आध्यात्मिक नेता और बिलेनियर आगा खान का निधन हो गया है. वो 88 वर्ष के थे. आगा खान फाउंडेशन के हवाले से बताया गया है कि शिया इस्माइली मुसलमानों के 49वें इमाम आगा खान चतुर्थ का पुर्तगाल में निधन हो गया है. उनके उत्तराधिकारी की घोषणा आने वाले समय में की जाएगी. आगा के 3 बेटे और 1 बेटी है.
आध्यात्मिक नेता आगा खान का निधन, पीएम मोदी ने भी कहा- "बहुत दुखी हूं"
Aga Khan Death News: आगा खाना का शुरुआती बचपन केन्या के नैरोबी में बीता. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इस्लामी हिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने वाले आगा 20 साल की उम्र में इस्माइली मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता बन गए थे.

आगा खान का असली नाम प्रिंस शाह करीम अल हुसैनी था. उनका जन्म 13 दिसंबर, 1936 को जिनेवा में हुआ था. उनका शुरुआती बचपन केन्या के नैरोबी में बीता. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इस्लामी हिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने वाले आगा 20 साल की उम्र में इस्माइली मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता बन गए थे.
पीएम मोदी ने शोक व्यक्त कियाआगा खान के निधन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है. X पर पीएम मोदी ने लिखा,
“प्रिंस करीम आगा खान चतुर्थ के निधन से बहुत दुखी हूं. वो एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना जीवन सेवा और आध्यात्मिकता के लिए समर्पित कर दिया. स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में उनके योगदान से कई लोगों को प्रेरणा मिलती रहेगी. मैं उनके साथ अपनी बातचीत को हमेशा संजो कर रखूंगा. उनके परिवार और दुनिया भर में उनके लाखों अनुयायियों और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.”
आगा खान को 2015 में सामाजिक कार्यों के लिए भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुख्य महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने आगा खान की प्रशंसा करते हुए उन्हें “शांति, सहिष्णुता और करुणा का प्रतीक” बताया था.
आगा खान के नाम से कई चैरिटी संस्थाएं चलाई जाती हैं. ये मुख्य रूप से विकासशील देशों में कई अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान और सांस्कृतिक कार्यक्रम संचालित करती हैं. करीम आगा खान 1957 में 20 वर्ष की आयु में अपने दादा के बाद इस्माइली मुसलमानों के इमाम बने थे.
इस्माइली मुस्लिम शिया इस्लाम का एक उप-संप्रदाय है. इन्हें खोजा मुसलमान, आगाखानी मुसलमान और निजारी मुसलमान भी कहते हैं. ये अनुयायियों के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा शिया उप-संप्रदाय है. इस्माइली मुस्लिम कुरान की व्याख्या को इमाम के जरिए मानते हैं. इस्माइली मुस्लिम जहां इबादत करते हैं उस जगह को जमातखाना कहते हैं.
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