरकार लोगों को राहत देने की जगह उनके जख्मों पर नमक छिड़क रही है.
इस पूरे मॉक विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा बाढ़ के मुद्दे को लेकर पंजाब की आप सरकार पर हमलावर रही. आजतक से बात करते हुए अश्विनी शर्मा ने कहा
पंजाब के लोगों के साथ हो रहे धोखे, ज्यादतियों और नुकसान पर खुलकर चर्चा हुई है. खास तौर पर बाढ़ प्रभावित लोगों की दुर्दशा और मुआवजे की लूट पर पर चर्चा हुई. CAG रिपोर्ट के खुलासे और सरकारी धन के दुरूपयोग, लोगों के अधिकारों के हनन और सरकार की उदासीनता पर खुलकर चर्चा के अलावा निंदा प्रस्ताव भी पेश किया जाएगा. विधानसभा में इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई इसलिए हम अपना विशेष सत्र बुला रहे हैं. हमने अपनी विधानसभा में पंजाब में बाढ़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और मंत्रियों पर एफआईआर की मांग की है.
अश्विनी शर्मा ने आरोप लगाया कि खनन की वजह से पंजाब की नदियों में बाढ़ आई है. बकौल शर्मा, पंजाब सरकार ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया और अब भी चुप है. उनके मुताबिक जब पीएम बाढ़ पीड़ित इलाकों का दौरा करने पंजाब आए थे, उस समय भी आप सरकार राजनीति में व्यस्त थी.
इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पंजाब सरकार ने विधानसभा में 6 बिल पास किए. इन बिलों में शामिल है-
- सीड्स (पंजाब संशोधन) बिल 2025
- पंजाब राइट टू बिजनेस (संशोधन) बिल 2025
- पंजाब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (संशोधन) बिल 2025
- पंजाब अपार्टमेंट प्रॉपर्टी रेगुलेशन (संशोधन) बिल 2025
- पंजाब को-ऑपरेटिव सोसाइटीज (संशोधन) बिल 2025
- पंजाब टाउन इम्प्रूवमेंट (संशोधन) बिल 2025
पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने पूर्व की कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा सरकार पर भी हमला बोला. उन्होंने बाढ़ के लिए पूर्व की सरकारों के कृत्यों को जिम्मेदार बताया. उन्होंने 2017 के एक फैसले का जिक्र किया जिसमें ब्यास नदी, भाकरा डैम से जुड़े फैसले शामिल थे.
मॉक विधानसभा क्या है?मॉक विधानसभा, जैसा कि नाम से जाहिर है, ये एक ऐसी सभा होती है जिसे हूबहू असली वाली विधानसभा और उसकी कर्रवाई की तरह ही अंजाम दिया जाता है. अलग-अलग राज्यों में विपक्ष ऐसी सभाएं आयोजित करता है. इसका मकसद होता है सरकार से जुड़ी नीतियों और फैसलों की समीक्षा करना. यह विधान सभा के वास्तविक कामकाज की नकल करता है, जिसमें प्रश्नकाल, शून्यकाल, तथा विधेयकों का प्रस्तुतीकरण और बहस जैसे सत्र शामिल हैं. माने एक तरह से असली विधानसभा की तरह. इसमें भाग लेने वाले लोग विधायक, मंत्री और अन्य प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका निभाते हैं. साथ ही ये नीतियों और मुद्दों पर उसी तरह बहस करते हैं जैसे वे वास्तविक सभा में बहस की जाती है. इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब इस तरह की मॉक विधानसभा का आयोजन किया गया है.
- अगस्त 2021: मानसून सत्र के दौरान, विपक्षी दलों ने पेगासस स्पाइवेयर विवाद पर चर्चा करने से सरकार के इनकार के विरोध में ‘मॉक पार्लियामेंट’ आयोजित की. उन्हें लगा कि सदन के अंदर उनकी आवाज दबाई जा रही है.
- दिसंबर 2021: इस साल राज्य सभा से 12 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया था. विपक्ष के नेताओं ने इसके विरोध में संसद परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर 'मॉक पार्लियामेंट' का आयोजन किया. सांसदों के सस्पेंशन के अलावा इस सत्र में लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर भी विरोध जताया गया.
- दिसंबर 2023: 143 सांसदों के सस्पेंशन के बाद, विपक्षी दलों ने संसद के बाहर एक नकली प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन का मुख्य मुद्दा निलंबित सांसदों में से एक द्वारा उपराष्ट्रपति की नकल करना था जो काफी चर्चा में रहा.
कुल मिला कर देखें तो मॉक विधानसभा या लोकसभा का मकसद ये जताना है कि सदन के अंदर उनकी बात सुनी नहीं जा रही. या सदन के अध्यक्ष उन मुद्दों पर उन्हें बोलने नहीं दे रहे जो जरूरी हैं. ये एक तरह का विरोध है जिससे ये जताया जाता है कि सदन के अध्यक्ष निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रहे.
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